Chhattisgarh Cow Protector: छत्तीसगढ़ में गाय की आत्मकथा ने मोहम्मद फैज को बनाया गोरक्षक
Chhattisgarh Cow Protector: सरकारी कालेज में प्राध्यापक की नौकरी छोड़ बन गए गोकथा वाचक, 15 हजार किलोमीटर पदयात्रा कर गोहत्या पर प्रतिबंध की रखी मांग।
By Kadir Khan
Edited By: Kadir Khan
Publish Date: Mon, 06 Sep 2021 06:30:00 AM (IST)
Updated Date: Mon, 06 Sep 2021 06:30:46 AM (IST)
Chhattisgarh Cow Protector: कृष्ण कुमार सिकंदर, रायपुर। छत्तीसगढ़ के शासकीय महाविद्यालय सूरजपुर में बतौर संविदा सहायक प्राध्यापक रहे मोहम्मद फैज को गिरीश पंकज के उपन्यास एक गाय की आत्मकथा ने ऐसा द्रवित किया कि वे गोकथा वाचक और गोरक्षक बन गए। राजनीतिक विज्ञान केप्राध्यापक फैजने दो साल बाद ही 2012 में नौकरी छोड़कर गायों की रक्षा का संकल्प ले लिया। उन्होंने गोकथा पर प्रवचन करना शुरू किया। गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर दिल्ली में अनशन भी कर चुके हैं।
मोहम्मद फैज ने 24 जून 2017 को गो सेवा सदभावना यात्रा निकाली। यह यात्रा लेह से कन्याकुमारी तक निकाली गई। दो सालों तक चली पदयात्रा में वह 15 हजार किलोमीटर चले और गोकथा कर लोगों को जागरूक किया। इसके माध्यम से उन्होंने देशभर में गायों की रक्षा के लिए जागरूकता पैदा करने का काम किया। इस दौरान उन्होंने इस्लाम में गाय के विषय परमुस्लिम विद्वानों के विचारोंं का संकलन तैयार किया है। मोहम्मद फैज की यह पदयात्रा भले ही 2019 में कन्याकुमारी पहुंचकर समाप्त हो गई, लेकिन गोरक्षा का उनका अभियान अनवरत जारी है। वह आज भी देशभर में गायों की महत्ता पर प्रवचन कर रहे हैं। अब उनकी पहचान राष्ट्रीय स्तर केगोकथा वाचकों में हो गई है। वह भारतीय गौ क्रांति मंच केभी सदस्य हैं।
मूल रूप से छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के निवासी फैज बताते हैं कि उनकेमाता-पिता सरस्वती शिशु मंदिर में शिक्षक हैं। उन्होंने राजनीतिशास्त्र में एमए किया है। महाविद्यालय में नौकरी के दौरान उन्होंने गिरीश पंकज का उपन्यास एक गाय की आत्मकथा को पढ़ा। इस कथा ने उसे द्रवित कर दिया। इसमें नायक भी एक मुस्लिम है। यहीं से अपने जीवन में उस किरदार को निभाने का संकल्प ले लिया। शुद्ध शाकाहारी फैज बताते हैं कि अब देसी गाय कम ही मिल रही है। उन्होंने कहा कि लोगों को गाय के दूध का सेवन करने के लिए प्रेरित करता रहता हूं। गाय हिंदू अथवा मुस्लिम का विषय नहीं है। गाय तो विश्व की माता है। गाय को कष्ट देने या मारने का हक किसी भी जाति या संप्रदाय को नहीं है।