रायपुर Chhattisgarh Forest । छत्तीसगढ़ पर प्रकृति ने दिल खोलकर नेमतों से नवाजा है। राज्य के कुल क्षेत्रफल का 44 फीसद से अधिक हिस्सा वन क्षेत्र है। वन आवरण की दृष्टि से राज्य देश का तीसरा बड़ा राज्य है। इन वनों में साल, सागौन से लेकर कई प्रजाति के वृक्षों के घने वन में वन जीवनों का वास है। गर्भ में लोहा, कोयला से लेकर सोना और हीरा समेत कई खनिज हैं। वनों की सुरक्षा और दायरा बढ़ाने की कोशिशें भी लगातार हो रही हैं। सरकार ने इस वर्ष "हरियर छत्तीसगढ़ अभियान" के तहत करीब सात करोड़ पौध रोपण का लक्ष्य रखा है।
राज्य के वन विभाग इस वर्ष एक साथ एक ही तिथि 11 जुलाई को फल, सब्जी बीज और सीड बॉल की बुआई के कार्यक्रम का आयोजन करने की तैयारी में है। इसके लिए राज्य के वन व वनोत्तर क्षेत्रों में 50 हजार किलोग्राम फलदार पौधों के बीज, छह हजार 500 किलोग्राम सब्जी बीज और 25 लाख सीड बॉल की बुआई होगी।
वनों से जुड़ा वनवासियों का जीवन
राज्य के लगभग 50 प्रतिशत गांव वनों की सीमा से 5 किलोमीटर की परिधि के अंदर आते हैं, जहां के निवासी मुख्यत: आदिवासी हैं। आर्थिक रुप से पिछड़े आदिवासियों के जीविकोपार्जन का मुख्य जरिया वन ही हैं। राज्य सरकार तेंदूपत्ता, महुआ, साल बीज समेत 31 तरह के वनोपज आदिवासियों से समर्थन मूल्य पर खरीदी कर रही है।
वानिकी कार्यों से प्रतिवर्ष लगभग सात करोड़ मानव दिवस रोजगार का सृजन होता है। वनों से ग्रामीणों को लगभग 2000 करोड़ रुपए का लघु वनोपज व अन्य निस्तार सुविधाएं प्राप्त होती हैं। छत्तीसगढ़ के संवहनीय व सर्वागीण विकास परिदृश्य में वनों का विशिष्ट स्थान है।
नदियों के किनारे 10 लाख से अधिक पौधरोपण की तैयारी
सरकार ने राज्य के नदी तट वृक्षारोपण कार्यक्रम के तहत इस वर्ष राज्य की 14 विभिन्न नदियों के 946 हेक्टेयर रकबा में 10 लाख 39 हजार 524 पौधरोपण का लक्ष्य रखा है। वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने बताया कि योजना के तहत महानदी, कोटरी नदी, मेढ़की नदी, भापरा नदी, अरपा नदी, मनियारी नदी, आगर नदी, सकरी नदी, इंद्रावती नदी, नारंगी नदी, पैरी नदी, खारून नदी, रेहर नदी और अटेम नदी के तटों पर पौधरोपण किया जाएगा। नदी के किनारों पर पीपल, आम, आंवला, अर्जुन, बांस, शिशु, कहुआ, जामुन, नीम, करंज, महुआ, सीरस, अकेशिया व अन्य मिश्रित प्रजाति के पौधे लगाए जाएंगे।
रामवनगमन मार्ग पर भी लाए जाएंगे पेड़-पौधे
राज्य में भगवान राम से जुड़े स्थानों को पर्यटन केंद्र के रुप में विकसित किया जा रहा है। इसे रामवन गमन पथ नाम दिया गया है। करीब 1300 किलो मीटर लंबे इस राम वन गमन पथ के 75 विभिन्न स्थलों में आम, बरगद, पीपल, नीम व आंवला आदि फलदार प्रजाति के पौधों का रोपण किया जाएगा।
आज आदिवासी जंगलों से विमुख हो रहे हैं क्योंकि जंगल उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर पा रहे हैं। हमें जंगलों को वनवासियों के लिए रोजगार और आय का जरिया बनाना होगा। फलदार वृक्ष लगाने के साथ-साथ लघु वनोपजों के संग्रहण, उनकी मार्केटिंग और वैल्यू एडिशन का भी एक सिस्टम तैयार किया जाएगा। इससे अधिक से अधिक लोगों को रोजगार से जोड़ा जा सकेगा। जंगलों, सड़कों के किनारे और राम वन गमन पथ के किनारे आम, बरगद, पीपल, नीम जैसी प्रजातियों के पौधे भी लगाए जाएं। - भूपेश बघेल, मुख्यमंत्री
फैक्ट फाइल
- 1,35,191 वर्ग किलोमीटर है राज्य का कुल क्षेत्रफल
- 59,772 वर्ग किलोमीटर है राज्य में वन का क्षेत्रफल
राज्य में वन क्षेत्र
वन क्षेत्रफल फीसद
आरक्षित वन क्षेत्र 25782 43.13%
संरक्षित- 24036 40.22%
अवर्गीकृत- 9954 16.65%
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साल वन 24245 40.56%
सागौन वन 56.33 9.42%
मिश्रित 26018 43.52%
अन्य 3876 6.50%
नोट- क्षेत्रफल वर्ग किलोमीटर में
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