आनंद साहू। महासमुंद।
जिले के सबसे बड़े बांध कोडार जलाशय सावन महीने में भी सूखा-सूखा सा है। बांध बनने के बाद 35 वर्षों में ऐसा दूसरी बार हुआ है, जब बांध में इतनी कम जल भराव की स्थिति बनी है। वर्ष 1981-82 में शहीद वीरनारायण सिंह के नाम पर कोडार जलाशय का निर्माण हुआ। बाद अकाल की स्थिति में वर्ष 1988-89 में बांध में केवल 9.70 फुट पानी भरा था, जो अब तक का सबसे कम भराव है। इस वर्ष गर्मी के सीजन में तालाबों को भरने पानी छोड़े जाने के बाद बांध में 4 फुट पानी ही शेष रह गया था। मानसूनी बारिश में देरी और जिले में औसत वर्षा का अब तक केवल 70 प्रतिशत बारिश होने से बांध में अभी जल भराव महज 10 फुट है। जो बांध के फुल टैंक लेबल का महज 16.91 प्रतिशत है। जिले के एकमात्र वृहद सिंचाई परियोजना कोडार जलाशय से महासमुंद ब्लॉक के 49 गांवों के 16750 हेक्टेयर खेतों की सिंचाई होती है। बांध में कम पानी भरे होने से इन गांवों के किसानों की चिंता बढ़ गई है। खेती-किसानी के लिए सभी को सावन की झड़ी का इंतजार है, जिससे कोडार बांध लबालब हो सके।
पिछले साल अवर्षा और गर्मी में बांध सूखा करने का परिणाम
कोडार बांध में जलभराव की कमी का सबसे बड़ा कारण गत वर्ष जिले में सूखे (अवर्षा) की स्थिति और बाद में गर्मी के दिनों में निस्तारी के लिए तालाब भरने बांध का पूरा पानी नहरों में बहा दिए जाने को माना जा रहा है। यह जलाशय महासमुंद क्षेत्र के 49 गांवों की खेती का तारणहार है। बांध में पर्याप्त पानी भर जाने के बाद बायीं तट नहर के बेमचा से लेकर चिंगरौद तक 32 गांवों के किसानों की चिंता दूर हो जाती है। इसी तरह दायीं तट नहर के गांव कौंआझर से तुमगांव-भोरिंग क्षेत्र के 17 गांवों में इस बांध से सिंचाई होती है। कोडार की सिंचाई क्षमता 16750 हेक्टेयर है। इससे महासमुंद ब्लॉक के 25 से 30 हजार किसान सीधे प्रभावित होते हैं। बांध में सामान्यतः आषाढ़-सावन के महीने में 50 प्रतिशत तक जल भराव हो जाता है। इस साल बांध में 22 जुलाई की स्थिति में जलभराव केवल 16.91 प्रतिशत हुआ है। इससे किसानों का चिंतित होना स्वभाविक है।
एक रात में ढाई फुट भरा बांध
अधिकारिक जानकारी के अनुसार इस साल बांध के कैचमेंट एरिया में अपेक्षाकृत कम बारिश हुई है। जलाशय का कैचमेंट एरिया बागबाहरा तहसील क्षेत्र के ज्यादातर गांव हैं। कोडार नाला का उद्गम स्थल जुनवानीखुर्द (बागबाहरा) है। जुनवानीखुर्द से कोडार बांध तक के क्षेत्र में इस साल अभी सबसे कम 49 फीसदी बारिश हुई है। इस वजह से बांध का जलभराव प्रभावित हुआ है। गुरुवार 21 जुलाई की रात हुई अच्छी बारिश से एक दिन में बांध करीब ढाई फुट भरा। हल्की और रिमझिम बारिश होने से खेती का काम तो जैसे-तैसे हो जा रहा है। किंतु, नदी-नाले और खेतों से बहकर पानी बांध तक नहीं पहुंच पाने से यह हालात निर्मित हुआ है।
मवेशियों का चरागाह बना बांध
कोडार जलाशय के सूखे की हालात का मुआयना करने पहुंचे इस प्रतिनिधि ने देखा कि जहां लबालब पानी भरा होता था, वहां हरे-हरे घास उग आए हैं। इसके चलते आरबीसी (दायीं तट नहर) क्षेत्र के बांध में मवेशी स्वच्छंद विचरण कर चारा चर रहे थे। गर्मी के दिनों में निस्तारी के नाम पर पानी को बेधड़क बहाए जाने से यह स्थिति निर्मित हुई है। गौरतलब है कि 50 गांवों के तालाबों को भरने गर्मी के दिनों में करीब महीनेभर तक नहरों में पानी बहाया गया था। 27 जून को जब पट खोला गया तब बांध में 7.70 फुट पानी भरा था। जो 7 जून की स्थिति में 4 फुट ही शेष रह गया। अब तक की बारिश में बांध में जलभराव करीब 6 फुट बढ़ा। इस तरह बांध में वर्तमान में जलभराव 10 फुट है। बांध का फुल टैंक लेबल 30.50 फुट है।
जिले में अब तक केवल 72 फीसदी बारिश
मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार महासमुंद जिले में 22 जुलाई की स्थिति में औसत 363.8 मिमी बारिश हुई है। जिले की वार्षिक औसत वर्षा 1434.2 है। इस अवधि तक होने वाले वर्षा का महज 72 प्रतिशत ही बारिश हुई है। इसे खेती के लिए पर्याप्त नहीं माना जा रहा है। वर्षा पर आश्रित किसानों की खेतों में रोपाई और बियासी का काम अटका पड़ा है। हालांकि, 21 जुलाई की रात हुई अच्छी बारिश से खेती के काम में कुछ तेजी आने के आसार हैं। किसान, बियासी और रोपाई के लिए अच्छी बारिश का इंतजार कर रहे हैं। सावन के महीने में अभी दिन में तेज धूप और उमस वाली गर्मी से किसानों की परेशानी बढ़ी है। 21 जुलाई की रात सबसे ज्यादा 97 मिमी बारिश महासमुंद और सबसे कम 29 मिमी बारिश पिथौरा तहसील क्षेत्र में हुई है। सराईपाली क्षेत्र में 94.4 मिमी, बागबाहरा में 58 और बसना में 40 मिमी बारिश दर्ज की गई है। 15 जून से अब तक बारिश की स्थिति में सबसे ज्यादा 453.4 मिमी बारिश महासमुंद और सबसे कम 213 मिमी बारिश बागबाहरा तहसील में दर्ज की गई है।
---