प्रमोद साहू/रायपुर। Chhattisgarh Election Result 2023: छत्तीसगढ़ में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में कई ऐसी सीटें है, जहां से सरपंच से विधायक बने नेताओं ने दिग्गजों को धूल चटाई है। नवनिर्वाचित 90 विधायकों में से दर्जनभर ऐसे हैं, जिन्होंने अपनी राजनीतिक जीवन की शुरुआत सरपंच के रूप में की। चुनावों में चित्रकोट, अभनपुर और राजिम विधानसभा की जीत काफी दिलचस्प रही।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय 1989 में गृहग्राम बगिया में पंच और 1990 में निर्विरोध सरपंच बने थे। चार बार सांसद और तीन बार के विधायक विष्णुदेव साय के मुख्यमंत्री बनते ही पंचायत स्तर से राजनीति में कदम रखने वाले नेताओं की खूब चर्चा हो रही है। कई ऐसे सरपंच है, जिन्होंने दिग्गजों को पछाड़ दिया है।
बस्तर जिले के टेकामेटा से सरपंच व चित्रकोट से भाजपा विधायक विनायक गोयल ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष व बस्तर सांसद को 8370 वोटों से हराया है। चित्रकोट विधानसभा के भाजपा उम्मीदवार विधायक गोयल को कुल 63954 मत प्राप्त हुए, जबकि दीपक बैज को 55584 मत ही मिल पाए। विनायक ग्राम पंचायत टेकामेटा ब्लाक तोकापाल, जिला बस्तर के 2005 से 2010 तक सरपंच रहे। इसके बाद 2010 से 2020 तक जिला पंचायत के सदस्य रहे। 2020 में एक बार फिर विनायक ग्राम पंचायत टेकामेटा के सरपंच निर्वाचित हुए। इसके बाद 2023 के विधानसभा चुनाव ने भाजपा ने चित्रकोट से दीपक बैज के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरे और जीत दर्ज की।
कांकेर सीट से भाजपा प्रत्याशी आशाराम नेताम ने कांग्रेस के शंकर धुर्वा को मात्र 16 वोटों से हराकर विधानसभा पहुंचे हैं। 43 वर्षीय आशाराम 1998 में सिर्फ 18 साल की उम्र में भाजपा के प्राथमिक सदस्य बने थे, आशाराम ने अपने गांव बेवर्ती के सरपंच भी रह चुके है, जिसके बाद अपने क्षेत्र से निर्विरोध जनपद सदस्य चुने गए थे, वर्तमान में आशाराम नेताम की पत्नी सुरेखा नेताम बेवर्ती गांव की सरपंच है। आशाराम नेताम कृषि के क्षेत्र में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों सम्मानित हो चुके है।
सरगुजा जिले के लुंड्रा विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित भाजपा विधायक प्रबोध मिंज ने सरपंच से राजनीति की शुरुआत की थी। अब अंबिकापुर नगर निगम में शामिल क्षेत्र ग्राम पंचायत भगवानपुर के 1982 में पहली बार सरपंच बने थे। उन्होंने 1995 तक यहां सरपंची की। प्रबोध मिंज सरपंच के साथ अंबिकापुर जनपद के अध्यक्ष 1995 से वर्ष 2000 तक रहे। वह वर्ष 2000 में हुए चुनाव में जिला पंचायत के सदस्य निर्वाचित हुए। वर्ष 2005 में अंबिकापुर नगर निगम बना तो 10 वर्ष तक महापौर रहे। अब उन्होंने 24, 128 वोटों से कांग्रेस प्रीतम राम को हराया और विधायक बने।
भाजपा सरकार में मंत्री रहे पुन्नूलाल मोहले मुंगेली के विधायक हैं। 1977-78 से ग्राम पंचायत सोढ़ार से और 1983-84 में गृह ग्राम दशरंगपुर से भी सरपंच बने। फिर जनपद सदस्य और फिर जनपद अध्यक्ष भी बने। फिर 1985 में पहली बार विधायक बनकर निर्वाचित हुए। उसके बाद 1990, 1994, 2008, 2013 में विधायक बने। 2018 में भी कांग्रेस की लहर को मात देते हुए मोहले ने जीत का परचम लहराया और 2023 में भी जीत दर्ज की। वहीं मोहले 1996, 1998, 1999 और फिर 2004 में सांसद भी बने थे। 7 बार विधायक, 4 सांसद और 2 बार मंत्री रह चुके हैं।
दयालदास बघेल ने राजनीतिक जीवन की शुरुआत गृहग्राम कुंरा (ब्लाक - नवागढ़, जिला बेमेतरा) के सरपंच के रूप में की थी। इसके बाद वे जिला पंचायत सदस्य, जिला दुर्ग बने। 1998 में वे नवागढ़ विधानसभा से भाजपा की टिकट पर हार गए थे। 2003 में पहली बार विधायक बने दयालदास बघेल 2023 में छठवीं बार भाजपा की टिकट से उतरे और कांग्रेस के मंत्री रहे गुरु रूद्र कुमार को हराकर चौथी बार विधायक बने।
वहीं अभनपुर से भाजपा प्रत्याशी इंद्रकुमार साहू ने मौजूदा विधायक और वरिष्ठ कांग्रेस नेता धनेंद्र साहू को 15 हजार वोटों से हराया। 53 वर्षीय इंद्र कुमार साहू अभनपुर विधानसभा के बेंद्री गांव के रहने वाले हैं। वे बेंद्री गांव से दो बार सरपंच रह चुके हैं।
राजिम से कांग्रेस के विधायक रहे अमितेश शुक्ल को रोहित साहू ने पटखनी दी है। रोहित वर्ष 2010 से 2020 तक ग्राम पंचायत सेम्हरतरा पीपरछेड़ी के सरपंच रहे हैं। वहीं 2021 में जिला पंचायत सदस्य के रूप में निर्वाचित हुए। 2023 के चुनाव में भाजपा से टिकट मिलने पर उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी अमितेश शुक्ल को 11911 मतों के अंतर से हराया।