रायपुर (नईदुनिया, राज्य ब्यूरो)। छत्तीसगढ़ सरकार ने 'अपरा पैरी के धार, महानदी अपार, इंदिरावती हर पखारय तोरे पईयां महूं विनती करत तोर भुँइया, जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया' को प्रदेश का राजगीत घोषित किया है। इस गीत की रचना राज्य के प्रसिद्ध गीत और साहित्यकार डॉ. नरेंद्रदेव वर्मा ने की है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल डॉ. वर्मा के दामाद हैं। रविवार को साइंस कॉलेज मैदान में आयोजित राज्योत्सव के मंच से मुख्यमंत्री बघेल ने इस गीत को राजगीत बनाने की घोषणा की। इस गीत को राज्य सरकार के महत्वपूर्ण सरकारी कार्यक्रम और आयोजनों में बजाया जाएगा। इस गीत के रचनाकार स्व. डॉ. नरेंद्रदेव वर्मा छत्तीसगढ़ी परंपरा में रचे-बसे रहे। उनका जन्म चार नवंबर 1939 को वर्धा के सेवाग्राम में हुआ था। उनकी जयंती की पूर्व संध्या पर तीन नवंबर को सरकार ने छत्तीसगढ़ी में उनके गीत को राजगीत घोषित किया है। डॉ. वर्मा छत्तीसगढ़ी भाषा-अस्मिता की पहचान बनाने वाले गंभीर कवि थे। महज 40 वर्ष की उम्र में आठ सितंबर 1979 को रायपुर में उनका निधन हुआ था
छत्तीसगढ़ी भाषा-अस्मिता की डॉ. वर्मा ने बनाई पहचान
अरपा पैरी के धार, महानदी हे अपार के रचयिता स्व.डॉ. नरेंद्रदेव वर्मा ने छत्तीसगढ़ी भाषा की अस्मिता की पहचान राज्य से बाहर भी बनाई। उनकी तमाम रचनाएं खांटी छत्तीसगढ़ियां रंगों में रची-बसी और लोक को खुद से बांधे रखने वाली हैं। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी यशस्वी शिक्षक पिता स्व. धनीराम वर्मा के पांच पुत्रों में डॉ. वर्मा एकमात्र विवाहित और गृहस्थ थे। तीन पुत्र रामकृष्ण मिशन में समर्पित सन्यासी और एक पुत्र अविवाहित रहकर पं. रविशंकर विश्वविद्यालय में प्राध्यापक है और स्वामी आत्मानंद जी के स्वप्न केंद्र विवेकानंद विद्यापीठ के संचालक बने। डॉ. वर्मा ने छत्तीसगढ़ी भाषा व साहित्य का उद्विकास में रविशंकर विश्वविद्यालय से पीएचडी की और छत्तीसगढ़ी भाषा व साहित्य में कालक्रमानुसार विकास का महान कार्य किया।
कवि नाटककार, उपन्यासकार, कथाकार, समीक्षक और भाषाविद थे। इनका छत्तीसगढ़ी गीत संग्रह अपूर्वा है। इसके अलावा सुबह की तलाश (हिंदी उपन्यास), छत्तीसगढ़ी भाषा का उद्विकास, हिंदी स्वछंदवाद प्रयोगवादी, नई कविता सिद्धांत एवं सृजन, हिंदी नव स्वछंदवाद आदि प्रकाशित ग्रंथ हैं। इनका मोला गुरु बनई लेते छत्तीसगढ़ प्रहसन अत्यंत लोकप्रिय हुआ।
भूपेश को स्वामी जी ने चुना था मुक्तेश्वरी के लिए
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पत्नी मुक्तेश्वरी बघेल डॉ. वर्मा की ज्येष्ठ पुत्री हैं। दोनों का विवाह तीन फरवरी 1982 को हुआ था। भूपेश को मुक्तेश्वरी के लिए स्वामी आत्मानंद ने ही चुना। तब भूपेश अपने ट्रैक्टर से पशुचारा आदि लेकर विवेकानंद आश्रम रायपुर जाते थे।
ये गीत बना राजगीत
अरपा पैरी के धार, महानदी हे अपार।
इंदिरावती हा पखारय तोर पईयां महूं पांवे परंव तोर भुंइया।
जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया सोहय बिंदिया सहीं, घाट डोंगरी पहार।
चंदा सुरूज बनय तोर नैना सोनहा धाने के अंग, लुगरा हरियर हे रंग।
तोर बोली हावय सुग्घर मैना अंचरा तोर डोलावय पुरवईया।
महूं पांवे परंव तोर भुंइया जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया।
रयगढ़ हावय सुग्घर, तोरे मउरे मुकुट।
सरगुजा अउ बिलासपुर हे बइहां रयपुर कनिहा सही घाते सुग्घर फबय।
दुरुग बस्तर सोहय पैजनियां नांदगांव नवा करधनिया।
महूं पांवे परंव तोर भुंइया जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया।