Chaitra Navratri 2022: यहां गिरा था माता सती का दाहिना स्कंध, जानिए मंदिर का इतिहास, कथा और महत्व
आदिशक्ति मां महामाया देवी की पवित्र पौराणिक नगरी रतनपुर (बिलासपुर) का प्राचीन और गौरवशाली इतिहास है।
By Kadir Khan
Edited By: Kadir Khan
Publish Date: Mon, 04 Apr 2022 09:54:48 AM (IST)
Updated Date: Mon, 04 Apr 2022 09:54:48 AM (IST)
Ratanpur Mahamaya Mandir Bilaspur रायपुर (नईदुनिया न्यूज)। आदिशक्ति मां महामाया देवी की पवित्र पौराणिक नगरी रतनपुर (बिलासपुर) का प्राचीन और गौरवशाली इतिहास है। मंदिर का मंडप नागर शैली में बना है। यह 16 स्तंभों पर टिका है। गर्भगृह में आदिशक्ति मां महामाया की साढ़े तीन फीट ऊंची प्रस्तर की भव्य प्रतिमा है। मां की प्रतिमा के पृष्ठ भाग में मां सरस्वती की प्रतिमा होने की मान्यता है, जो विलुप्त मानी जाती है।
मान्यता है कि भगवान शिव जब सती के मृत शरीर को लेकर तांडव करते हुए ब्रह्मांड में भटक रहे थे। उस समय भगवान विष्णु ने उनको वियोग मुक्त करने के लिए सुदर्शन चक्र से सती के शरीर टुकड़े कर दिए। माता के अंग जहां-जहां गिरे, वहीं शक्तिपीठ बन गए। यहां महामाया मंदिर में माता का दाहिना स्कंध गिरा था। माना जाता है कि नवरात्र में यहां की गई पूजा निष्फल नहीं जाती है।
1045 ईश्वी में राजादेव रत्नदेव प्रथम मणिपुर नामक गांव में रात्रि विश्राम एक वट वृक्ष पर किया। अर्धरात्रि में जब राजा की आंख खुली तो उन्होंने वृक्ष के नीचे आलौकिक प्रकाश देखा। वह यह देखकर चमत्कृत हो गए कि वहां आदिशक्ति श्री महामाया देवी की सभा लगी है। सुबह वे अपनी राजधानी तुम्मान खोल लौट गए और रतनपुर को अपनी राजधानी बनाने का निर्णय लिया। 1050 ई में श्री महामाया देवी का भव्य मंदिर निर्मित कराया। कहा जाता है कि जो भी इस मंदिर की चौखट पर आया वह खाली नहीं गया। कुंवारी लड़कियों को सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
ऐसे पहुंचे रतनपुर
यह पहुंचने सड़क, रेल या वायु मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है। यह मंदिर बिलासपुर श्ाहर 25 किलोमीटर की दूरी पर है। रतनपुर के लिए हर एक घंटे में बस सेवा उपलब्ध है। बिलासपुर रेलवे स्टेशन से भी रतनपुर की दूरी 25 किलोमीटर है। इसी तरह से वायु मार्ग से यह स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट, रायपुर से 141 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां केलिए दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्न्ई, हैदराबाद और बेंगलूरु से सीधी विमान सेवा उपलब्ध है।