सतीश पांडेय, रायपुर (नईदुनिया)। राजधानी की पहली स्मार्ट सड़क पांच साल में 600 मीटर भी नही बन पाई।समय पर सड़क नही बनने की वजह यहां जमीन को लेकर चल रहे विवाद को बताया जा रहा है,नतीजा यह हो रहा है कि 600 मीटर दूरी को पूरा करने के लिए इलाके के 15 हजार लोगों को रोज दो से ढाई किलोमीटर का अतिरिक्त सफर करना पड़ रहा है। इससे इनका ईंधन में लाखों का खर्च तो हो ही रहा है साथ में समय भी बर्बाद हो रहा है।
रायपुर के महाराजबंध तालाब के किनारे शहर का पहला 600 मीटर लंबी टू लेन स्मार्ट सड़क की नींव साल 2017 में रखी गई थी। इसके लिए बकायदा सड़क के दायरे में आने कैलाशपुरी ढलान से लेकर बस्ती तक 197 परिवारों की झुग्गियों को नगर निगम ने उजाड़ कर सभी परिवारों को बीएसयूपी मकान में शिफ्ट कराया। रास्ता साफ होने से रायपुर स्मार्ट सिटी ने स्मार्ट सड़क बनाने का काम भी शुरू किया,लेकिन इसी बीच दो परिवारों ने कोर्ट की शरण ले ली। इसके बाद कोर्ट के आदेश पर काम रूक गया।
नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि प्रभावित परिवार को व्यवस्थापन में बीएसयूपी मकान देने को तैयार था फिर भी परिवार राजी नहीं हुआ।इस बीच निगम ने सड़क के दायरे में आने वाले मकानों को तोड़कर साढ़े चार करोड़ की लागत से जनवरी 2018 में 80 फीट चौड़ी सड़क बनाने समतलीकरण किया ही जा रहा था, तभी तालाब पाटकर चौड़ाई करने को लेकर बवाल मचने से राजनीति शुरू हो गई। निगम प्रशासन ने यह तर्क दिया कि 20 हजार परिवारों के एक लाख से ज्यादा लोग रोज आना-जाना करेंगे लिहाजा चौड़ीकरण जरूरी है पर विरोध जारी रहा।
नाराज होकर रहवासी साल 2018 में ग्रीन ट्रिब्यूनल चले गए,स्टे मिलने से काम फिर रुक गया।ट्रिब्यूनल में सुनवाई के दौरान जोन छह के तत्कालीन ईई एसपी त्रिपाठी ने ट्रिब्यूनल से वादा किया कि तालाब नहीं दबा है,खाली जगह पर ही निर्माण कर रहे हैं। इस जवाब के बाद ट्रिब्यूनल ने फरवरी 2019 में याचिका खारिज कर दी। इसके बाद निगम ने करीब पौने दो साल से रुका काम फिर शुरू करवाया। इसी दौरान यह मामला उछला कि कुछ प्रभावशाली लोगों की जमीन के इसलिए रास्ता बनाया जा रहा है। तब तत्कालीन महापौर प्रमोद दुबे ने तर्क दिया कि महामाया मंदिर के पास सड़क काफी संकरी है और बाजार लगता है,इसलिए नया रास्ता जरूरी है।
नई योजना भी अटकी
निगम के अधिकारियों के मुताबिक 2019 अंत में स्मार्ट सड़क का निर्माण पूरा भी नहीं हुआ था कि स्मार्ट सिटी एजेंसी ने इसे प्रदेश की पहली स्मार्ट रोड बनाने साढ़े तीन करोड़ रुपए की नई योजना बनाई।इसमें छायादार पेड़-पौधों के नीचे साइकिल ट्रैक,स्मार्ट टायलेट, बैठने के लिए बेंच,पानी सप्लाई, बिजली के तार अंडरग्राउंड आदि सुविधाएं शामिल की गई। स्मार्ट सिटी ने छह महीने के भीतर सड़क तैयार करने का दावा किया पर किसी न किसी दिक्कतों के कारण काम शुरू नहीं हो पाया।
पेवर ब्लाक लगाने के बाद पाइप के लिए खोदाई
फिर चुनावी आचार संहिता ने सारे काम रोक दिए। फरवरी 2020 में जैसे ही काम शुरू हुआ मार्च महीने में कोरोना का पहला लाकडाउन लगने के बाद नवंबर महीने में फिर से तालाब की तरफ सीवरेज के लिए बनाए गए फुटपाथ की खुदाई कर पैदल चलने वालों के लिए पेवर ब्लाक लगाया गया जो देखते ही देखते तबाह हो गया। डिवाइडर के एक ओर भर चुके मलबे को हटाने का काम चल ही रहा था कि अप्रैल 2021 में कोरोना का दूसरा लाकडाउन लगा और काम फिर ठप हो गया। इसके बाद तालाब के किनारे बड़ी भारी पाइपलाइन बिछाई गई। पिछले महीने फिर से काम शुरू तो हुआ है लेकिन पूरा कब होगा यह बता पाना मुश्किल है। हालांकि स्मार्ट सिटी के अधिकारी छह महीने में सड़क का काम पूरा करने की बात कह रहे है।
जल्द पूरा होगा काम
महाराजबंध तालाब किनारे शहर की पहली स्मार्ट रोड बनाने में कई दिक्कते आई थी।अब सारी दिक्कतों को दूर कर लिया गया है । दूसरे फेस का काम फिर से शुरू हुआ है। जल्द से जल्द निर्माण कार्य पूरा किया जायेगा।
-एजाज ढेबर, महापौर