रायपुर। Special Note on Chhattisgarh Assembly Foundation Day छत्तीसगढ़ राज्य का एक नवंबर 2000 को हुआ था। छत्तीसगढ़ विधानसभा की पहली बैठक राजधानी स्थित राजकुमार कालेज प्रांगण में जशपुर हाल में निर्मित सभागार में 14 दिसंबर को हुई थी। तब से प्रतिवर्ष 14 दिसंबर को विधानसभा स्थापना दिवस मनाया जाता है। जिस प्रकार राज्य स्थापना दिवस पर एक नवंबर पर शासकीय अवकाश घोषित किया जाता है, उसी प्रकार छत्तीसगढ़ विधानसभा की स्थापना दिवस पर भी वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष डा. चरणदास महंत ने विधानसभा के लिए विशेष अवकाश घोषित किया है। छत्तीसगढ़ विधानसभा ने अपनी संसदीय यात्रा में कई ऊंचाइयों को प्राप्त किया और नये कीर्तिमान भी स्थापित किए। जहां नवाचार के माध्यम से कई नई चीजों की शुरुआत की, वहीं विधानसभा में सभी विषयों पर पर्याप्त चर्चा हो और सभी सदस्यों को बोलने का अवसर प्राप्त हो, इस बात का भी प्रयास किया गया।
छत्तीसगढ़ विधानसभा को गौरव प्राप्त है कि भारत के राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम ने छत्तीसगढ़ विधानसभा में सदस्यों को 28 जनवरी 2004 को संबोधित किया। उसके बाद राष्ट्रपति प्रतिभा देवी पाटिल ने भी सभा में सदस्यों को संबोधित किया। छत्तीसगढ़ विधानसभा ने अपने नियमों में गर्भगृह पर प्रवेश करने पर स्वयमेव निलंबन का नियम बनाया और उसका परिणाम है कि सदस्य विरोध प्रकट करने के लिए सदन के गर्भगृह में सामान्य तौर पर नहीं आते। ऐसा नियम देश में पहली बार बना था। इसके साथ ही कितनी भी राजनीतिक प्रतिद्वंदिता क्यों न हो, उनका निलंबन भी आसंदी द्वारा तत्काल समाप्त कर दिया जाता है, ताकि सदस्य लोकहित के विषयों पर सदन में अपनी बात रख सकें। जीरो प्वाइंटर स्थित राजीव गांधी जल ग्रहण मिशन के भवन का चयन विधानसभा के लिए किया गया। इस भवन में विधानसभा के दूसरे सत्र और पहले बजट सत्र की पहली बैठक 27 फरवरी 2001 को हुई। वर्तमान आवश्यकताओं को देखते हुए नये सुसज्जित विधानसभा भवन का भूमि पूजन विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की गरिमामयी उपस्थिति में सोनिया गांधी द्वारा नवा रायपुर में किया गया है, जिसका निर्माण कार्य प्रारंभ हो गया है।
राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिली पहचान
छत्तीसगढ़ विधानसभा ने वर्ष 2005 में भारत के पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन और 2010 में चतुर्थ इंडिया एशिया रीजन राष्ट्रकुल संसदीय सम्मेलन का आयोजन किया। इसके साथ ही विधेयकों के प्रारूपण पर केंद्रित एक अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन वर्ष 2005 में किया गया। पत्रकारों के प्रशिक्षण के लिए देश के नामी पत्रकारों और संसदीय मामलों के जानकारों का व्याख्यान आयोजित किया गया।
विशेष सत्र ने बढ़ाया मान
छत्तीसगढ़ी बोली को राजभाषा का दर्जा देने संबंधी विधेयक प्रस्तुत होने के बाद ही छत्तीसगढ़ विधानसभा में छत्तीसगढ़ी में बोलने और उसके अनुवाद हेतु अनुवादकों की व्यवस्था की गई। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर छत्तीसगढ़ विधानसभा का विशेष सत्र भी अविस्मरणीय रहा। संभवत: देश के इतिहास में सबसे लंबी बैठक बिना किसी भोजन अवकाश के चलाने का गौरव भी छत्तीसगढ़ विधानसभा को प्राप्त है। 22 दिसंबर 2017 को अविश्वास प्रस्ताव पर लगातार 19 घंटे चर्चा चली। कोरोना काल में विधानसभा की कार्यवाही बिना किसी अवरोध के हो यह भी एक चुनौती थी, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष के निर्देशन में आवश्यक व्यवस्थाएं की गई। छत्तीसगढ़ विधानसभा ने अपनी 22 वर्ष की यात्रा में कई ऐसे कार्य किए, जिनकी सराहना न केवल लोकसभा अध्यक्षों ने बल्कि विभिन्न पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलनों में भी हुई है।