
कोरबा (नईदुनिया प्रतिनिधि)। अपलाइन में उरगा से ठीक पहले का रास्ता ऊंचा होने का एक और नुकसान सामने आया है। यहां से गुजर रही कोयला लोड मालगाड़ी का इंजन जब फाटक पार कर रहा था, तभी उसके पहिए पटरियों पर घिसटने लगे। अचानक वहां से चिंगारी उठती देख गेट पर ड्यूटी दे रहे गेटमैन ने स्टेशन खबर कर ट्रेन रुकवाई। जांच में पता चला कि इस घटना में कुछ जगह रेलपात की सतह छिल गई है। पटरियों पर पहियों की रगड़ से निर्मित इस घटना को व्हील बर्न कहा जाता है। अब यहां से सामान्य गति में ट्रेनों का आवागमन जारी रखने के लिए क्षतिग्रस्त पटरियों को बदलना होगा।
रेलवे से मिली जानकारी के अनुसार उरगा-भैसमा रेलवे फाटक (किलोमीटर 694- 2931) पर यह घटना शुक्रवार की शाम 4.24 बजे की है। हरी झंडी लेकर यहां ड्यूटी पर तैनात फाटकमैन वाल्मीकि कर्ष ने देखा कि इंजन के गुजरने के दौरान उसके पहियों और पटरी के बीच घिसटने से चिंगारी निकल रही है। इस घटना से कहीं कोई दुर्घटना न हो, इस आशंका के मद्देनजर वाल्मीकि ने तत्काल इसकी जानकारी अपने उच्चाधिकारियों को दी और उरगा स्टेशन को सूचित कर वहां से गुजर रही उस मालगाड़ी को रोका गया। मालगाड़ी के गुजरते समय भैसमा फाटक जो बंद हुआ, उस घटना के बाद उसे आम राहगीरों से नहीं खोला गया। सूचना मिलने पर कोरबा रेलवे स्टेशन से तकनीक अमला मौके पर पहुंचा और जांच शुरू की। जांच में प्राथमिक तौर पर यही जानकारी आई है कि इंजन के पहिए घिसटने से पटरियों की सतह कुछ जगह पर छिलट गई है, जिससे अब वह ट्रेनों के द्रुत गति से आवागमन या परिचालन के योग्य नहीं रह गई हैं। क्षतिग्रस्त पटरियों को बदलने की जरूरत है, ताकि बिना किसी घटना-दुर्घटना की शंका के परिवहन जारी रखा जा सके। इस बीच शाम करीब पौने छह बजे तक उरगा-भैसमा फाटक को आम राहगीरों के आने-जाने के लिए बंद रखा गया था।
गेटमैन की सतर्कता से हादसा टला
घटना के समय फाटक मैन वाल्मीकि कर्ष ड्यूटी पर मौजूद था, जिसने सबसे पहले पटरियों पर से चिंगारियों को उठते देखा। उन्होंने सूझ-बूझ और सतर्कता का परिचय देते हुए तत्काल ट्रेन के चालक-परिचाल, स्टेशन मास्टर व रेलवे के अपने उच्चाधिकारियों को सूचित किया। इस तरह समय रहते न केवल उसे मालगाड़ी को रोका गया, उस मार्ग पर क्षतिग्रस्त पटरी से गुजरने वाली दूसरी मालगाड़ियों को भी तकनीकी जांच हो जाने तक न गुजरने की कवायद सुनिश्चित की जा सकी। विशेषकर शाम के समय गुजरने वाली लिंक एक्सप्रेस व अन्य यात्री ट्रेनों के लिए त्वरित कवायद शुरू करते हुए किसी अन्य घटना-दुर्घटना की तमाम आशंकाओं पर रोक लगाई जा सकी।
डेढ़ घंटे विलंब से गई लिंक एक्सप्रेस
भैसमा में व्हील बर्न की घटना के बाद दोनों ओर आने-जाने वाली एमटी व कोयला लोड मालगाड़ियों की आवाजाही थम गई थी। यहां कोरबा रेलवे स्टेशन में लिंक एक्सप्रेस को भी रवाना नहीं किया जा रहा था। ट्रेन में सवार यात्री परेशान हो रहे थे और स्टेशन में अनाउंसमेंट किया जाता रहा कि किसी प्रकार की तकनीकी समस्या के चलते ट्रेन को नहीं छोड़ा जा रहा। सोचने वाली बात यह है कि आखिर रेल प्रशासन किसी घटना को छुपाने का प्रयास क्यों करता है। इसकी बजाय अगर स्पष्ट हो कि आगे पटरियों पर हुई घटना के बाद यात्री ट्रेन का गुजरना सुरक्षित नहीं, तो परेशान होने की बजाय शांत होकर यात्री सहयोग करने लगें। ट्रेन डेढ़ घंटे विलंब होकर शाम 5.30 बजे रवाना की गई।
सुधार तक काशन स्पीड में गुजरेंगी ट्रेनें
प्राथमिक जांच में रेलवे के तकनीकी अमले ने जो पता लगाया है, उसके अनुसार अब उन क्षतिग्रस्त पटरियों पर ट्रेनों की सामान्य आवाजाही नहीं हो सकेगी। इसके लिए उन पटरियों को बदलकर नया लगाना होगा और तभी बिना किसी तकनीकी परेशानी के ही मालगाड़ियों का परिचालन या परिवहन पूरी रफ्तार से हो सकेगा। इन क्षतिग्रस्त पटरियों को बदलने और अपेक्षित सुधार की अन्य कार्रवाई पूर्ण करने कुछ दिनों का समय लगेगा। इसके लिए निर्धारित प्रक्रिया और मुख्यालय की अनुमति समेत सुधार कार्य पूर्ण करने के बाद ही ट्रेनों को उनकी निर्धारित गति पर चलाया जा सकेगा और तब तक यहां से ट्रेनें काशन स्पीड यानि 20 किमी प्रति घंटे से गुजरेंगी।