रायपुर (दीपक शुक्ला)। एक ओर जहां खेल और खिलाड़ियों को बढ़ावा देने के तमाम प्रयास किए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर 12 बच्चों का ओलंपियन बनने का सपना टूटने लगा है। ये बच्चे छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के पुरई गांव के हैं। इन्हें ओलंपिक का सपना दिखाने के बाद भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) भूल गया है। बता दें भारतीय खेल प्राधिकरण ने बच्चों का जिम्मा उठाया था। अंतरराष्ट्रीय स्वीमिंग पूल से लौटकर एक बार फिर वह गांव के तालाब में तैराकी सीख रह हैं। वहीं बासी भात खाने को मजबूर हैं।
दरअसल इन बच्चों को साई द्वारा गुजरात गांधी नगर अंतरराष्ट्रीय आवासीय अकादमी के लिए चयनित किया था। जहां केंद्रीय खेल मंत्री ने उनकी तारीफ भी की थी। गांधी नगर में एक वर्ष तक बच्चे वहां ट्रेनिंग लिए। इसके बाद कोरोना के दौरान सभी खेल और अकादमी को बंद करने की घोषणा कर दी गई। सब को घर भेज दिया गया। सब कुछ ठीक होने के बाद फिर से वापस बुलाया जाना था। लेकिन लगभग दो वर्ष से ज्यादा समय बीत गया इनकी सुध लेने के लिए कोई नहीं आया।
2018 में बच्चों को चयन के बाद लेकर गई थी टीम :
तीन वर्ष पहले नईदुनिया-जागरण ने राष्ट्रीय स्तर पर खबर प्रकाशित की थी। जिसके बाद साई की टीम ने बच्चों का सलेक्शन किया था। इसके बाद उन्हें गुजरात गांधी नगर अंतरराष्ट्रीय आवासीय अकादमी भेजा गया। जहां एक साल से ज्यादा समय तक बच्चों ने अभ्यास किया। कोराेना की वजह सभी को वापस गांव भेज दिया गया। इसके बाद अब तक कोई सुध नहीं ले रहा। अब वह फिर एक बार गांव के तालाब में तैरने को मजबूर है।
गांधी नगर में शुरू हो गई है आवासीय अकादमी :
मिली जानकारी के अनुसार अब अंतरराष्ट्रीय आवासीय अकादमी की शुरुआत हो गई है। वहां कुछ खिलाड़यों को परिक्षण भी दिया जा रहा है। हालांकि अब तक इन बच्चों को कोई भी सूचना नहीं आई है। न ही इनको बुलाया गया है।
ओलंपिक के लिए करवाई जा रही थी तैयारी :
अंतरराष्ट्रीय अकादमी में बच्चों को ओलंपिक के स्तर की तैयारी करवाई जा रही थी। अंतरराष्ट्रीय स्तर के कोच ट्रेनिंग दे रहे थे। खिलाडि़यों के परफार्मेंस में भी काफी सुधार हुआ था।
ये हैं खिलाड़ी :
सिद्धार्थ ओझा, रवि ओझा, समर्थ ओझा, लोभ ओझा, लकी ओझा, लोकेश कुमार, दोमन लाल देवांगन, चंद्रकला, हेमलता, धनु ओझा और भूमिका ओझा।
इस मामले में कोच ओम ओझा का कहना है कि एक बार फिर गांव में उसी तालाब में तैर रहे हैं। 12 बच्चों का चयन गांधी नगर अंतरराष्ट्रीय अकादमी ले जाया गया था, लेकिन कोरोना के दौरान सब वापस आ गए। इसके बाद से उन्हें तालाब में सीख रहे हैं। कई बार अधिकारियों से बात की गई, लेकिन अब तक कोई परिणाम सामने नहीं आया। वहीं साई प्रभारी, रायपुर केसी त्रिपाठी का कहना है कि मेरी जानकारी में अभी नहीं है। पूरी जानकारी लेकर आगे भेजने के लिए पूरा प्रयास किया जाएगा। साई के उच्च अधिकारियों से इस विषय में चर्चा की जाएगी।