अनिल मिश्रा, जगदलपुर। Anti Naxalite Operation : चार दशक से बस्तर के जंगलों में समानांतर सत्ता चला रहे नक्सली इन दिनों घबराए हुए हैं। इसकी वजह यह है कि फोर्स लगातार कैंप खोलकर उनकी मांद में घुसती जा रही है। नक्सली फोर्स से निपट नहीं पा रहे हैं इसलिए अब आम जनता पर हमला कर रहे हैं। सोमवार को नक्सलियों ने अपनी खीझ दो ग्रामीणों की हत्या कर दी। उन्होंने फोर्स के कैंप के निर्माण की सामग्री लेकर आ रही आम ग्रामीणों से भरी सूमो वाहन को ब्लास्ट कर उड़ा दिया। ब्लास्ट में दो लोग घायल हुए हैं।
पुलिस अफसरों की मानें, तो इससे नक्सलियों का विकास विरोधी चेहरा उजागर हो रहा है। सभी घटनाएं विकास को बाधित करने के इरादे से अंजाम दी गईं। हालांकि, जवानों का और आम आदिवासियों का मनोबल अब इतना ऊंचा है कि इस तरह की घटनाओं से कुछ नहीं होने वाला। बीते चार वर्षों में फोर्स ने उन जंगलों में कैंप खोल दिया है, जहां पहले गश्त करना भी मुश्किल माना जाता था।
दस साल पहले फोर्स दोरनापाल-जगरगुंडा मार्ग के भीतरी इलाकों में जाने से कतराती थी। इसका परिणाम था कि 2010 में ताड़मेटला में सीआरपीएफ के 76 जवानों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। अब सुकमा जिले के धुर नक्सल प्रभावित किस्टारम से आगे पालोड़ी में कैंप खुल गया है। दंतेवाड़ा के पोटाली, टेटम, कमारगुड़ा आदि नए कैंपों से फोर्स ने बड़े इलाके में एरिया डॉमिनेट कर लिया है।
बीजापुर में पामेड़ अब तक अलग-थलग पड़ा था। अब पामेड़ होते हुए धर्मारम की ओर फोर्स बढ़ रही है। पामेड़ में चिंतावागू नदी पर पुल का प्रस्ताव है। इधर दंतेवाड़ा व बीजापुर जिलों में इंद्रावती नदी सीमा रेखा तय करती थी। नदी पर छिंदनार, बड़ेकरका व फुंडरी में पुल बन रहे हैं। इन पुलों के जरिए अबूझमाड़ में घुसने की तैयारी है। उधर नारायणपुर की ओर से पहले ही सोनपुर, कोहकामेटा आदि इलाकों से फोर्स की पहुंच बढ़ रही है। बारसूर से नारायणपुर तक जाने वाली सड़क को तीन दशक के बाद खोला जा रहा है।
इन इलाकों में सभी जगह कैंप खुल रहे हैं। कैंपों के साथ ही सड़क, स्कूल, अस्पताल, राशन दुकान आदि बुनियादी सुविधाएं जंगलों तक पहुंचने लगी हैं। ग्रामीणों के बीच नक्सलियों का आधार लगातार टूट रहा है। इससे परेशान होकर अब वह ऐसे नागरिकों को निशाने पर ले रहे हैं जो फोर्स के साथ सहयोग कर रहे हैं। सोमवार को बीजापुर व दंतेवाड़ा जिलों में हुई घटनाएं इसी की गवाही दे रही हैं।
इसलिए किया हमला
डीजीपी नक्सल आपरेशन अशोक जुनेजा के मुताबिक नक्सलियों ने बीजापुर जिले के बासागुड़ा इलाके के राजपेटा में सूमो को ब्लास्ट में इसलिए उड़ाया क्योंकि इसमें तर्रेम कैंप के लिए निर्माण सामग्री लाई जा रही थी। तर्रेम में पुलिस थाना है। 1993 में नक्सलियों ने तर्रेम में विस्फोट किया था, जिसे बस्तर का पहला नक्सली विस्फोट कहा जाता है। तीन दशक के बाद अब फोर्स वहां कैंप बना रही है। हांदावाड़ा सरपंच के पति संतोष कश्यप की हत्या के पीछे भी उनकी विकास विरोधी मानसिकता है। संतोष इंद्रावती पर निर्माणाधीन पुल में सहयोग कर रहा था।