मुंगेली(नईदुनिया न्यूज)। देवांगन समाज के तत्वावधान में सात दिवसीय माता परमेश्वरी महोत्सव और महापुराण कथा के समापन के बाद प्रतिमा का विसर्जन सूरीघाट में किया गया।
देवांगन मोहल्ला के भट्टबाड़ा में हवन पूजन के बाद शोभायात्रा झांकी निकाली गई। इसमें बड़ी संख्या में समाज के लोग शामिल रहे। शोभायात्रा में देवांगन समाज की बालिकाएं कलश यात्रा में आगे चल रही थी। समापन के अवसर पर झांकी के साथ माता परमेश्वरी की प्रतिमा के आगे जसगीत करते आदिवासी लोक नृतक चल रहे थे। ज्ञात हो कि इससे पूर्व कथावाचक किशनराव के द्वारा हवन पूजन किया गया।कथा में प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। भायात्रा के साथ प्रतिमा का विसर्जन किया गया। जो देवांगन मोहल्ले से प्रारंभ होकर बालानी चाौक, गोल बाजार चाौक, सदर बाजार, पुराना बस स्टैंड, पड़ाव चाौक सहित नगर के प्रमुख मार्गों से होते हुए सूरीघाट पहुंची । प्रतिमा के विसर्जित के बाद रात में भंडारा आयोजित किया गया। सुबह होम हवन के बाद शाम को समाज के लोगों ने अपने- अपने प्रतिष्ठानें बंद कर बाइक रैली निकाली। शोभायात्रा में देवांगन समाज के अध्यक्ष आनंद देवांगन, युवा अध्यक्ष दुर्गेश देवांगन सहित जिले भर के लोग शामिल थे।
आध्यात्मिक जीवन
आवश्यक : किशन राव
परमेश्वरी कथा के व्यास कथा वाचक किशन राव ने कहा जीवन में आध्यात्मिकता आवश्यक है। इससे वे बहुत सारे समस्या स्वमेव नष्ट हो जाती है। उन्होंने कहा माता परमेश्वरी के प्रति श्रद्धालुओं में आस्था गहरी है। इसी कारण श्रद्धालु उत्सव में भाग लेते हैं।
गुरु के प्रति अनन्य भाव से समर्पण आवश्यक
लोरमी। सिद्ध बाबा आश्रम विकास समिति बिचारपुर में आयोजित श्रीरामचरित मानस कथा में स्वामी शिवानंद पहुंचे । उन्होंने कहा गुरु के प्रति अनन्य भाव से समर्पण आवश्यक है वे ही मार्गदर्शक होते हैं।
स्वामी सदानंद जी की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए स्वामी शिवानंद बिचारपुर में पहुंचने पर हरी संकीर्तन मंडली ने स्वागत किया मनियारी नदी की समीप स्थित आश्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल रहे। स्वामी द्वारा संचालित 33 आश्रमों से एक सिद्ध बाबा आश्रम बिचारपुर भी है। उन्होंने सर्वप्रथम रामकुटी में जाकर चरण पादुका की पूजा कर एवं मां मनियारी नदी में श्रीफल भेंटकर आशीर्वाद प्राप्त किए। इसके बाद भक्तों को आर्शीवचन में नवधा भक्ति की महिमा को बताते हुए कहा कि गुरु के सामने कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए एक भक्ति भाव है। दास भक्ति ईश्वर या अपने गुरु के प्रति सेवा भाव है। आत्म निवेदन अपने शरीर, मन और आत्मा को भगवान को समर्पित करना है, ताकि उनकी शरण ली जा सके, जगत भर को समभाव से मुझमें ओतप्रोत (राममय) देखना और संतों को मुझसे भी अधिक करके मानना है, जो कुछ मिल जाए, उसी में संतोष करना और स्वप्न में भी पराए दोषों को नहीं देखना चाहिए। इस अवसर पर सिद्ध बाबा आश्रम विकास समिति के सभी सदस्य बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। समिति के द्वारा भंडारे आयोजित किया इसमें दूर दूर से पहंुचे श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।