नईदुनिया एक्सलूसिव, वाकेश कुमार साहू, रायपुर। Ram Van Gaman Path: राज्य सरकार की महत्वांकाक्षी योजना में शुमार राम वनगमन पथ के तहत कोरिया से सुकमा तक विभिन्न जगहों को पर्यटन के रूप में विकसित किया जा रहा है। इसके लिए सरकार ने लगभग 137.45 करोड़ खर्च किया जा रहा है। पहले चरण में नौ जगहों में विकसित करने की कार्य योजना छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल ने बनाई है।
अब इन नौ जगहों में चार जगह को विकसित करने का प्लान दो विभागों में फंस गया है। कारण यह है कि छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल ने करीब एक महीने पहले पत्र लिखकर रामगढ़ (सरगुजा), तुरतुरिया (बलौदाबाजार), सिहावा (धमतरी), तीरथगढ़ (जगदलपुर) को विकसित करने की जिम्मा वन विभाग कंधे में डाल दिया है।
दूसरी ओर राज्य वन विभाग के अधिकारियों का कहना हमें डीपीआर मिला है, लेकिन इसमें काम प्रस्तावित वह वन विभाग के किसी भी विभाग के दायरे में नहीं आता है। बशर्तें इसके लिए विभाग में अभी स्क्रूटनी की जा रही है। जबकि वन गमन परिपथ के अधिकारियों का कहना है कि इन जगहों को विकसित करने के लिए पहले वन विभाग से एनओसी मांगी थी। एनओसी नहीं मिलने के कारण वन विभाग को विकसित करने की डीपीआर सौंपा है।
पहले में चरण में इन जगहों का किया जाना विकसित
राम वनगमन परिपथ के तहत पहले चरण में नौ जगहों को विकसित किया जा रहा है। इनमें सीतामढ़ी-हरचौका (कोरिया), रामगढ़ (अंबिकापुर), शिवरीनारायण (जांजगीर-चांपा), तुरतुरिया (बलौदाबाजार), चंद्रखुरी (रायपुर), राजिम (गरियाबंद), सिहावा-सप्तऋषि आश्रम (धमतरी), रामाराम (सुकमा) शामिल हैं। वहीं, पूरे परिपथ में पर्यटन क्षेत्र के रूप विकसित करने के लिए कुल 43 जगहों को चिह्नांकित किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य राज्य में आने वाले पर्यटकों को राम वनगमन मार्ग एवं स्थलों से परिचित कराना है। साथ ही ऐतिहासिक स्थलों के भ्रमण के दौरान पर्यटकों को उच्च स्तर की सुविधाएं भी उपलब्ध कराना है।
एक नजर इस पर
- रामगढ़, तुरतुरिया, सिहावा, तीरथगढ़ में अभी तक शुरू नहीं हो पाया कार्य
- वन विभाग का कहना है कि हम एजेंसी के रूप में कर सकते हैं कार्य
- पर्यटन विभाग और वन विभाग में एक दूसरे को पत्र लिखने का दौर शुरू
यह कहना है इनका
रामगढ़, तुरतुरिया, सिहावा, तीरथगढ़ वन विभाग के अंतर्गत होने के कारण उनको डीपीआर सौंपा है। अभी वन विभाग से पत्र नहीं मिला है।
- अनुराधा दुबे, नोडल अधिकारी, राम वनगमन परिपथ
छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल द्वारा प्रस्तावित काम वन विभाग के अंतर्गत नहीं है। ऐसे में हमें विकसित करने में दिक्कत आएगी। दूसरी ओर बजट मिलने पर वन विभाग एजेंसी के रूप में कार्य कर सकती है। इसके लिए पत्र लिखा जा रहा है।
- राकेश चतुर्वेदी, प्रधान मुख्य वन संरक्षक