रायपुर/ बिलासपुर। Chhath 2020 in Chhattisgarh: लोक आस्था के महापर्व छठ के उत्साह उमंग में लोग डूबे हुए हैं। आज शाम अस्त होते सूर्य को श्रद्धालु कर देंगे और सुख समृद्धि की कामना करेंगे। अंबिकापुर महामाया मंदिर के पुजारी पंडित राधारमण पांडेय ने बताया कि आज सूर्यास्त का समय सरगुजा में शाम 5:25 बजे है। राजधानी रायपुर में आज सूर्यास्त का समय शाम 5 21 और कल सूर्योदय का समय 6 18 है। बिलासपुर में आज सूर्यास्त का समय शाम 5 18 और कल सूर्योदय का समय 6 17 है।
इसी दौरान श्रद्धालु सूर्य को अर्घ्य देंगे। उन्होंने बताया कि दूसरे दिन कल सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देंगे और निर्जला व्रत का पारण करेंगे।
कल सूर्योदय का समय पंचांग के अनुसार 6:48 बजे है। उन्होंने बताया कि सूर्य उपासना के इस महापर्व में श्रद्धालु घर-घर पूजन सामग्री व प्रसाद की तैयारियां कर चुके हैं। श्रद्धालु शाम होने का इंतजार कर रहे हैं। कल सुबह सूर्योदय के साथ ही व्रत का समापन हो जाएगा। सुबह उगते सूर्य को दूध और जल के साथ अर्घ्य देंगे। व्रती महिलाओं को अर्घ्य पुत्र या पुरोहितों के द्वारा दिलाया जाएगा। अर्घ्य देने के बाद हवन कर पूजन सामाप्त होगा।
सूर्य की किरणों में सात रंगों का समावेश होता है। जब हम जल अर्पित करते हुए उसके पार सूर्य की रौशनी को देखते हैं तो वह सप्तरंग किरणें स्पष्ट दिखाई देती हैं। यह सप्तरंग किरणें सुख, संपत्ति- संपदा, स्वस्थ्य, ऊर्जा, आत्मबल, यश कीर्ति, वैभव और खुशहाली के प्रतीक हैं। ऐसी मान्यता है कि सूर्यदेव को जल अर्पित करने से जीवन धन धान्य से भरपूर होता है। तरक्की में आ रही बाधाएं दूर होती हैं। ग्रह दोष के नकारात्मक प्रभाव खत्म होते हैं और जीवन में सुख शांति का वास होता है। सूर्य से साक्षात्कार आपमें आत्मविश्वास जगाता है।
अर्घ्य कैसे देना चाहिए
सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें और स्नान के बाद एक आसन लगाकर उत्तर दिशा की ओर मुंह कर खड़े हो जाएं। सामाने आपको सूर्य देवता के दर्शन होंगे। बंद आंखें से ललाट पर सूर्य के तेज को महसूस करें। इसके बाद आंखें खोलकर मंत्र का जाप करते हुए सूर्य नारायण को अर्घ्य दें। इस दौरान पात्र से गिर रही जलधारा में सूर्य की किरण को देखें।
अर्घ्य देते समय इस मंत्र का करें जाप
'ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते।
अनुकंपये माम भक्त्या गृहणार्घ्यं दिवाकर:।।' (11 बार)
11. ' ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय, सहस्त्रकिरणाय।
मनोवांछित फलं देहि देहि स्वाहा: ।।' (3 बार)
अर्घ्य देने के लिए तांबे के पात्र का उपयोग करें। चल चढा़ते वक्त उसमें मिश्री के कुछ दाने भी मिला लें। इससे यदि कुंडली में मंगल या कोई अन्य दोष हों तो उनसे मुक्ति मिलती है, ऐसी मान्यता है। इसके बाद हाथ में थोड़ा जल लेकर चारों दिशाओं में उसे छिड़कें। अपने स्थान पर तीन परिक्रमा कर सूर्य देव को नमन करें।