कोरबा (नईदुनिया प्रतिनधि) बांगो बांध के पानी भराव में क्षेत्र में साल दर साल कीचड़ की परत बढ़ रही है। इससे उसकी जल संग्रहण क्षमता घटने लगी है। जल संसाधन विभाग की ओर से रिमोर्स सेंसर टेक्निक से जांच करने पर 15 साल के अंदर 151 मिलियन क्यूबिक मीटर जल संग्रहण कम होने की बात सामने आई है। बारिश के दौरान उपरी क्षेत्र से आने वाली पानी के साथ हर साल मिट्टी भी बहकर आती है। समय रहत कीचड़ नहीं निकाली गई तो सिंचाई के अलावा उद्योगों को पानी की आपूर्ति प्रभावित होगी।
बांगों बाध की कुल जल भराव क्षमता 3046 मिलियन क्यूबिक मीटर है। मिट्टी भराव के कारण इसकी क्षमता 2894 मिलियन क्यूबिक मीटर हो गई है। वजह यह है कि जल के भरती वर्ष-दर- वर्ष मिट्टी की परत बांध की जल सतह पर बढ़ती जा रही है। इसकी जांच जल संसाधन विभाग ने रिमोर्ट सेंसर टेक्निक से जांच कराया है। यह वह तकनीक है जो इस बात की जानकारी देते है कि वर्षवार मिट्टी की परत कितनी जमी है। जल संसाधन विभाग ने दो साल पहले निदान के लिए मिट्टी निकालने के लिए प्राक्कलन तैयार राशि 10 करोड़ राशि की मांग की थी। राशि आवंटन के अभाव में अभी तक काम शुरू नहीं हो पाया है। बांध की सुरक्षा की दृष्टि से यह आवश्यक है। बांगो बांध के पानी से 24 छोटे-बड़े औद्योगिक संयंत्र के अलावा रायगढ़, जांजगीर तीन लाख 62 हजार हेक्टेयर कृषि भमि में को जलापूर्ति होती है। इससे जल संसाधन को प्रति वर्ष 68 करोड़ का राजस्व मिलता है। करोड़ों की कमाई देने के बाद भी बांध अपनी सुरक्षा के लिए मोहताज है। सुरक्षा की दृष्टि केवल बांध की गहराई ही नहीं बल्कि गेट की रंगाई के लिए भी राशि स्वीकृत नहीं हुई है।
दर्री बांध में भी पड़ रहा असर
बांगो बांध की तरह मिट्टी भराव का असर दर्री बांध में पड़ रहा है। बराज के भराव का भी जल संसाधन ने तकनीकी आंकलन करया है। बराज में बांध के भूमिगत सतह से 941 इंच तक पानी का भराव किया जाता है। इससे अधिक होने पर गेट खोल दी जाती है। बराज का कुल जल संग्रहण क्षेत्र 7723 वर्ग किलो मीटर है। पूरे भराव क्षेत्र में मिट्टी भरने का असर होने से जल भराव 15 प्रतिशत कम हो गया है। दर्री बांध के दाय और बाए तट नहर से जलापूर्ति होती हैं। मिट्टी भराव का असर नहर में भी देखी जा रही।
पानी की बढ़ती मांग के बीच घट रही गहराई
पानी का उपयोग सिंचाई और उद्योग के अलावा निस्तारी के लिए भी होता है। अकेले शहरी क्षेत्र दो बड़े जल आवर्धन योजनाओं से शहर के नौ लाख आबादी को जल आपूर्ति होती है। शहर के अलावा अब उपनगरीय क्षेत्रों व अन्य जिलों में पेयजल निदान के लिए पानी की मांग बढ़ने लगी है। ऐसे में जल भराव क्षमता में कमी योजनाओं के विफलता का कारण बन सकता है। लगातार दो वर्षो से बांध में पूर्ण भराव के कारण पानी की समस्या नही हुई है। इस बार मानसून की निष्क्रियता देखी जा रही है। पूर्ण भराव नहीं हुई तो इसका सीधा असर सिंचाई और औद्योगिक संयंत्रों की आपूर्ति पर होगा।