लोकमाता अहिल्याबाई थी आदर्श कन्या आदर्श माता व आदर्श प्रशासिका : जैन
लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की त्रिशताब्दी समारोह समिति के तत्वावधान में सेमरा स्थित स्वामी आत्मानंद शासकीय अंग्रेजी माध्यम विद्यालय में नपं के पूर्व अध्यक्ष व भाजपा के नेता रामजी श्रीवास ने कहा लोकमाता अहिल्याबाई आदर्श कन्या, आदर्श माता व आदर्श प्रशासिका थी। समाज के लोग उनसे प्रेरणा लें।
By Yogeshwar Sharma
Publish Date: Wed, 20 Nov 2024 12:18:58 AM (IST)
Updated Date: Wed, 20 Nov 2024 12:18:58 AM (IST)
HighLights
- सेमरा स्थित स्वामी आत्मानंद शासकीय अंग्रेजी माध्यम विद्यालय में आयोजन
- छात्रों को में इसके उद्देश्य के बारे में बताया गया
- समरसता का संदेश देने के लिए अभियान चलाने की बात कही
नईदुनिया न्यूज, पेंड्रा : लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की त्रिशताब्दी समारोह समिति के तत्वावधान में सेमरा स्थित स्वामी आत्मानंद शासकीय अंग्रेजी माध्यम विद्यालय में नपं के पूर्व अध्यक्ष व भाजपा के नेता रामजी श्रीवास ने कहा लोकमाता अहिल्याबाई आदर्श कन्या, आदर्श माता व आदर्श प्रशासिका थी। समाज के लोग उनसे प्रेरणा लें।
भाजपा के जिला उपाध्यक्ष नीरज जैन एवं समिति के सदस्य अभिषेक शर्मा ने संबोधित किया। प्राचार्य और राजकीय सम्मान से सम्मानित नरेंद्र तिवारी, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के जिला संयोजक मथुरा सोनी ने इसके उद्देश्य के बारे में बताया। जिला अध्यक्ष जनार्दन श्रीवास ने कार्यक्रम पर विस्तार से विद्यालय परिवार को अवगत कराया एवं सभी बच्चों से आग्रह किया लोकमाता के जीवन दर्शन को समझ कर अपने जीवन में अनुग्रहित करें। नीरज जैन ने उनके जीवन के विभिन्न महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाला। मुख्य अतिथि श्रीवास ने समाज के उत्थान में और समाज में समरसता का वातावरण पैदा करने के लिए अहिल्याबाई होल्कर की त्रि शताब्दी समारोह को मील का पत्थर बताया। उन्होंने बताया कि महत्वपूर्ण कार्य करने के कारण उन्हें मातोश्री लोकमाता व,मातेश्वरी की उपाधि से अलंकृत किया गया। उन्होंने बताया कि होनहार बिरवान के होत चिकने पात,यानी कि अहिल्याबाई एक कृषक परिवार में जन्म ली थी और भगवान शिव की परम भक्त थीं।। अचानक एक दिन मराठा साम्राज्य के मल्हार राव होलकर पुणे की तरफ जा रहे थे और उन्होंने अहिल्याबाई को अपनी पुत्रवधू बनाने का प्रस्ताव उनके पिताजी मनकौजी शिंदे के सामने रखा और उसके बाद उनका विवाह हो गया। और वे मल्हारराव होल्कर के घर में पुत्रवधू बनकर आ गई। इसके बाद लगातार संघर्ष का सिलसिला जारी हुआ और सास ससुर का उन्होंने अपनी सेवा से दिल जीत गृहस्थी के सभी काम को ठीक से करने लग गई। इस बीच अहिल्याबाई के दो संतान एक पुत्र दूसरी पुत्री हुई। पुत्र का नाम मालेगांव व पुत्री का नाम मुक्ताबाई रखा गया। यह वह समय है जबकि अहिल्याबाई होल्कर की गिनती भारत की महान नारियों में होने लगी थी। फिर एक स्थिति ऐसी पैदा हुई की महाराज मल्हार राव और उनके पुत्र खंडेराव ने भरतपुर में चढ़ाई कर दी इस युद्ध में खांडेराव की मृत्यु हो गई। अपने पति के मृत्यु से दुखी होकर अहिल्याबाई सती होना चाहती थी। किंतु ससुर के समझाने पर उन्होंने सती ना होने का फैसला किया। इसके बाद साहस, बहादुर व सेवा के द्वारा एक कुशल सेनानी की भांति पूरा जीवन उन्होंने व्यतीत किया। उनके द्वारा लोककल्याण के जितने कार्य हुए हैं ,उतने कार्य किसी भी शासन में नहीं हुआ। इसी कारण उन्हें मातृश्री नाम से संबोधित की गई। प्राचार्य तिवारी ने अतिथियों का शाल श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह देकर अभिनंदन किया। कार्यक्रम में राज्यश्री कुमबज,बीरबल दास बघेल, समीर सिंह कमर, आशा लता वैष्णव, उषा साहू,रचना शुक्ला, जेरीका सिंह,जितेश कुमार दास ,राजेंद्र पाल सिंह सोनिया ठाकुर ,राबिया, अर्चना तिवारी ने नरगिस रहीम ,कल्याणी दुबे, श्रवण साहू ,उपस्थित थे।
छात्रों को प्रेरणा लेने प्रोत्साहित किया गया
सरगांव : संत शिरोमणि गुरु रविदास महाविद्यालयमें लोक प्रशासन विभाग द्वारा भी त्रिशताब्दी समारोह आयोजित किया गया। इसमें अधिवक्ता और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग संपर्क प्रमुख राजकुमार गुप्ता ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए जीवनी पर प्रकाश डाला, और कैसे देश को एकता के सूत्र में बांधते हुए, धार्मिक, सामाजिक रूप से जागृत रहते हुए, देश के अंदर कीर्ति को स्थापित किया। इस अवसर पर जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष कैलाश ठाकुर, बहोरन वर्मा, पंकज वर्मा, नरेंद्र शर्मा,पार्षद विष्णु राजपूत, प्रशिक्षक पियूष साहू, प्राचार्य डा़ एमवी बखला, डा़ स्वाति तिवारी, प्रो़ अमन टोप्पो, डा़ देवेंद्र साहू, प्रो़ मनीष माथुर, डा़ हंसा तिवारी, डा़ भारती भोंसले एवं एनसीसी और एनएसएस व छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।