रायपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय और इससे संबद्घ कॉलेजों में बंक मारने वाले विद्यार्थियों को अब रविवि पहले ही चेताएगा। सेमेस्टर की परीक्षाएं दिसंबर में होनी हैं। इसके पहले अक्टूबर में ही छात्रों की उपस्थिति चेक की जाएगी और जिन छात्रों की उपस्थिति कम पाई जाएगी, उनके पालकों को नोटिस भेजा जाएगा। रविवि में हुई प्राचार्य के साथ बैठक में विवि ने दोटूक शब्दों में कह दिया है कि अब तक परीक्षा के पहले उपस्थिति की गणना की जाती रही है। 75 फीसद से कम उपस्थिति रहने पर छात्रों को परीक्षा से वंचित कर दिया जाएगा। अभी तक दिसंबर में होने वाले सेमेस्टर की परीक्षाओं के एक महीने पहले उपस्थिति की गणना की जाती रही है। कॉलेजों में कम उपस्थिति के कारण इस कवायद से छात्र समय रहते अपनी उपस्थिति दुरुस्त कर सकेंगे।
बंक मारने से कॉलेजों में परिणाम में हो रहा असरः रविवि समेत प्रदेश के तमाम कॉलेज व विश्वविद्यालयों में स्नातक स्तर पर प्रथम वर्ष के परीक्षार्थी महज 30 से 50 फीसद ही पास हो पा रहे हैं। स्कूल स्तर पर 12वीं में 60 से 90 फीसद तक परिणाम लाने वाले आधे से अधिक मेधावी कॉलेज की पढ़ाई में फेल हो रहे हैं। फेल होने के मामले में रविवि की तो सबसे बुरी स्थिति है। यहां बीए, बीकॉम व बीएससी में महज 35 से 40 फीसद ही परीक्षार्थी पास हो पा रहे हैं। इसकी वजह कॉलेज-विश्वविद्यालयों में फैकल्टी नहीं होने के साथ-साथ कॉलेज स्तर पर विद्यार्थियों की अटेंडेंस कमजोर मानी जा रही है।
पालकों को चेताने से यह पड़ेगा प्रभाव : रविवि के विशेषज्ञों का मानना है कि अक्टूबर में नोटिस देकर कॉलेज या विवि से बंक मारने वाले विद्यार्थियों के पालकों को भी चेताया जा सकेगा। इससे वे समय रहते अपनी पढ़ाई पर ध्यान देंगे। परीक्षा से पहले नोटिस देने पर यदि उपस्थिति कम रहेगी तो उनके लिए अतिरिक्त कक्षाएं भी ली जा सकेंगी। गौरतलब है कि हर साल करीब दस हजार परीक्षार्थी ऐसे होते हैं जो कि कम उपस्थिति के कारण परीक्षा से वंचित हो जाते हैं या फिर उनके लिए अतिरिक्त कक्षाएं लगाने की खानापूर्ति की जाती है।
पिछले साल कमेटी भी दे चुकी है परिणाम : उधा शिक्षा विभाग की ओर से तीन कुलपतियों की गठित कमेटी की रिपोर्ट में भी यह बात सामने आ चुकी है कि कॉलेजों में छात्र-छात्राएं बंक मारते हैं तो उनकी पढ़ाई पूरी नहीं हो पाती है। एक साल पहले उधा शिक्षा विभाग ने पं. रविशंकर शुक्ल विवि के तत्कालीन कुलपति डॉ. एसके पाण्डेय, बिलासपुर विवि के कुलपति डॉ. गौरीदत्त शर्मा और दुर्ग विवि के तत्कालीन कुलपति डॉ. एनपी दीक्षित को कॉलेजों में रिजल्ट कमजोर आने की वजह तलाशने के लिए नियुक्त किया था। तीन कुलपतियों की इस कमेटी ने भी कॉलेजों में शिक्षा स्तर की बुरी स्थिति को बयां किया था। कमेटी ने भी माना था कि कॉलेज के प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों में अनुशासन भी नहीं रहता है। विशेषज्ञों का मानना था कि ये विद्यार्थी गंभीर नहीं रहते हैं, लिहाजा प्रथम वर्ष का रिजल्ट कम रहता है।
रविवि के अध्ययनशालाओं और कॉलेजों के विद्यार्थियों की उपस्थिति पर विशेष नजर रखी जा रही है। अक्टूबर में छात्रों की उपस्थिति की गणना की जाएगी। इसमें कम उपस्थिति वाले विद्यार्थियों के पालकों को नोटिस देकर बुलाया जाएगा। - डॉ.गिरीशकांत पांडेय, कुलसचिव, पं. रविवि