रायपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। ग्लैंडर बीमारी का खौफ अब दूल्हे राजाओं पर हावी होता दिखाई दे रहा है। दूल्हे राजा घोड़ी पर चढ़ने से बिदक रहे हैं। हाल ही में दुर्ग और राजनांदगांव में घोड़ों में ग्लैंडर नामक बीमारी पाई गई थी। इसके बाद से घोड़ी पर चढ़ने वालों की संख्या बेहद कम हो गई है। अब बारातों में अब घोड़ी पर सवार दूल्हे कम ही नजर आएंगे।
घोड़ी संचालकों का कहना है कि पिछली बार शादियों के लिए घोड़ी की बुकिंग कराने दूर-दूर से लोग आये थे। एक घोड़ी संचालक ने 40-50 बुकिंग की थी। लेकिन इस बार अभी तक सिर्फ आठ-10 बुकिंग आई है। हालांकि ग्लैंडर बीमारी का असर रायपुर में देखने को नहीं मिला है, लेकिन घोड़ी वाले इसे लेकर चिंतित हैं, क्योंकि बुकिंग काफी कम हो गई है।
गौरतलब है कि हाल में छत्तीसगढ़ के कुछ जिलों में ग्लैंडर नामक बिमारी ने पैर पसारा है। दुर्ग और राजनांदगांव के घोड़ों में यह बीमारी पाई गई। पशु चिकित्सकों ने वर्ल्ड ऑर्गनाइजेशन ऑफ एनीमल हेल्थ की गाइड लाइन के मुताबिक राजनांदगांव के एक और दुर्ग के दो घोड़ों को मारकर साइंटिफिक प्रोसेस कर दफना दिया, ताकि बीमारी को फैलने से रोका जा सके। इसी बीमारी के चलते लोग घोड़ी की बुकिंग कराने से परहेज कर रहे हैं। सरदार भाई घोड़ी वाले बताते हैं कि अन्य वर्षों में इस माह तक 30 से 40 बुकिंग हो जाती थी, इस बार 10-12 बुकिंग ही हुई है। वे बताते हैं कि अन्य आयोजनों में भी इस बार घोड़ी की बुकिंग कम हुई।
रोजी-रोटी पर संकट
बुकिंग नहीं होने से घोड़ी संचालकों का व्यवसाय खतरे में पड़ गया है। उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।
12 घोड़ों के लिए गए ब्लड सैंपल
दुर्ग और राजनांदगांव में बीमारी सामने आने के बाद रायपुर के पशु चिकित्सा अधिकारी सतर्क हो गए हैं। शहर के 12 घोड़ों का ब्लड सैंपल लिया गया है। सैंपल जांच के लिए हरियाणा स्थित हिसार की फोरेंसिक लैब भेजे गये हैं।
ग्लैंडर बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी है। इसका इलाज काफी कठिन होता है। एक सप्ताह पहले ही 12 घोड़ों का सैंपल फोरेंसिक लैब भेजे गये। इस मामले पर भारत सरकार चिंतित है, इसलिए हर तीन-चार माह में इसकी जांच होगी। - डॉ. संजय पांडे, पशु चिकित्सा अधिकारी