छत्तीसगढ़ी लोक संगीत के लुप्त हो रहे लोक वाद्य यंत्रों को इस कलाकार ने सहेजा, बच्चों को सिखाया वादन
छत्तीसगढ़ी लोक संगीत के लुप्त हो रहे वाद्य यंत्रों को सहेजने का बीड़ा कलाकार संजू कुमार सेन ने उठाया है।
By Ashish Kumar Gupta
Edited By: Ashish Kumar Gupta
Publish Date: Wed, 15 Jun 2022 11:02:50 AM (IST)
Updated Date: Wed, 15 Jun 2022 11:02:50 AM (IST)
folk instruments रायपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। छत्तीसगढ़ी लोक संगीत के लुप्त हो रहे वाद्य यंत्रों को सहेजने का बीड़ा कलाकार संजू कुमार सेन ने उठाया है। कोरोना काल में जब घर में खाली बैठे थे, तब संगीत में रुचि रखने वाले कलाकार को सूझा कि क्यों न छत्तीसगढ़ी वाद्य यंत्रों को सहेजा जाए। बस्तर से लेकर सरगुजा तक जाकर आदिवासियों के पास से दुर्लभ वाद्य यंत्रों को एकत्रित करना प्रारंभ किया। अब तक 130 से अधिक वाद्य यंत्र सहेज चुके हैं।
भारतीय सांस्कृतिक निधि के सानिध्य में लगाई आनंद समाज लाइब्रेरी में प्रदर्शनी
कंकाली तालाब के सामने आनंद समाज लाइब्रेरी में भारतीय सांस्कृतिक निधि के तत्वावधान में दो दिवसीय लोक वाद्य यंत्र वादन का शुभारंभ हुआ। इसमें कलाकार संजू ने अपने वाद्य यंत्रों की प्रदर्शनी भी लगाई और संगीत में रुचि रखने वाले बच्चों, युवाओं, महिलाओं को अनेक तरह के वाद्य यंत्र बजाने के तरीके भी सिखाए।
लोक वाद्य यंत्रों को बचाना उद्देश्य
लोक वाद्य यंत्र वादन प्रस्तुतीकरण कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भाषाविद डा. चितरंजनकर ने की। अध्यक्षता इंटेक के संयोजक अरविंद मिश्र ने की। उन्होंने दुर्लभ वाद्य यंत्रों को सहेजने के लिए कलाकार की प्रशंसा की। साथ ही संगीत रसिकों से अपील की कि वे छत्तीसगढ़ी वाद्य यंत्रों में महारत हासिल करने के लिए प्रशिक्षण लें, ताकि लुप्त हो रहे वाद्य यंत्रों को बचाया जा सके। संयोजक राजेंद्र चांडक ने बताया कि बुधवार को भी वाद्य यंत्रों की प्रदर्शनी और प्रशिक्षण का आयोजन किया गया है। इसमें कोई भी निश्शुल्क शामिल हो सकता है।
मुख्य वाद्य यंत्रों की प्रदर्शनी
कलाकार संजू सेन बताते हैं कि वाद्य यंत्रों से वे शेर की दहाड़ और पक्षियों की आवाज निकाल सकते हैं। कोयल, मोर, तोता, उल्लू की आवाज वाद्य यंत्रों से निकालते हैं। अपने दादा और पिता से उन्होंने तबला, बांसुरी बजाना सीखा। छत्तीसगढ़ी लोक कला के दुर्लभ वाद्य यंत्रों में खंजेरी, तुर्रा, अल्गोज्वा, टिमटिमी, मोहरी, भैर, मांदरी, खरपड़ी, शिकारी बाजा, झुन्का, चटका, बांस झुमका, घुंघरू, झांझर, खिचकरी समेत बांस, लकड़ी, मिट्टी से तैयार अनेक वाद्य यंत्र शामिल हैं।