CGPSC घोटाले में CBI की बड़ी कार्रवाई, नौकरी के बदले ली 45 लाख रिश्वत, पूर्व चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी गिरफ्तार
सीजीपीएससी घोटाले में पूर्व चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी और बजरंग पावर के डायरेक्टर एसके गोयल को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया है। यह पीएससी घोटाला वर्ष 2021 से जुड़ा है जिसमें अधिकारियों, कांग्रेस नेताओं और प्रभावशाली लोगों के 18 रिश्तेदारों का डिप्टी कलेक्टर रैंक पर चयन किया गया था।
By Ashish Kumar Gupta
Publish Date: Mon, 18 Nov 2024 06:41:40 PM (IST)
Updated Date: Tue, 19 Nov 2024 08:45:18 AM (IST)
पूर्व पीएससी अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी। फाइल फोटो HighLights
- गोयल पर रिश्वत देकर अपने बेटे और बहू को डिप्टी कलेक्टर बनाने का आरोप।
- 2023 में चयनित शशांक गोयल और भूमिका कटियार की मेरिट सूची में संदिग्धता।
- मामले में सीजी पीएससी के अन्य अधिकारियों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज।
राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, रायपुर। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) की राज्य सेवा भर्ती परीक्षा 2021 के घोटाले मामले में सोमवार को पूर्व पीएससी अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी को गिरफ्तार कर लिया है। इसके साथ ही बहू-बेटे को डिप्टी कलेक्टर बनाने के लिए रिश्वत देने के आरोप में ‘बजरंग पावर एवं इस्पात लिमिटेड’ के निदेशक श्रवण कुमार गोयल को भी गिरफ्तार किया गया है।
सीबीआई के मुताबिक दोनों का चयन कथित 45 लाख रुपये रिश्वत लेकर किया गया था। आरोप है कि गोयल ने ग्रामीण विकास समिति के जरिए 20 और 25 लाख रुपये के दो किस्तों में रिश्वत राशि का भुगतान किया था। सोनवानी के रिश्तेदार ग्रामीण विकास समिति के सदस्य थे। आरोप है कि गोयल के बेटे शशांक और बहु भूमिका कटियार को डिप्टी कलेक्टर बनाने के लिए ये रिश्वत दी गई थी। शशांक गोयल व भूमिका कटियार कांग्रेस नेता सुधीर कटियार के बेटी-दामाद हैं।
टॉपटेन सूची में मिला था तीसरा और चौथा स्थान
11 मई 2023 को सीजीपीएससी 2021 का अंतिम परिणाम जारी हुआ था। इसमें 15 अभ्यर्थी डिप्टी कलेक्टर के लिए चयनित हुए थे। इनमें शशांक गोयल ने तीसरा और जबकि उनकी पत्नी भूमिका कटियार ने चौथी रैंक हासिल की थी। इस सूची में 15 अभ्यर्थियों का चयन डिप्टी कलेक्टर के लिए हुआ था। संदिग्ध परिणाम आने के बाद अभ्यर्थियों और भाजपा के नेताओं ने भाई-भतीजावाद का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की थी।
आरोप था कि मेरिट सूची में पीएससी अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी के रिश्तेदारों व कांग्रेस पार्टी के नेताओं के करीबियों का फर्जी तरीके से चयन किया गया है। इन आरोपों के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल यह कहकर मामला टालते रहे कि उन्हें कोई ठोस सबूत देकर शिकायत करें तो कार्रवाई की जाएगी। मामले में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने जब जांच नहीं की तो भाजपा नेता व पूर्व गृह मंत्री ननकी राम कंवर ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी।
इसके बाद कोर्ट ने 18 अभ्यर्थियों की नियुक्ति को रोकने के आदेश दिए थे। वहीं विधानसभा चुनाव 2023 के पहले भाजपा ने इसे बड़ा मुद्दा बनाते हुए प्रदर्शन किया था। साथ ही चुनावी घोषणा पत्र में भाजपा की सरकार बनने पर सीबीआई से जांच कराने का वादा किया था। प्रदेश में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय सरकार ने सबसे पहले मामले की जांच की जिम्मेदारी आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो और एंटी करप्शन ब्यूरो को दी थी। बाद में मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी।
मामले में हुई थीं 48 शिकायतें
सीजीपीएससी में पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में हुई गड़बड़ी की 48 शिकायतें राज्यपाल, सीएम और मुख्य सचिव से की गई थी। आयोग ने सीजीपीएससी 2021 के लिए 171 पदों पर प्रारंभिक भर्ती परीक्षा 13 फरवरी 2022 को आयोजित की थी। इसमें 2565 लोग उत्तीर्ण हुए। 26 से 29 मई 2022 को हुई मुख्य परीक्षा में 509 अभ्यर्थी पास हुए थे।
साक्षात्कार के बाद 11 मई 2023 को 170 अभ्यर्थियों की सूची जारी की गई थी। भर्ती में गड़बड़ी और भ्रष्टाचार के आरोप में पीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी सहित सचिव जीवन किशोर ध्रुव, परीक्षा नियंत्रक आरती वासनिक समेत अन्य अधिकारियों के खिलाफ एक और एफआइआर हुई है। मामले में ये अब तक की पहली गिरफ्तारी है। जल्द ही अन्य पर भी सीबीआई शिकंजा कसेगी।