रायपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। Crop Improvement: छत्तीसगढ़ में विभिन्न फसलों की परंपरागत किस्मों में परमाणु ऊर्जा के उपयोग द्वारा फसल प्रजातियों में सुधार और नवीन किस्मों के विकास के लिए अगले तीन साल तक काम चलेगा। इसके लिए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, मुंबई यानी बार्क के मध्य समझौता हुआ है। प्रथम चरण में आशातीत परिणाम प्राप्त हुए हैं। इन परिणामों की सफलता को देखते हुए अब संयुक्त अनुसंधान के लिए द्वितीय चरण का अनुबंध किया गया।
विवि के कुलपति प्रो. एसके पाटिल और बार्क की ओर से बायो साइंस समूह के निदेशक प्रो. तपन के. घंटी ने हस्ताक्षर किए हैं। धान के अलावा अनाज, दलहन, तिलहन, गन्ना, सब्जियों और फूल वाली फसलों में परमाणु ऊर्जा की विभिन्न प्रविधियों के उपयोग द्वारा फसल सुधार और विकास का कार्य किया जाएगा।
इस दौरान दलहन फसलों में हरा चना, काला चना, अरहर, तिलहन फसलों, मूंगफली, सरसों, अलसी, तिल, कुसुम, राम तिल, नकदी फसल- गन्ना और बागवानी फसलों- हल्दी, लौकी, फूलों वाली फसलें आदि में विकिरण प्रेरित उत्परिवर्तन प्रजनन के माध्यम से सुधार किया जाएगा।
50 से अधिक धान की देसी प्रजातियों में सुधार
परियोजना समन्वयक डा. दीपक शर्मा ने बताया कि प्रथम चरण में उत्परिवर्तन प्रजनन के माध्यम से प्रदेश की 50 से अधिक धान की देसी प्रजातियों में सुधार और नवीन किस्मों का विकास किया गया। इस दौरान 25 से अधिक म्यूटेंट विकसित किए गए जिनका प्रादेशिक एवं राष्ट्रीय स्तर पर परीक्षण किया जा रहा है।
धान की पांच म्यूटेंट किस्में - ट्राम्बे छत्तीसगढ़ दुबराज म्यूटेंट-1, विक्रम टीसीआर, सीजी जवांफूल ट्राम्बे, ट्राम्बे छत्तीसगढ़ सफरी म्यूटेंट जारी और अधिसूचित की है। 25 से अधिक रेडी-टू ईट और रेडी-टू कुक खाद्य उत्पादों को विस्तारित शेल्फ लाइफ के साथ जारी किया गया। धान की परंपरागत किस्मों लाइचा, महाराजी और गठवन में कैंसर रोधी और सूजन रोधी गुणों के लिए सक्रिय तत्वों की पहचान की गई है।
छत्तीसगढ़ के औषधीय और सुगंधित पौधों में सक्रिय तत्वों की पहचान की गई है। गुलदाऊदी, डहेलिया और ग्लेड्योली की विभिन्न किस्मों के फूलों के रंगों में भिन्नाता का विकास किया गया है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के 17 विद्यार्थियों ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र में अपना शोध कार्य पूर्ण किया।
तीन वर्षों के लिए हुआ है अनुबंध
प्रथम चरण की सफलता को देखते हुए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, मुंबई के मध्यम अनुबंध का विस्तार आगामी तीन वर्षाें के लिए किया जा रहा है। इस चरण में उत्परिवर्तन प्रजनन और विकिरण प्रौद्योगिकी के माध्यम से विभिन्न फसलों में किस्म सुधार एवं नवीन किस्मों के विकास के साथ ही फसल सुरक्षा प्रौद्योगिकी, मूल्यवर्धित खाद्य उत्पाद प्रौद्योगिकी पर भी अनुसंधान किए जाएंगे।