रायपुर । EOW registers FIR on Ashok Chaturvedi छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम के पूर्व महाप्रबंधक अशोक चतुर्वेदी के खिलाफ आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ईओडब्ल्यू ने एफआईआर दर्ज की है। टेंडर प्रक्रियाओं में जालसाली कर करोड़ों रुपये की अनियमितता के मामले में एफआईआर कराई गई है। नवंबर 2019 में राज्य शासन ने पाठ्यपुस्तक निगम से चतुर्वेदी की प्रतिनियुक्ति खत्म करते हुए उनकी सेवाएं पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को लौटा दी थी। इस निर्णय के खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट से स्टे ले लिया था। टेंडर में हुई अनियमितता की शिकायत के बीच जांच का जिम्मा एसीबी-ईओडब्ल्यू को सौंपा गया था।
एडीजी जीपी सिंह ने बताया कि होप इंटरप्राइजेस को अकेले को काम देने के लिए और लाभ पहुंचाने के लिए अशोक चतुर्वेदी और कमेटी के सभी सदस्यों ने कपटपूर्वक, जालसाजी से तैयार और झूठी निविदाओं पर फैसला लिया और होप इंटरप्राइजेस को करोड़ों रुपये का ठेका दिया गया। उन्होंने बताया कि इस टेंडर में चार आवेदक बताए गए हैं, लेकिन जांच में साबित हुआ कि होप इंटरप्राइजेस को काम देने के लिए बाकी फर्मों के नाम से झूठी निविदाएं पेश की गईं।
जिनमें कागजात भी जालसाजी से बनाए गए। नकली बिजली बिल बनाए गए। बिजली बिल छाप लिए गए, निविदाकारों की ओर से दस्तखत भी नहीं किए गए। और इन फर्मों की तरफ से जो ईएमडी और बैंक ड्रॉफ्ट लगाए गए वे भी होप इंटरप्राइजेस के कर्मचारी बृजेन्द्र तिवारी के द्वारा पेश किए गए।
गौरतलब है कि जनवरी-2020 में छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम के महाप्रबंधक अशोक चतुर्वेदी ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर न्याय और कुछ अफसरों के भय से निजात दिलाने की मांग की थी। पत्र में एमडी चतुर्वेदी ने लिखा था कि उनके खिलाफ आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने साल 2015 से 2019 तक मुद्रण कागज खरीदी, स्वेच्छानुदान, विविध मुद्रण और अन्य पर भ्रष्टाचार का प्राथमिक जांच शुरू की गई है।
इसमें विभाग से पूर्व अनुमोदन नहीं लिया गया है। इससे वे और उनका परिवार भय के वातावरण में जी रहे हैं। उन्होंने उप सचिव सौम्या चौरसिया, एडीजी ईओडब्ल्यू के जीपी सिंह समेत ईओडब्ल्यू और एंटी करप्शन ब्यूरो के अन्य अफसरों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यदि मेरे साथ अथवा मेरे परिवार के साथ किसी भी तरह की अनहोनी होती है तो इसके लिए उक्त अफसर जिम्मेदार होंगे।
चतुर्वेदी का कहना था कि स्थानांतरण के बाद न्यायालय से स्थगन लेने पर स्थगन वापस कराने के लिए उन पर दबाव बनाया गया। तत्कालीन एमडी चतुर्वेदी ने मामले की शिकायत राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव समेत राज्य शासन के अन्य सचिवों से भी की थी। बता दें कि एमडी चतुर्वेदी का शासन ने स्थानांतरण किया था इसके बाद वे न्यायालय से स्टे लेकर पद पर बने हुए थे। बाद एमडी चतुर्वेदी ने खुद ही विभाग में जांच कराने के लिए पत्र लिखा था।