रायपुर। Chhattisgarh News छत्तीसगढ़ में सरकार ने गोबर की खरीदी का निर्णय लिया है। इसके बाद पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने सरकार की नीति का विरोध करते हुए कहा कि गोबर को राजकीय चिह्न बना देना चाहिए। चंद्राकर ने ट्वीट किया-छत्तीसगढ़ के वर्तमान राजकीय चिह्न नरवा, गस्र्वा की अपार सफलता और छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था में गोबर के महत्व को देखते हुए राजकीय प्रतीक चिह्न बना देना चाहिए। चंद्राकर के ट्वीट पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा ने टिप्पणी की।
वर्मा ने कहा कि आपकी संघशिक्षा और दीक्षा एकदम दुस्र्स्त है। वो विनायक सावरकर, जिन्हें आप वीर कहते हैं, वो भी गौमाता और गोबर के बारे में ऐसी ही अपमानजनक बात कहते थे। छत्तीसगढ़ की जनता सुन-देख रही है। कांग्रेस ने ट्वीट किया-आपकी सोच को देखकर लगता है कि सरकार की इस योजना से भाजपा के नेताओं को काफी लाभ मिल सकता है, उठाना भी चाहिए। दिमाग में भरे गोबर को बेचें, आर्थिक लाभ पाएं। कुछ अच्छी चीजें भी दिमाग में घुसेंगी।
वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह ने कहा कि आखिरकार भाजपा को गौमाता, सनातन हिंदू धर्म छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ की अस्मिता और छत्तीसगढ़ के राजकीय प्रतीक चिन्ह से इतनी नफरत क्यों है? भाजपा का असली चेहरा चंद्राकर के दो ट्वीट के बाद बेनकाब हो गया है। इसमें उन्होंने गोवंश और छत्तीसगढ़ राज्य के प्रतीक चिल्ह का अपमान किया है।
भाजपा चुनाव में अवसरवादिता का लाभ उठाते हुए हिंदुत्व और गौ सेवा का मुद्दा भुनाती रही है। लेकिन वास्तव में ना तो भाजपा के मन में हिंदुओं के प्रति कभी प्रेम रहा है और ना ही गौ माता के प्रति। गोबर के बाद सरकार गोमूत्र की खरीदी पर भी विचार कर सकती है, तब इस योजना का भाजपा के द्वारा इतना विरोध क्यों? भाजपा तय कर ले या तो वह गौ माता, सनातन हिंदू धर्म और छत्तीसगढ़ वासियों के पक्ष में है या खिलाफ।
विष्णुदेव गंभीरता से लें चंद्राकर का ट्वीट, करें कार्रवाई
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह ने कहा है कि छत्तीसगढ़ का राजकीय प्रतीक चिह्न कोई सामान्य तस्वीर नहीं है। यह छत्तीसगढ़ की जनता के मान सम्मान और अस्मिता का प्रतीक है। यह प्रतीक चिल्ह हमें हमारी सांस्कृतिक धरोहर, फसल उत्पादन, विद्युत उत्पादन और समृद्धि वनों की विरासत से जोड़ता है।
छत्तीसगढ़ के राजकीय प्रतीक चिन्ह की तुलना गोबर से करके चंद्राकर ने अपनी मानसिक स्थिति और भाजपा के विचारों को स्पष्ट उजागर कर दिया। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदेव साय क्या इसे गंभीरता से लेते हुए अजय चंद्राकर पर कार्रवाई करेंगे या अपनी मौन सहमति प्रदान करेंगे।