मृगेंद्र पांडेय, रायपुर। छत्तीसगढ़ की हारी हुई लोकसभा सीटों को अपने पाले में करने के लिए भाजपा संगठन और केंद्र सरकार ने मिलकर ताकत झोंक दी है। आकांक्षी जिलों के बहाने केंद्र सरकार तीन लोकसभा सीट कोरबा, बस्तर और राजनांदगांव पर फोकस कर रही है। इसमें कोरबा और बस्तर में कांग्रेस के सांसद हैं, जबकि राजनांदगांव में भाजपा सांसद हैं। यहां आकांक्षी जिलों की विकास योजनाओं के पड़ताल के लिए केंद्र सरकार ने तीन आइएएस नियुक्त किया है। यह आइएएस जिलों की योजनाओं की समीक्षा करके सीधे पीएमओ को रिपोर्ट देंगे। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से लेकर दस केंद्रीय मंत्रियों ने इन सीटों का दौरा किया है। यहां विकास के जरिए केंद्र सरकार जमीनी स्तर तक पहुंचने की तैयारी में है। भाजपा सूत्रों की मानें तो प्रदेश की कोरबा और बस्तर के साथ ही राजनांदगांव में पार्टी को आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कुछ दिक्कतें समझ में आ रही हैं। इनको दूर करने के लिए यह पहल की गई है।
भाजपा ने आगामी लोकसभा चुनाव में 300 से ज्यादा सीट पर जीत का लक्ष्य रखा है। प्रदेश की 11 लोकसभा सीट में से नौ पर भाजपा के सांसद हैं। राजनांदगांव लोकसभा सीट को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के प्रभाव वाली सीट माना जा रहा है। दुर्ग संभाग से भूपेश सरकार में चार-चार मंत्री है, जो जातिगत समीकरण के आधार पर चुनावी लाभ देने वाले माने जा रहे हैं। यहां साहू समाज से ताम्रध्वज साहू, अल्पसंख्यक समुदाय से मोहम्मद अकबर और एससी वर्ग से गुरु रुद्र मंत्री प्रभावी भूमिका में हैं। भाजपा में राजनांदगांव क्षेत्र में डा. रमन के अलावा ऐसा कोई नेता नहीं है, जो पूरी तरह दखल रखता हो। यही कारण है कि केंद्रीय संगठन के साथ टीम मोदी भी इस सीट को मजबूत करने की दिशा में काम कर रही है। टीम मोदी शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं के माध्यम से जनता का भरोसा जीतने की तैयारी में है। केंद्र सरकार की ओर से तैनात अधिकारी देखेंगे कि पिछले नौ साल में इन जिलों में कितना बदलाव आया है।
मतांतरण और सांप्रदायिक हिंसा पर रहेगी नजर
बस्तर में मतांतरण और राजनांदगांव में सांप्रदायिक हिंसा से तनाव है। प्रदेश के दस में से सात आंकाक्षी जिले बस्तर में ही हैं। यहां दो लोकसभा बस्तर और कांकेर में हैं। बस्तर में 1998 के बाद से 2019 तक भाजपा के सांसद थे। 1998 में बलीराम कश्यप पहली बार सांसद चुने गए और लगातार चार बार बस्तर का प्रतिनिधित्व किया। बलीराम की मौत के बाद हुए उपचुनाव में उनके बेटे दिनेश कश्यप को जीत मिली। दिनेश 2014 में भी सांसद चुने गए, लेकिन 2019 के चुनाव में पार्टी ने उनका टिकट काट दिया था।
कोरबा में भाजपा-कांग्रेस के बनते रहे सांसद
कोरबा लोकसभा सीट का गठन 2002 में हुए परिसीमन के बाद हुआ। 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के डा. चरणदास महंत ने जीत दर्ज की। इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के बंशीलाल महतो को जीत मिली। लेकिन 2019 के चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर कोरबा लोकसभा सीट में जीत दर्ज की और इस बार डा.महंत की पत्नी ज्योत्सना महंत सांसद चुनी गईं।
इन अधिकारियों को मिला जिम्मा-
आकांक्षी जिले बस्तर की जिम्मेदारी वित्त मंत्रालय में संयुक्त सचिव मुकेश बंसल, राजनांदगांव की जिम्मेदारी केंद्रीय कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय में पदस्थ मनिंदर कौर द्विवेदी और कोरबा की जिम्मेदारी डीओपीटी में पदस्थ रजत कुमार को दी गई है।
यह हैं प्रदेश के दस आकांक्षी जिले
बस्तर, सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर, कांकेर, कोंडागांव, कोरबा, राजनांदगांव, महासमुंद।