रायपुर। Crime News: राजधानी रायपुर के केनरा बैंक टाटीबंध शाखा में बिहार की साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (एसबीपीडीसीएल) और बिहार स्टेट रोड डेवलपमेंट कापोरेशन लिमिटेड (बीएसआरडीसीएल) के सात क्लोन चेक भुनाकर 3.60 करोड़ रुपये की ठगी करने वाले गिरोह ने क्लोन चेक से बिहार, झारखंड और मप्र के दस से अधिक बैंकों को करोड़ों की चपत लगाई है। गिरोह गिरोह के निशाने पर सरकारी कंपनियों के बैंक खाते रहते थे।
ठगी के खेल में शामिल और पुलिस की गिरफ्त में आए केनरा बैंक के मैनेजर आलोक कुमार वर्मा और सुहास हरिश चंद्र काले से गिरोह के बारे में विस्तृत पूछताछ कर फिलहाल जेल भेज दिया गया है। वहीं, गिरोह के फरार दो सरगना समेत तीन को दबोचने पुलिस टीम महाराष्ट्र के संभावित ठिकानों में छापेमारी कर रही है। पुलिस का दावा है कि गिरोह का भंडाफोड़ नहीं होता तो ये केनरा बैंक के बाद बैंक आफ इंडिया और स्टेट बैंक में भी इसी तरीके से ठगी करने की योजना बना चुके थे।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि गिरोह का फरार मुख्य सरगना शमीम और रमेश ठाकरे क्लोन (नकली) चेक बनाने में माहिर है। ये चेक को अपने खुफिया अड्डे पर कंप्यूटर की मदद से बनाते थे। इसकी डिजाइनिंग और पेपर क्वालिटी असली चेक की तरह होती है, जिसके कारण बैंक कर्मी भी धोखा खाकर फर्जी चेक को पकड़ नहीं पाते थे। इसी का फायदा उठाकर गिरोह ने बिहार, झारखंड और मप्र के दस से अधिक बैंकों को करोड़ों की चपत लगाई है।
तीसरा फरार आरोपित एजाज सलीम गाड़ियां फाइनेंस करवाने के काम की आड़ में बैंकों की रेकी कर फर्जी खाता खुलवाने मैनेजर और बैंक कर्मियों से दोस्ती करता था फिर लाखों रुपये का लालच देकर ठगी में शामिल कर लेता था। फरार आरोपितों के पकड़े जाने से गिरोह के कई और नए कारनामे खुलने की संभावना है। गिरोह के देशभर में फैले नेटवर्क को तोड़ने की कोशिश में पुलिस जुटी हुई है।
हर बार बदलते थे आदमी
पुलिस के अनुसार शमीम, रमेश ठगी की हर वारदात में सुहास हरिश चंद्र काले जैसे नए-नए आदमियों को पैसे का लालच देकर इस खेल में शामिल करते थे। केनरा बैंक से पहले इस गिरोह ने रायपुर के कोतवाली इलाके के बैंक आफ बड़ौदा से बीडीओ रामनगर, रामगढ़ (झारखंड) के 70 लाख रुपये का आहरण कर लिया था। बाद में खाते को फ्रीज किया गया था। रामगढ़ थाने में मामले में केस भी दर्ज है।
वहीं, मप्र के सिवनी, छिंदवाड़ा, कटनी, बालाघाट,इंदौर, भोपाल, झारंखंड के रामगढ़, बिहार की राजधानी पटना समेत अन्य राज्यों के बैंकों में क्लोन चेक के माध्यम करोड़ों की रकम निकाली है। सिवनी और रामगढ़ में गिरोह के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज है, लेकिन पहली बार इस गिरोह का भंडाफोड़ रायपुर पुलिस ने करते हुए पूरे रैकेट तो तोड़ा है।
पहले से तय होता था कमीशन
सरगना शमीम, रमेश ठाकरे ठगी से पहले ही गिरोह के सदस्यों का कमीशन तय कर देते थे। खुद वे ठगी की 75 फीसद रकम रखते थे, बाकी पंद्रह और दस फीसद काम के हिसाब से अन्य सदस्यों को देते थे। सुहास काले के दस फीसद कमीशन के हिस्से के प्रत्येक ट्रांजेक्शन में बैंक मैनेजर को 25 लाख देना तय किया था। मैनेजर को फिलहाल दस लाख रुपये ही मिले थे।