PG College hostel : कोरबा । जिले के शासकीय इंजीनियर विश्वेश्वरैया स्नातकोत्तर कालेज में नवीन शैक्षणिक सत्र के साथ चहल पहल तो बढ़ गई लेकिन परिसर में निर्मित छात्रावास भवन में अब भी वीरानी छाई है। चार साल पहले तीन करोड़ की लागत से बेटियों के लिए निर्मित 100 व 50 सीटर दो छात्रावास इस साल भी शुरू नहीं हुई। अधीक्षकए रसोइयाए सुरक्षा कर्मीए भृत्य व फर्नीचरए बेड जैसे संसाधन सुविधा की स्वीकृति नहीं मिलने से संचालन संभव नहीं हो पा रहा। शहर के सबसे बड़े कालेज में छात्रावास की सुविधा नहीं होने से दूर दराज से आकर पढ़ने वाली बेटियों के किराए में कमरे लेकर पढ़ाई करनी पड़ रही है।
बेटी बचाओं और बेटी पढ़ाओ जैसे नारे के सामने पीजी कालेज परिसर में बना कन्या छात्रावास जिले के शिक्षा नीति के लिए सवाल बन कर रह गया। उच्च शिक्षा विभाग की ओर से शहर के मुख्य कालेज में आधारभूत संरचना के लिए कोई कमी नहीं की गई है। इसी कड़ी में छात्रावास का भी निर्माण किया गया है। तीन करोड़ खर्च करने के बाद भी आज तक इनका संचालन शुरू नहीं किया जा सका है। कालेज में चार हजार विद्यार्थी अध्ययनरत हैंए इनमें छात्राओं की संख्या लगभग दो हजार हैं। कालेज परिसर में बनी दोनों ही छात्रावास छात्राओं के लिए है। छात्रावास में स्वीकृत पदों के साथ फर्नीचर बेड आदि की व्यवस्था नहीं की गई। करोड़ों खर्च के बाद भी छात्राओं को निजी मकानों में रहना पड़ रहा है। 150 सीटर छात्रावास के दो भवन हैं। इनमें 100 सीटर छात्रावास को कालेज प्रबंधन ने हस्तांतरण ले लिया है। 50 सीटर दूसरा भवन को भी निर्माण एजेंसी ने पूरा कर लिया है पर इसको अभी आधिपत्य में नहीं लिया गया है। कालेज परिसर में जिस उद्देश्य को लेकर छात्रावास का निर्माण हुआ है वह अब भी अधूरा है। ग्रामीण अंचल की छात्राएं उच्च शिक्षा की सुविधा को लेकर मायूस हैं।
सिटी बस बंद होने से दोगुनी हुई समस्या
पहले सिटी बस संचालन होता था तब रियायत किराया में छात्राएं कालेज का सफर कर लेती थीं। अब वह भी बंद हो गया है ऐसे में छात्राओं कालेज पहंचने के लिए अधिक खर्च करना पड़ा है। करतला और कोरबा विकास खंड के दूर दराज गांवों आने वाली छात्राओं बस व आटों का प्रतिदिन का किराया 200 से 250 रुपये लगता है। छात्रावास होता तो छात्राएं यहां रहकर पढ़ाई कर सकती थी। सुविधा के अभाव में कालेज में अभी से नियमित विद्यार्थियों की उपस्थित कम दिखाई देने लगी है।
बाउंड्रीवाल सुविधा का अभाव
महाविद्यालय परिसर में छात्रावास की स्वीकृति सात साल पहले मिली थी। इसमें बाउंड्रीवाल का निर्माण भी शामिल है। उच्च शिक्षा विभाग से 100 सीटर छात्रावास की स्वीकृति मिली उसके बाद 50 सीटर छात्रावास बना है। दोनों छात्रावास कालेज कैंपस में हैं लेकिन सुरक्षा के दृष्टि से कैंपस के भी छात्रावास में बाउंड्रीवाल बनाने के लिए एनटीपीसी ने सीएसआर मद से बाउंड्रीवाल के लिए भी 80 लाख स्वीकृत किए थे उक्त राशि पुराने बाउंड्रीवाल का मरम्मत कराया गया। छात्रावास के लिए अलग से बाउंड्रीवाल अभी तक नहीं बना है।
अन्य कालेजों में भी यही स्थिति
इसे विडंबना ही कह सकते हैं कि जिले के सरकारी कालेजों में पीजी कालेज के अलावा मिनीमाता और शासकीय कालेज कटघोरा में भी छात्रावास भवन उपलब्ध है। तीनों स्थानों पर हास्टल बनकर तैयार हैए किसी का भी संचालन शुरू नहीं किया गया है। शासन स्तर पर हास्टलों के संचालन को लेकर कोई भी ठोस पहल नहीं की गई। महाविद्यालय प्रबंधन पत्राचार करते रहते हैं और फाइलें मोटी होती चली जा रही हैं। हास्टल का संचालन अब तक शुरू नहीं हो सका है।
छात्रावास संचालन के अधीक्षिकाए रसोईयाए लिपिकए सुरक्षा कर्मी जैसे पदों की शासन से स्वीकृति नहीं मिली है। फर्नीचरए बेड जैसी भी सुविधाएं उपलब्ध नहीं है। इसके लिए शासन को पत्र लिखा जाता रहा। इस बार रायपुर जाकर उच्च शिक्षा विभाग को समस्या से अवगत कराएंगे ताकि छात्रावास का सुविधा जिले के छात्राओं के मिल सके।
आरके सक्सेना, प्राचार्य, ईवी पीजी कालेज