Raipur News: गोबर बना धन, ग्रामीणों की रोजाना हो रही इतनी कमाई
Raipur News: ग्रामीण न्यूनतम 40 रुपये से लेकर अधिकतम 600 रुपये तक प्रतिदिन गोबर बेचकर कमा रहे हैं।
By Himanshu Sharma
Edited By: Himanshu Sharma
Publish Date: Wed, 28 Oct 2020 02:21:55 PM (IST)
Updated Date: Wed, 28 Oct 2020 02:21:55 PM (IST)
संतोष वर्मा, रायपुर। Raipur News: गोबर, जिसे तुच्छ माना जाता है, वही अब छत्तीसगढ़ में किसानों और यादव बंधुओं की आय का एक जरिया बन गया है। छत्तीसगढ़ सरकार की गोधन योजना के तहत लाभान्वित होने वाले लोग इसकी तारीफ कर रहे हैं, क्योंकि जिसे पहले फेंक देते थे, उससे अब पैसे मिल रहे हैं। राजधानी से लगे निलजा के ग्रामीण न्यूनतम 40 रुपये से लेकर अधिकतम 600 रुपये तक प्रतिदिन गोबर बेचकर कमा रहे हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में गोबर का अधिकतर इस्तेमाल कंडे बनाकर चूल्हा जलाने में होता है। ठंड और गर्मी के दिनों में तो कंडे बना लिए जाते हैं, लेकिन बारिश के दिनों में गोबर को फेंकना ही पड़ता है। ग्रामीणों ने बताया कि इस बार बारिश में उन्हें गोबर फेंकना नहीं पड़ा। रोज गोठान जाकर गोबर बेच रहे हैं। गोबर बेचने गोठान पहुंचे जनक राम वर्मा ने बताया कि वह रोज 20 किलो गोबर बेचते हैं। अब चूंकि बारिश नहीं हो रही है इसलिए कंडे बना सकते हैं, लेकिन उसमें परेशानी अधिक है। कंडे बनाने और सुखाने के लिए बड़ी जगह चाहिए।
केंद्र सरकार की उज्जवला योजना के चलते खाना पकाने के लिए अब कंडे का इस्तेमाल भी अपेक्षाकृत कम हो गया है। घर में गैस चूल्हा है। गोबर तौला रहे राकेश यादव ने बताया कि उनके घर गाय-भैंस मिलाकर करीब 25 मवेशी हैं। लगभग सौ किलो गोबर हो ही जाता है, इसलिए बैलगाड़ी से लाना पड़ता है। पहले जरूरत के मुताबिक कंडे बनाते थे और बाकी गोबर को घुरवा में फेंक देते थे। अब घुरवा में गोबर नहीं फेंक रहे। निर्मला साहू करीब 25 किलो गोबर सिर पर लेकर पहुंची थी।
उनके अनुसार जब से खरीदी शुरू हुई है तब से वह गोबर बेच रही हैं। गोबर खरीदी का काम जागृति महिला समूह कर रहा है। समिति की अध्यक्ष शकुन वर्मा ने बताया कि अभी रोज 15-16 क्विंटल गोबर की खरीदी हो रही है। लगभग 28 लोग नियमित गोबर लाते हैं। कोई भी व्यक्ति 20 किलो से कम गोबर नहीं लाता। सबसे अधिक गोबर अंजू यादव लाती हैं। औसत रोज 300 किलो।