नईदुनिया पड़ताल, रायपुर। दवा खरीदी और गुणवत्ता को लेकर अक्सर विवादों में रहने वाले छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉरपोरेशन पर एक बार फिर वाहन टेंडर में गड़बड़ी का आरोप लगा है। इसे लेकर विभाग के प्रबंधन संचालक कार्तिकेय गोयल को भी शिकायत की गई है। जानकारी के मुताबिक, सीजीएमएससी ने क्षेत्रीय औषधि गोदामों से दवा परिवहन के लिए दिसंबर 2020 में टेंडर निकाला था।
प्रक्रिया पूरी करने के बाद विभाग ने फरवरी 2021 में दावा आपत्ति मंगाया गया। एसके इंटरप्राइजेस को गलत तरीके से टेंडर दिए जाने के संबंध में प्रतिभागी एजेंसियों द्वारा दावा आपत्ति लगाया गया। इसमें किसी तरह की कार्रवाई नहीं करते हुए कंपनी को टेंडर दे दिया गया। टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी को लेकर शिकायत प्रबंध संचालक को की गई। आरोप लगाया गया है कि जिन्हें वाहन के लिए टेंडर मिला है।
टाइप-ए के लिए टाटा 207, टाटा जेमोन, पिकअप या समतुल्य गाड़ी व टाइप-बी में टाटा 407, आइसर, स्वराज माजदा व समतुल्य गाड़ी निविदाकार के पास होनी चाहिए थी। मगर, दस्तावेज में प्रदाय वाहन निविदा में चाही गई टाइप-ए व टाइप-बी के अनुसार नहीं है।
विभाग के सुप्रिटेंडेंट इंजीनियर सुनील सिंह से शिकायत को लेकर जानकारी मांगने पर उन्होंने मीटिंग में होने की बात कहते हुए प्रबंधन संचालक से पूछने को कहकर पल्ला झाड़ लिया। सीजीएमएससी के प्रबंधन संचालक कार्तिकेय गोयल को कॉल किया गया। मगर, उन्होंने फोन नहीं उठाया। एसके इंटरप्राइजेस के अनिल उपाध्याय कहा कि शिकायत के संबंध में उन्हें जानकारी नहीं है। टेंडर में नियम का पालन हुआ है। आरोप बेबुनियाद है। मामले में प्रतिभागी एजेंसी गणपति इंडस्ट्रीज के संचालकों ने निविदा निरस्त करने व दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है।
लेन-देन का भी लगा आरोप
जानकारी के अनुसार जमा किए गए वाहनों के दस्तावेज में केवल 15 वाहन के दस्तावेज निविदा समय के भीतर अपलोड किया गया था, जबकि एक वाहन के दस्तावेज समय पर उनके द्वारा अपलोड नहीं किया गया। वहीं जानकारी दिए गए 12 वाहनें भी टाइप-ए और टाइप-बी की श्रेणी में नहीं आते हैं। सूत्रों के अनुसार लेन-देन को लेकर भी बातें सामने आ रही हैं।