रायपुर। रविभवन के दुकानदारों और प्रमोटर बिल्डर, विमल कंस्ट्रक्शन पर नगर निगम का शिकंजा कसता जा रहा है। अभी तक गलियारों (पैसेज), पार्किंग में अवैध कब्जे का मामला सामने आया था और अब खुलासा हुआ है कि बिल्डर और दुकानदार प्रॉपटी टैक्स की चोरी कर रहे हैं। शहर की सबसे प्राइम लोकेशन में बने इस कॉम्प्लेक्स में 350 दुकान बेची जा चुकी हैं, जबकि 150 दुकानों पर अभी भी बिल्डर का मालिकाना हक है।
इन सबको मिलाकर निगम को सिर्फ 14.50 लाख रुपए सालाना प्रॉपटी टैक्स मिल रहा है, जबकि निगम जोन 7 का अनुमान है कि राशि 50 लाख से अधिक होनी चाहिए। यही कारण है कि निगम की जांच में इस बिंदु को प्रमुखता से शामिल किया गया कि भवन का कितना टैक्स होना चाहिए और वर्तमान में कितना वसूला जा रहा है?
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक यहां बनी एक-एक दुकानों की निगम नगर निवेश विभाग, राजस्व विभाग नाप-जोख करेगा और फिर नए सिरे से टैक्स निर्धारण होगा। हालांकि यहां बड़ी चूक निगम की भी है कि क्यों उसने अवैध निर्माण नहीं रोका और 20 सालों में कभी नाप-जोख नहीं की।
दुकानदारों ने जितना क्षेत्र बताया उसके अनुसार कार्यालय में बैठे-बैठे टैक्स तय कर दिया गया। इसके पहले ऐसे कई खुलासे हो चुके हैं, जब क्षेत्रफल कम बताकर टैक्स कम पटाया और बाद में टैक्स चोरी पकड़ी गई। गौरतलब है कि दुकानों की रजिस्ट्री मनमाने ढंग से की गई, मनमाने ढंग से दुकानें किराए पर दी गईं। इससे संबंधित कोई भी जानकारी निगम को नहीं दी।
आयुक्त ने गठित की टीम, अवैध निर्माण की करेगी जांच
निगमायुक्त रजत बंसल ने सभी जोन में अवैध निर्माण की जांच के लिए टीम गठित कर दी है। जोन की ये टीम अपने नहीं, बल्कि दूसरे जोन में जांच कर रिपोर्ट रिपोर्ट देंगी। इन्हें अवैध निर्माण की शिकायत पर सिर्फ दस्तावेज मुहैया करवाए जाएंगे।
वहीं इन टीमों के ऊपर मुख्यालय में एक संयुक्त टीम बनाई गई है, जो इनके कामों पर नजर रखेगी और रेंडमली सत्यापन करेगी। सूत्रों के मुताबिक 2 कॉम्लेक्स चि-ति कर लिए गए हैं, जिनमें जल्द कार्रवाई होगी।
आगजनी के 10 दिन बाद जागे व्यापारी
रविभवन व्यापारी संघ ने शुक्रवार को बैठक की, इसमें तय किया गया कि जिन दुकानदारों ने अब तक रजिस्ट्री नहीं करवाई है, वे करवाएं और टैक्स अदा करें। तो वहीं नक्शे में हेरा-फेरी कर निर्माण न करवाएं। साफ है कि ऐसी गड़बड़ियां लगातार हो रही।
उधर बैठक भवन के सामने के दुकानदार अभी भी गलियारा खाली न करने पर अड़े हुए हैं,ये सुरक्षा कारणों का हवाला दे रहे हैं, जबकि नक्शे के अनुसार 6 फीट का गलियारा छोड़ना ही है। 'नईदुनिया' ने सबसे पहले बताया था कि व्यापारी 2 फाड़ हैं, एक वह जो निगम को कार्रवाई में सहयोग कर रहा है, दूसरे वे जो कब्जा हटाने तैयार नहीं। बैठक में यह दिखा भी।
चौंकाने वाली बात ये है कि संघ जला हुआ और तोड़-फोड़ में निकला मलवा न हटाने के लिए निगम को ही दोषी ठहरा रहा है।
राजस्व का घाटा हो रहा है
- नक्शे के अनुरूप कब्जा हटाने के लिए दुकानदारों को रविवार तक का वक्त दिया है, नहीं हटाएंगे तो निगम कार्रवाई करेगा। निगम को राजस्व का भी घाटा हो रहा है, इसलिए रजिस्ट्री को भी जांच में शामिल किया गया है। - संतोष पांडेय, आयुक्त जोन 7, नगर निगम