रायपुर। Helping Hands: कोरोना महामारी में जो परिवार अनाथ हो चुके हैं और परिवार में कोई जिम्मेदार पुरुष न होने से परेशानी हो रही है, ऐसे परिवारों की मदद करने का सिलसिला जैन संवेदना ट्रस्ट ने शुरू कर दिया है। ऐसा ही एक परिवार महानगर में रहता था। पति, कोरोना से जंग करते हुए जीवन से हार गए। पत्नी के समक्ष बच्चों की शिक्षा, जीवनयापन का संकट आ गया। वे महानगर से राजधानी लौट आए।
जैन संवेदना ट्रस्ट ने राजधानी में खाता खुलवाया और बच्चे का स्कूल में एडमिशन करवाया। इसके अलावा आठ अन्य परिवारों का चयन किया गया है, जिन्हें मदद की आवश्यकता है। ट्रस्टी महेंद्र कोचर एवं विजय चोपड़ा ने बताया कि घर परिवार की जवाबदारी अब महिला पर आ गई है। महिला को बैंकिंग प्रणाली सिखाने, प्रॉपर्टी ट्रांसफर करने में सहायता दी गई। साथ ही स्वावलंबी बनने व्यवसाय खोलने की जानकारी दी गई है, बैंक में लाकर खुलवाकर, नामिनी तय करने में मदद दी गई। यह अभी मदद का एक हिस्सा है।
उस परिवार को जो भी मदद चाहिए होगी, वह दिलाएंगे। कमल भंसाली एवं मोती जैन ने बताया कि संकटग्रस्त जैन परिवारों के मुखिया के नाम यदि बीमा है या नहीं है, और यदि है तो उस राशि को कंपनी से कैसे दिलाया जाए, उस राशि का कैसा उपयोग हो ताकि परिवार की ताउम्र जीविका चले। इस सब बातों का भी ध्यान रखा जा रहा है।
महावीर मालू ने बताया कि यदि बैंक खाते में फिक्स डिपाजिट है या अन्य किसी खाते में कुछ राशि जमा है, तो उसके आहरण के लिए आवश्यक कागजात कैसे जुटाने हैं। यदि उसके पास अब कुछ शेष नहीं है तो उस परिवार को कैसे भरण-पोषण के संसाधन जुटाने समक्ष बनाया जाए, इस पर फोकस किया जा रहा है। ट्रस्ट के चन्द्रेश शाह एवं प्रवीण जैन ने बताया कि 28 वार्डों में से हर एक वार्ड में युवाओं की चार सदस्यीय टीमें गठित की गई है, जो संकटग्रस्त परिवारों का चयन करने में लगी है।