रायपुर। लोकसभा चुनाव के कारण मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सौ से अधिक पदों पर नियुक्तियों को रोककर रखा है। पार्टी सूत्रों की मानें तो लोकसभा चुनाव के बाद ही विधानसभा उपाध्यक्ष और मंत्री के एक पद पर नियुक्ति होगी। इसी तरह निगम, मंडल, आयोग और प्राधिकरणों की कुर्सी के लिए लाइन में लगे नए विधायकों और नेताओं को चुनाव के नतीजों का इंतजार करना होगा।
मुख्यमंत्री ने मंत्रिमंडल के 12 में से 11 मंत्रियों की घोषणा कर दी है, लेकिन एक मंत्री के पद को खाली रखा है। मंत्री के एक पद के लिए आधा दर्जन विधायक दावेदार हैं और सभी नाराज भी हैं, क्योंकि उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया। मुख्यमंत्री एक नाम फाइनल करने में उलझ गए हैं। अभी किसी एक नाम की घोषणा कर देंगे, तो बाकी पांच वरिष्ठ विधायकों की नाराजगी और बढ़ सकती है।
इसका नुकसान लोकसभा चुनाव में पार्टी को होने की आशंका है। ऐसे ही विधानसभा उपाध्यक्ष पद के लिए भी कई विधायक दावेदार हैं। किसी एक को संतुष्ट करके मुख्यमंत्री बाकी को चुनाव के पहले नाराज नहीं करना चाहते हैं।
एक या दो बार के विधायक निगममंडल, आयोग और प्राधिकरणों में अध्यक्ष बनने के लिए लॉबिंग कर रहे हैं। वहीं, संगठन के वरिष्ठ नेता भी इन कुर्सियों को पाने के लिए बेसब्र हैं। उनका तर्क है कि निगम, मंडल, आयोग और प्राधिकरणों का पद न केवल विधायकों, बल्कि विधानसभा चुनाव लड़कर हारे वाले नेताओं को भी नहीं मिलना चाहिए।
हाईकमान ने उन्हें टिकट देकर एक मौका दिया था। अब विधानसभा चुनाव में काम करने वाले नेताओं को उपकृत किया जाना चाहिए। इस निगम, मंडल, आयोग और प्राधिकरणों की कुर्सियों के लिए विधायकों और संगठन के नेताओं के बीच टकराव की स्थिति है।
मुख्यमंत्री इस बात को जानते हैं, इसलिए उन्होंने अभी विभागीय मंत्रियों को ही निगम-मंडलों की जिम्मेदारी दे दी है। परफॉर्मेंस देखकर फैसला करेंगे मुख्यमंत्री लोकसभा चुनाव में मेहनत करने वाले विधायकों, नेताओं और विधानसभा चुनाव में हारे प्रत्याशियों को पद दिया जाएगा। चुनावी मैदान में उनका परफॉर्मेंस देखने के बाद मुख्यमंत्री तय करेंगे कि किसे, किस निगम, मंडल, आयोग, प्राधिकरण का पद दें।