राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के अंतिम दिन दिखी छत्तीसगढ़ के करमा नृत्य की झलक
National Tribal Dance Festival 2022: राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के अंतिम दिन छत्तीसगढ़ के करमा नृत्य की झलक दिखी। गहरी नीली साड़ी पहने और सिर में कलगी लगाए आदिवासी परंपरा की पहचान को सरंक्षित रखते हुए महिलाओं ने प्रस्तुति दी।
By Ashish Kumar Gupta
Edited By: Ashish Kumar Gupta
Publish Date: Thu, 03 Nov 2022 12:58:40 PM (IST)
Updated Date: Thu, 03 Nov 2022 02:44:19 PM (IST)
रायपुर। National Tribal Dance Festival 2022: राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के अंतिम दिन छत्तीसगढ़ के करमा नृत्य की झलक दिखी। गहरी नीली साड़ी पहने और सिर में कलगी लगाए आदिवासी परंपरा की पहचान को सरंक्षित रखते हुए महिलाओं ने प्रस्तुति दी। कलाकारों ने सामूहिक, सामंजस्य और एकता का संदेश देते दिया। वाद्य यंत्रों में भी छत्तीसगढ़ की झलक दिखी। कलाकारों ने निशान बाजा, मोहरी, मांदर, टिमटिमि बाजा का प्रयोग करते हुए कर्णप्रिय संगीत के साथ सुंदर प्रस्तुति दी।
राज्योस्तव के तृतीय दिवस की दूसरी प्रस्तुति
पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश के आदिवासी समाज द्वारा किये जाने वाले सैताम नृत्य का सुंदर प्रस्तुति। महिलाएं लाल और हरा के सुंदर परिधान पहनकर नृत्य करती हुई। मध्यप्रदेश के सागर से है टीम। धुन और ताल के साथ गजब का जुगलबंदी देखने को मिल रही है।बांसुरी की मधुर धुन, नगाड़ा की थाप पर मंत्रमुग्ध कर देने वाली नृत्य शैली। यह मध्यप्रदेश में फसल कटाई और विभिन्न पर्वों के शुभ अवसर पर किया जाता है। ढोल,नगाड़ा, बांसुरी का अद्भुत सामन्जस्य से जो संगीत निकल रहा है उसने दर्शकों को झूमने को मजबूर कर दिया।
आंध्रप्रदेश की टीम द्वारा लंबाड़ी नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति
आंध्र प्रदेश का लंबाड़ी नृत्य आकर्षक चटकदार रंग बिरंगी परिधानों से सुसज्जित होकर यहां की महिलाओं द्वारा किया जाता है। वे एक घुम्मकड़ जनजातीय से सम्बद्ध रखते हैं। लंबाड़ी नृत्य में वेश भूषा में कांच,दर्पण के टुकड़ों का उपयोग करते हैं। हाथी दांत की चूड़ियां, कलाई की शोभा बढ़ाती हैं। कृषि में जब समृद्धि आती है। तब खुशी से महिलाएँ यह नृत्य करती हैं।
इसके बाद झारखंड से आए कलाकार "हो नृत्य" प्रस्तुत कर रहे हैं। "हो नृत्य" प्रकृति के प्रति आस्था का प्रतीक है।
बेहद सादे लिबास और साधारण वेशभूषा के साथ अपनी जनजातीय परंपरा रम्परा के अनुरूप झारखंड प्रदेश का "हो नृत्य" समृद्धि और उन्नति का प्रतीक है।