रायपुर। छत्तीसगढ़ में बढ़ते वन अपराधों को रोकने के लिए वन विभाग ने बारिश के बाद 15 वन मंडलों में डिजिटलयुक्त बैरियर लगाने की पूरी तैयारी कर ली है। ये बैरियर सरगुजा, धमतरी, कवर्धा, महासमुंद, गरियाबंद, जशपुर वन मंडल सहित 15 वन मंडलों में लगाया जायेगा और यह सोलर से संचालित होगा। प्रत्येक बैरियर बनाने में कैंपा मद से 16 लाख रुपए का खर्च होगा। इससे पूर्व वन मुख्यालय के निर्देश पर 27 डिजिटल बैरियर का निर्माण किया जा चुका है। वर्तमान में वन अपराधों पर अंकुश लगाने राज्य के अंदर 247 और 31 अंतरराज्यीय वनोपज जांच चौकियां है।
वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि वन क्षेत्र से बड़े पैमाने पर जलाऊ और ईमारती लकड़ी तस्करी के साथ जंगली जानवरों के शिकार करने की हमेशा आशंका बनी रहती है। हर महीने ऐसे कई प्रकरण सामने आ रहे है। ऐसे में अंतरराज्यीय वनोपज जांच चौकियों डिजिटलयुक्त बनाने का काम किया जा रहा है। जहां से सभी बैरियर डिजिटल युक्त करने में पौने सात करोड़ रुपए खर्च किया जाएगा।
राज्य के छह वन सर्किल रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, सरगुजा, कांकेर तथा जगदलपुर तथा वनमंडल में 34 और रेंज स्तर पर 212 स्ट्राइक फोर्स वन अपराधों पर अंकुश लगाने का काम कर रही हैं। इनकी मानिटरिंग वन मुख्यालय स्तर पर होती है। साथ ही वन मुख्यालय ने लकड़ी की तस्करी रोकने टोल फ्री नंबर 18002337000 जारी किया है। इस नंबर के माध्यम से कोई भी वन विभाग को लकड़ी तस्करी से लेकर वन अपराध से संबंधित शिकायत वन मुख्यालय से कर सकते हैं।
सीसीटीवी कैमरे से निगरानी
वन अफसरों के मुताबिक जांच चौकियों में डिजिटल युक्त बैरियर बनाने की योजना पूर्व पीसीसीएफ राकेश चतुर्वेदी ने बनाई थी। वहां बिजली की समस्या से निजात पाने सोलर के माध्यम से कंप्यूटर सिस्टम सहित अन्य इलेक्ट्रानिक उपकरणों को संचालित किया जाएगा। हाईटेक बैरियर में कंप्यूटर सिस्टम के अलावा, डे-नाइट माड वाला सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे, जिससे वन क्षेत्र में आने-जाने वाले हर वाहनों पर नजर रखी जा सकेगी। इसके साथ ही बिजली से स्वचलित बूम बैरियर लगाए जाएंगे।
वन तस्करी मामले में दस प्रतिशत की कमी
वन मुख्यालय से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2020 की तुलना में वर्ष 2021 में वन तस्करी के मामले में 10 प्रतिशत की कमी आई है। जबकि वर्ष 2019 की तुलना में वर्ष 2021 में 6 प्रतिशत वन अपराध कम घटित हुए हैं। वर्ष 2019 में वनोपज तस्करी के 22 हजार 196 प्रकरण दर्ज कर 39 लाख 35 हजार रुपए जुर्माना राशि वसूल की गई थी। वहीं वर्ष 2020 में वनोपज तस्करी के 23 हजार 258 प्रकरण दर्ज कर 43 लाख 62 हजार रुपए जुर्माना राशि वसूल की गई थी, जबकि वर्ष 2021 में 20 हजार 965 वनोपज तस्करी के मामले दर्ज कर 96 लाख 37 हजार रुपए जुर्माना राशि वसूली की गई थी।
वन अपराध पर अंकुश लगाने में मिलेगी मदद
वन मुख्यालय के अधिकारियों ने बताया कि वनों की निगरानी बढ़ाने के साथ जांच चौकियों के आधुनिकीकरण करने से वन अपराधों पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी।