By Ashish Kumar Gupta
Edited By: Ashish Kumar Gupta
Publish Date: Tue, 15 Nov 2022 08:05:00 AM (IST)
Updated Date: Tue, 15 Nov 2022 07:40:06 AM (IST)
रायपुर। Kaal Bhairav Jayanti 2022: भगवान शंकर के पांचवें रूद्रावतार के रूप में पूजे जाने वाले भैरवनाथ की जयंती अगहन माह की अष्टमी तिथि पर 16 नवंबर को मनाई जाएगी। ऐसी मान्यता है कि भैरव बाबा की पूजा-अर्चना से कालसर्प दोष, मांगलिक दोष, शनि, मंगल, राहु आदि के कुप्रभाव से मुक्ति मिलती है।
क्षेत्रपाल, द्वारपाल के रूप में करते हैं रक्षा
भगवान भोलेनाथ जिस क्षेत्र में विराजते हैं उस पूरे क्षेत्र की रक्षा करते हैं, इसलिए उन्हें क्षेत्रपाल, द्वारपाल, सेनापति के रूप में पूजा जाता है।
बूढ़ेश्वर भैरवनाथ
राजधानी के अनेक मंदिरों में भगवान भैरवनाथ की प्रतिमा स्थापित है, इनमें सबसे खास आकर्षण बूढ़ेश्वर मंदिर की प्रतिमा है। यह प्रतिमा शिवजी के गर्भगृह के बाहर प्रांगण में स्थापित है। प्रतिमा खुले आकाश तले विराजित है, बारिश हो, धूप या ठंड प्रतिमा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
कोडमदेसर के भैरव का प्रतिरूप
बूढ़ेश्वर मंदिर के धर्मेंद्र ओझा बताते हैं कि राजस्थान के कोडमदेसर गांव के भैरव बाबा का प्रतिरूप प्रतिष्ठापित है। उस गांव के निवासी मानते हैं कि भैरव बाबा गांव के आसपास के सभी खेतों की रक्षा करते हैं। उन्ही का प्रतिरूप मंदिर प्रांगण में विराजित है। पुरानी बस्ती क्षेत्र के वे क्षेत्रपाल और रक्षक हैं।
तिल के तेल, सिंदूर से श्रृंगार
16 नवंबर को अगहन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर भैरव बाबा का पंचामृत से अभिषेक किया जाएगा। इसके बाद तिल के तेल, सिंदूर, और चांदी-सोना, मालीपाणा के वर्क का लेप करके सुगंधित फूलों एवं रजत आभूषण से आकर्षक श्रृंगार किया जाएगा। दोपहर 2 बजे अभिषेक, 3 बजे आंगी श्रृंगार, शाम 5 बजे हवन और शाम 6 बजे से आरती और प्रसादी वितरण होगा।
चूरमा- रोट का प्रसाद
बूढ़ेश्वर मंदिर में स्थापित भैरवनाथ की प्रतिमा के समक्ष पेड़ा, रोट और चूरमे का भोग लगाकर प्रसाद को मंदिर परिसर में ही ग्रहण करने की परंपरा निभाई जाती है।
महामाया मंदिर में काला-गोरा भैरव
पुरानी बस्ती स्थित महामाया मंदिर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ला बताते हैं कि रायपुर में एकमात्र महामाया मंदिर में भैरव बाबा के दोनों स्वरूप काला और गोरा भैरव की प्रतिमा ठीक आमने सामने विराजित है। यहां काला और गोरा दोनों रूप की पूजा की जाएगी।