रायपुर (नईदुनिया, राज्य ब्यूरो)। Lemru Elephant Reserve In Chhattisgarh News: लेमरू हाथी रिजर्व के क्षेत्रफल में बदलाव की आशंकाओं को वन मंत्री मोहम्मद अबकर ने खारिज कर दिया है। गुस्र्वार को विधानसभा में उन्होंने बताया कि वन विभाग ने 1,995 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में रिजर्व बनाने की प्रस्तुति कैबिनेट में दी थी। इसमें किसी भी तरह का बदलाव राज्य सरकार नहीं करेगी। उन्होंने यह भी बताया कि स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने क्षेत्र घटाकर 452 वर्ग किलोमीटर करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन सरकार इससे सहमत नहीं है।
सदन में गुस्र्वार को जकांछ विधायक दल के नेता धर्मजीत सिंह की तरफ से लाए गए एक प्रस्ताव के माध्यम से चर्चा हुई। सिंह ने कहा कि लेमरू हाथी रिजर्व क्षेत्र में कोयला खदानों की अनुमति दी जा रही है। इससे न केवल प्राकृतिक संतुलन बिगड़ेगा बल्कि प्रदेश के सबसे बड़े मिनीमाता बांध भी खतरे में पड़ जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य में 57 हजार मिलियन टन कोयला का भंडार है।
अभी यहां के खदानों से 158 मिलियन टन वार्षिक उत्पादन हो रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य के घने वन क्षेत्रों के बाहर बहुत से कोयला खदान है। इसलिए सरकार को लेमरू हाथी रिजर्व क्षेत्र में कोयला खदानों की अनुमति नहीं देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जब राज्य सरकार केंद्र सरकार के कृषि कानून के खिलाफ विधानसभा में कानून ला सकती है।
सीबीआइ को रोक सकती है तो हसदेव अरण्य में कोयला खदानों को रोकने के लिए प्रस्ताव क्यों नहीं लाती। भाजपा के अजय चंद्राकर ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार कर्ज में डूबी है और अपनी आय बढ़ाने के लिए यह सब कर रही है। इसके जवाब में मंत्री अकबर ने बताया कि राज्य सरकार कोयला खदानों का अवांटन नहीं करती। उन्होंने बताया कि कोयला खदानों की पहचान और उनके आवंटन का काम केंद्र सरकार करती है। उन्होंने बताया कि हम केंद्र सरकार से वहां कोयला खदान नहीं देने की मांग कर सकते हैं और वह हम कर रहे हैं।
मैंने पत्र नहीं लिखा: सिंहदेव
लेमरू हाथी रिजर्व का क्षेत्र कम करने को लेकर जनप्रनिधियों के पत्र का उल्लेख करते हुए धर्मजीत सिंह ने बताया कि इसमें आठ विधायकों का नाम हैं, जिनमें टीएस सिंहदेव भी शामिल हैं। इस पर सिंहदेव ने आपत्ति करते हुए कहा कि मैंने ऐसा कोई पत्र नहीं लिखा है।