हल, बैल, कृषि औजारों को पूजेंगे
पंडित मनोज शुक्ला के अनुसार हरेली पर्व को प्रकृति पर आधारित पर्व कहा जाता है। जीवन में प्रकृति के महत्व को स्वीकार करते हुए प्रकृति की पूजा-अर्चना की जाती है। किसान अपने खेतों में फसल लहलहाने के लिए धरती माता, जल, वायु, पेड़-पौधों के प्रति आभार जताते हैं। खेतों में उपयोग में लाए जाने वाले कृषि औजारों हल, हंसिया, कुल्हाड़ी, रापा, धमेला की पूजा करते हैं। साथ ही हल खींचने में योगदान देने वाले बैलों की जोड़ी की भी पूजा करके छत्तीसगढ़ी व्यंजन का भोग अर्पित करते हैं।
पर्यावरण को बचाने का घर-घर में देंगे संदेश
हरेली पर्व के दिन हर घर में नीम की टहनी लगाकर पर्यावरण बचाने के लिए पेड़ लगाने और उनकी रक्षा करने का संदेश दिया जाता है। नीम की टहनी लगाने का उद्देश्य होता है कि हर घर में हरियाली छाई रहे।
हरेली से शुरू होने वाले पर्व-त्योहार
- 8 अगस्त - हरेली अमावस्या
- 11 अगस्त - श्रावणी तीज
- 13 अगस्त - नागपंचमी
- 15 अगस्त - संत तुलसीदास जयंती
- 18 अगस्त - पुत्रदा एकादशी
- 22 अगस्त - रक्षा बंधन
- 24 अगस्त - कजली तीज
- 28 अगस्त - हलषष्ठी, बलराम जयंती
- 30 अगस्त - श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
- 31 अगस्त - गोगानवमी
सितंबर
- 9 सितंबर - हरतालिका तीज
- 10 सितंबर - गणेश चतुर्थी पर्व
- 17 सितंबर - भगवान विश्वकर्मा जयंती, वामन जयंती
- 21 सितंबर - पितृ पक्ष आरंभ
अक्टूबर
- 2 अक्टूबर - महात्मा गांधी जयंती
- 6 अक्टूबर - पितृ पक्ष अमावस्या, महालया
- 7 अक्टूबर - नवरात्रि प्रारंभ
- 15 अक्टूबर - दशहरा
- 20 अक्टूबर - शरद पूर्णिमा
- 24 अक्टूबर - करवा चौथ
- 28 अक्टूबर - अहोई अष्टमी
नवंबर
2 नवंबर - धनतेरस
3 नवंबर - नरक चतुर्दशी
4 नवंबर - दीपावली
5 नवंबर - गोवर्धन पूजा
6 नवंबर - भाई दूज
10 नवंबर - सूर्य षष्ठी
11 नवंबर - गोपाष्टमी
14 नवंबर - देवउठनी, तुलसी विवाह
19 नवंबर - कार्तिक पूर्णिमा मेला
27 नवंबर - भैरव जयंती
दिसंबर
18 दिसंबर - गुरु घासीदास जयंती
18 दिसंबर - भगवान दत्तात्रेय जयंती