भू- विस्थापितों ने बंद कराया सराईपाली खदान, आश्वासन पर हुआ खत्म
सराईपाली बूड़बूड़ कोयला खदान को भू-विस्थापितों ने बंद कर धरना में बैठ गए। उनका कहना है कि प्रबंधन द्वारा पुनर्वास (बसाहट) के मुआवजा राशि में बढ़ोत्तरी और आउट सोर्सिंग कंपनी में काम करने वाले चालक, हेल्पर को एचपीसी दर से वेतन, मेडिकल, सुरक्षा उपकरण समेत अन्य मांग का निराकरण नहीं किया गया। बाद में त्रिपक्षीय वार्ता में प्रस्ताव मुख्यालय भेजे जाने के आश्वासन पर आंदोलन समाप्त किया गया।
By Manoj Kumar Tiwari
Publish Date: Thu, 07 Nov 2024 01:24:29 PM (IST)
Updated Date: Thu, 07 Nov 2024 01:24:29 PM (IST)
खदान बंद करा धरना में बैठे भू-विस्थापित, नईदुनिया HighLights
- सराईपाली बूड़बूड़ कोयला खदान को भू-विस्थापितों ने बंद कर धरना में बैठ गए।
- पुनर्वास और आउट सोर्सिंग कामगारों को एचटीसी दर से वेतन देने समेत अन्य की मांग।
- त्रिपक्षीय वार्ता में प्रस्ताव मुख्यालय भेजे जाने के आश्वासन पर आंदोलन समाप्त किया गया।
नईदुनिया प्रतिनिधि, कोरबा। एसईसीएल कोरबा क्षेत्र अंतर्गत सराईपाली परियोजना में मध्य प्रदेश पुनर्वास निति के तहत अर्जन की प्रक्रिया पूरी की गई थी और उसी नीति के आधार पर हर खातेदार को एक रोजगार दिया जाना था। किंतु प्रशासन की मदद से एसईसीएल ने कोल इंडिया पालिसी के अनुसार रोजगार प्रदान किया जिससे छोटे खातेदारों को रोजगार से वंचित होना पड़ा। भू-विस्थापित परिवार को जमीन के बदले मात्र 1.24 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा दिया गया और अब बसाहट के एवज में तीन लाख रुपये दिया जा रहा है।
पिछले दो साल से आंदोलन कर रहे
ग्रामीण मुआवजा राशि 15 लाख की मांग करते हुए पिछले दो साल से आंदोलन कर रहे हैं । इन दो सालों में तीन बार एसईसीएल के उच्चाधिकारियों सहित ,जिला प्रशासन के मध्य तीन बार त्रिपक्षीय वार्ता किया गया और हुए समझौता के अनुसार आठ लाख रुपये बसाहट राशि दिए जाने का लिखित समझौता हुआ है, जिसे मुख्यालय के बोर्ड में अब तक निराकरण नही किया जा सका है। इससे भू-विस्थापितों में नाराजगी व्याप्त है और उन्होंने अनिश्चितकाल के लिए खदान बंद करा आंदोलन शुरू कर दिया।
सभी नियम हर खदान में लागू किया जाए
भू- विस्थापित कल्याण समिति बूड़बूड़ के अध्यक्ष तिरिथ राम केशव ने कहा कि पिछली बार हुए समझौता के अनुसार आठ लाख रुपये बसाहट राशि और आउट सोर्सिंग कामगारों को हाई पावर कमेटी के अनुसार पेमेंट नही दिया जाता है, तब तक आंदोलन को वापस नही लिया जाएगा। आंदोलन को ऊर्जाधानी भू-विस्थापित किसान कल्याण समिति ने भी समर्थन देते कहा कि मेगा प्रोजेक्ट में लागू सभी नियम हर खदान में लागू किया जाए।
बोर्ड में प्रस्तुत कर लिया जाएगा अनुमोदन,खदान बंद कराने पर प्रबंधन ने वार्ता की पहल की।
विधायक तुलेश्वर सिंह मरकाम, अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) पाली, तहसीलदार, पुलिस की उपस्थिति में एसईसीएल प्रबंधन व भू-विस्थापितों के मध्य बैठक हुई। इस दौरान प्रति परिवार को तीन लाख रुपये विस्थापन राशि एवं अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि पांच लाख रुपये करने हेतु मुख्यालय में लंबित प्रस्ताव को दो माह के भीतर एसईसीएल बोर्ड में प्रस्तुत कर अनुमोदन लेने का प्रयास किया जाएगा। इस पर भू-विस्थापित कल्याण समिति, ग्रामवासी व एसईसीएल प्रबंधन के मध्य आपसी सहमति बनी और हड़ताल समाप्त की गई।
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आंगनबाड़ी कार्यकर्ता- सहायिकाओं का एक दिवसीय हड़ताल आठ को, जिला पदाधिकारियों ने अपर कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन
अपर कलेक्टर को हड़ताल की सूचना संबंधीज्ञापन सौंपती आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका,
नईदुनिया प्रतिनिधि, कोरबा। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका संयुक्त मंच के तत्वावधान में कार्यकर्ताओं ने आठ नवंबर को एक दिवसीय हड़ताल की घोषणा की है। केंद्र सरकार से नियमितिकरण की मांग को लेकर कार्यकर्ताओं ने मांगपत्र अपर कलेक्टर को सौंपा है। संगठन के जिला अध्यक्ष वीणादेवी साहू ने बताया कि पंचायतीराज के अधीन छत्तीसगढ़ राज्य में कार्यरत पंचायतकर्मी, शिक्षाकर्मी, स्वास्थ्यकर्मी सभी को नियमित कर दिया गया। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिकाओं को अभी तक नियमित नहीं किया गया है।
साहू का कहना है केंद्र और राज्य सरकार ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिकाओं को नियमित करने की बात कही थी। अभी तक सरकार ने अपने वादे को नहीं निभाया है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के वेतन को 21,000 रुपये व कार्यकर्ताओं का मानदेय 17,850 रुपये किया जाए।
मांग पूरा नहीं होने पर कार्यकर्ता सहायिका हड़ताल पर मजबूर हैं। संगठन अध्यक्ष ने कहा कि आठ नवंबर को जिले की सभी कार्यकर्ता व सहायिका आंगनबाड़ी केंद्र बंद कर शहर के तानसेन चौक में धरना प्रदर्शन होंगी। सुबह 10 बजे प्रदर्शन शुरू होगा। अपने मांग पत्र का ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंपा जाएगा।