Koriya News : एसईसीएल ने 600 साल पुराने शिव मंदिर की खुदाई स्थल को ब्लास्ट से उड़ाया
सरगुजा संभाग में आने वाले एमसीबी जिले के चिरमिरी इलाके में कोल माइंस के लिए 600 साल पुराने शिव मंदिर के अवशेष को ब्लास्ट कर एसईसीएल ने उड़ा दिया। 14वी सदी के तालाब को भी माइंस में तब्दील कर दिया गया। कोर्ट के आदेश पर पुरातत्व विभाग के द्वारा मंदिर के अवशेष और मूर्तियों को खोदकर वहां से दो किलोमीटर दूर स्थापित करने का काम चल रहा था।
By Yogeshwar Sharma
Edited By: Yogeshwar Sharma
Publish Date: Wed, 08 May 2024 09:19:52 PM (IST)
Updated Date: Wed, 08 May 2024 09:19:52 PM (IST)
नईदुनिया न्यूज,चिरमिरी : सरगुजा संभाग में आने वाले एमसीबी जिले के चिरमिरी इलाके में कोल माइंस के लिए 600 साल पुराने शिव मंदिर के अवशेष को ब्लास्ट कर एसईसीएल ने उड़ा दिया। इतना ही नहीं 14वी सदी के तालाब को भी माइंस में तब्दील कर दिया गया। जबकि कोर्ट के आदेश पर पुरातत्व विभाग के द्वारा मंदिर के अवशेष और मूर्तियों को खोदकर वहां से दो किलोमीटर दूर स्थापित करने का काम चल ही रहा था, वहीं पुरातत्व विभाग के अफसरों का कहना है कि माइंस से ब्लास्ट से पहले पुरातत्व विभाग से एसईसीएल को एनओसी लेना था लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
चिरमिरी से तीन किलोमीटर दूर बरतुंगा में एक प्राचीन मंदिर का अवशेष था जिसे लोग सती मंदिर मानकर पूजा करते थे, लेकिन यहां ज़ब एसईसीएल ने ओपन खदान शुरू करने का प्लान बनाया तो पूर्व पार्षद हर भजन सिंह हाई कोर्ट चले गए, कोर्ट ने मामले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण आफ इंडिया को तलब किया। लेकिन उसके अफसरों ने जवाब दिया कि यह स्थल उनके द्वारा संरक्षित नहीं है लेकिन कोर्ट ने कहा कि वहां माइंस खोलने के लिए मंदिर के अवशेष को जिला प्रशासन पुरातत्व विभाग की देखरेख में दूसरी जगह शिफ्ट किया जाए और मंदिर का रूप दिया जाए। इस पर जिला प्रशासन ने छत्तीसगढ़ सरकार के पुरातत्व विभाग को मंदिर स्थल की खुदाई का जिम्मा दिया और खुदाई के साथ ही मंदिर के अवशेष को पुरातत्व विभाग के अफसर बरतुंगा से दो किलोमीटर दूर ले जाकर शिफ्ट करने लगे। अफसरों की माने तो खुदाई कर शिफ्टिंग का काम चल ही रहा था कि एसईसीएल ने वहां ब्लास्ट कर दिया और पुरातात्विक साईट नष्ट हो गया, पुरातत्व विभाग के अफसरों का कहना था कि ज़ब हम पूरी तरह संतुष्ट हो जाते कि पुरातात्विक खनन हो गया है और सभी मंदिर के मूर्ति व पत्थर निकल गए हैं तब हम खनन बंद करते। इसके बाद कोल माइंस के लिए ब्लास्ट करने से पहले एसईसीएल के द्वारा पुरातत्व विभाग से एनओसी लिया जाता और फिर कोल माइनिंग के लिए ब्लास्टिंग होता लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
पुरातत्व विभाग के अफसरों का कहना है कि ब्लास्ट से पहले तक खुदाई में जितने भी मूर्ति और शिवलिंग मिले हैं, मंदिर के जितने पत्थर मिले हैं हमने उसे कोठारी गांव में लाकर रखा है, वहां उन्हीं पत्थर से मंदिर बनेगा लेकिन सारे पत्थर असुरक्षित हैं तो मूर्तियों को अस्थाई रूप से साईट में एक कमरे में रखा गया है। आचार संहिता के कारण मंदिर के निर्माण के लिए टेंडर भी नहीं हो पा रहा है। वहीं 33 लाख रुपये एसईसीएल ने दिया है वह पैसा भी मंदिर निर्माण में कम पड़ेगा। बता दें कि 600 साल पहले मंदिर जितना बड़ा था ठीक उसी आकर में उसी डिजाइन में बनाने की कोशिश होगी। पुरातत्व विभाग के अफसरों ने जमीन की सतह से ढाई मीटर तक खुदाई कर मूर्तिया और मंदिर के पत्थर निकाले हैं लेकिन वहां और भी मूर्ति व पत्थर हों सकते थे, जानकारों की माने तो ऐसे स्थल पर 130 मीटर की दूरी तक न कोई निर्माण किया जा सकता है और न ही ब्लास्ट।
नहीं लिया एनओसी: जेआर भगत
पुरातत्व विभाग के डिप्टी डायरेक्टर जेआर भगत का कहना है कि पुरातत्विक साईट पर हम पत्थर और मूर्ति निकाल रहे थे, वहां ब्लास्ट करने से पहले एसईसीएल को हमसे एनओसी लेना चाहिए था। हम उन्हें व जिला प्रशासन को कारण बताओ नोटिस देंगे। यह नियम के विपरीत है।
एनओसी की जरूरत नहीं: मनीष सिंह
एसईसीएल के सब एरिया मैनेजर मनीष सिंह का कहना है कि पुरातत्व विभाग से हमें ब्लास्ट करने के लिए एनओसी लेने की कोई जरूरत नहीं थी, मजदूरों ने कहा पूरी मूर्ति निकाल लिए इसलिए हमने ब्लास्ट किया। पुरातत्व वाले बेकार की बात कर रहें हैं।