रायपुर। Raipur News छत्तीसगढ़ी भाषा जनजागरण को लेकर 18 मार्च शनिवार को मोर चिन्हारी छत्तीसगढ़ी 'जगार' पदयात्रा का एक और चरण पूरा हुआ। यात्रा की शुरुआत शनिवार की सुबह 8 बजे कलेक्ट्रेट परिसर स्थित छत्तीसगढ़ी महतारी प्रतिमा में राजगीत के साथ हुई। कलेक्ट्रेट चौक से भगत सिंह चौक, शंकर नगर, कचना, सकरी, नरदहा, पचेड़ा में जनजागरण के साथ चंदखुरी कौशल्या माता धाम में एक चौपाल के साथ समाप्त हुई। जिन गांवों से होकर से होकर यह यात्रा गुजरी वहां लोगों में महतारी भाषा के प्रति उत्सुकता दिखी। चंदखुरी में महतारी भाषा संकल्प के साथ यात्रा लोगों ने आगे की कार्ययोजना पर चर्चा की।
पदयात्रा के अगुवाई करने 82 वर्षीय नंदकिसोर सुकुल ने कहा कि यह हम सबके लिए दुखद है कि अलग राज्य बनने के 22 साल बाद भी हमें अपनी चिन्हारी महतारी भाषा छत्तीसगढ़ी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। इससे ज्यादा दुखद तो यह है कि जिस छत्तीसगढ़ विधानसभा में छत्तीसगढ़ी भाषा को राजभाषा बनाने का संकल्प 2007 में पारित हुआ था, उसी विधानसभा में राजभाषा बनने के 15 साल बाद छत्तीसगढ़ी में अब तक सरकारी काम-काज शुरू नहीं हो सका है। यही हाल सभी सरकारी विभागों को है, सचिवालय-मंत्रालय यहां तक राजभाषा आयोग तक का है। ऐसे में हमने एक बार विधानसभा अध्यक्ष डा. चरण दास महंत को 16 मार्च को एक ज्ञापन सौंपकर छत्तीसगढ़ी भाषा में कार्यवाही का संचलान और प्रकाशन की मांग की है।
वहीं उन्होंने यह भी कहा कि 18 मार्च शनिवार को हमने एक दिन की पदयात्रा रायपुर से चंदखुरी तक छत्तीसगढ़ी जगार के रूप में की। 82 वर्षीय नंदकिसोर सुकुल का कहना है कि जब तक छत्तीसगढ़ी भाषा में प्राथमिक शिक्षा अनिवार्य रूप से पूर्ण माध्यम के साथ शुरू नहीं हो जाती और सरकारी कामकाज शुरू नहीं हो जाता अंतिम सांस तक संघर्ष करता हूं, चाहे लड़ते-लड़ते जान क्यों न चली जाए। गौरतलब है कि पदयात्रा के दौरान प्रसिद्ध लोक गायिका रमा जोशी, डा. पुरषोत्तम चंद्राकर, महेश बैस सहित कई कलाकार, साहित्यकार, छात्र मौजूद रहें।