छत्तीसगढ़: केशकाल घाटी में फिसला भगवा रथ तो वोटरों ने थामा था हाथ
1904 में बनी इस घाटी में 12 खतरनाक मोड हैं, हालांकि अब इनकी चौड़ाई बढ़ने से खतरा कम हो गया है।
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Publish Date: Wed, 26 Sep 2018 10:59:59 AM (IST)
Updated Date: Wed, 26 Sep 2018 12:35:29 PM (IST)
रायपुर। छत्तीसगढ़ में 2012 के नवगठित जिलों में शामिल कोंडागांव जिला कला, संस्कृति, उपजाऊ जमीन और जंगल से परिपूर्ण है। केशकाल की खतरनाक लेकिन बेहद खूबसूरत घाटी इस जिले की सबसे बड़ी पहचान है। 1904 में बनी इस घाटी में 12 खतरनाक मोड हैं, हालांकि अब इनकी चौड़ाई बढ़ने से खतरा कम हो गया है।
केशकाल घाटी के घुमावदार घाटियों की तरह इस जिले का राजनीतिक सफर भी थोड़ा घुमावदार रहा है। पहले दो चुनाव में भाजपा यहां प्रचंड मतों से दोनों सीट जीतती रही, लेकिन पिछले चुनाव में जनता ने भाजपा को तगड़ा झटका दिया। जिले की दोनों सीट कांग्रेस के खाते में चली गई। इसे 2013 में हुए झीरमघाटी कांड की साहनभूति का असर माना जाता है।
औंधे मुंह गिरा भाजपा का जनाधार
राज्य निर्माण के बाद हुए पहले चुनाव में इस जिले की दोनों सीटों पर भाजपा ने धमाकेदार दर्ज की। कुल मतदान का करीब 49 फीसद हिस्से पर भाजपा ने कब्जा किया। 2008 में भाजपा के वोट शेयर में करीब सात फीसद की कमी आई, हालांकि पार्टी दोनों सीट बचाने में सफल रही।
2013 के चुनाव में जिले के लोगों का राजनीतिक मिजाज अचानक बदल गया। वोटरों ने एकदम से पलटी मार दी। इसका असर यह हुआ कि भाजपा की दोनों सीट छीन गई और झोली में केवल 37 फीसद वोट आए। पार्टी के दोनों सीटिंग विधायक हार गए।
कांग्रेस को मिली प्राण वायु
जस कोंडागांव जिले में कांग्रेस 36 फीसद वोट शेयर के साथ खाता भी नहीं खोल पा रही थी, वहीं पर पिछले चुनाव में पार्टी ने न केवल 43 फीसद वोट शेयर हासिल किया बल्कि दोनों सीटों पर भी कब्जा कर लिया। 2003 के चुनाव में कांग्रेस ने करीब 37 फीसद वोट हासिल किया, लेकिन सीट एक भी नहीं मिलीं 2008 के चुनाव में भी पार्टी की स्थिति लगभग वही रही। इस चुनाव में भी पार्टी खाते में 36 फीसद वोट आए।