कोरबा (नईदुनिया प्रतिनिधि)। कोयला कर्मियों के 11 वें वेतन समझौता पर रोक लगाने अधिकारियों के याचिका को हाई कोर्ट बिलासपुर ने खारिज कर दिया है। हिंद मजदूर सभा (एचएमएस) की तरफ से अधिवक्ता ने दलील प्रस्तुत करते हुए अधिकारियों को मिल रहे वेतनमान के लाभ को सिलसिलेवार ढंग से कोर्ट के समक्ष रखा। कोर्ट ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद कोयला कामगारों के वेतन समझौता-11 को लागू करने पर रोक लगाने से इंकार कर दिया। वित्त मंत्रालय की डीपीई गाइड लाइन की अनदेखी की मसले की अगली सुनवाई की तिथि चार सितंबर निर्धारित की गई है।
साउथ ईस्टर्न कोलफिल्डस लिमिटेड (एसईसीएल) समेत कोल इंडिया में संबद्ध कंपनी में कार्यरत कर्मियों के 11 वां वेतन समझौता पर जेबीसीसीआई की बैठक में मई माह में मुहर लगी थी और कोयला मंत्रालय की स्वीकृति के बाद इसे लागू कर दिया गया। एसईसीएल के 19 अधिकारियों ने आपत्ति जताते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि डीपीई गाइड लाइन का उल्लंघन कर वेतन समझौता किया गया है और इससे अधिकारियों के वेतन से कर्मचारियों का वेतन ज्यादा हो गया है। सोमवार को इस याचिका पर सुनवाई होने की जानकारी मिलते ही श्रमिक संघ प्रतिनिधि भी लामबंद हो गए।
हिंद मजदूर सभा (एचएमएस) के महामंत्री नाथू लाल पांडेय ने अपने अधिवक्ता एडिशनल एडवोकेट जनरल सुनील ओटवानी व शिवांसु पांडेय के माध्यम से हस्तक्षेपकर्ता के रूप मे कोर्ट में प्रस्तुत हुए। इसमें एक जनवरी 1996, एक जनवरी 2006, एक जनवरी 2007 में हुए समझौतों में केंद्रीय वेतन आयोग छह व सात के समकक्ष वेतन लाभ लेने वाले अधिकारी संवर्ग द्वारा अचानक कोयला मजदूरों के वेतन समझौते से तुलना और रोक की मांग करने का विरोध करते हुए न्यायालय को बताया गया कि कोयला मजदूरों ने वेतन आयोग समकक्षता के प्रस्ताव को वर्ष 1996 से ही नकार दिया था और छह वेतन समझौते इस अवधि में हो चुके है।
कोयला मजदूरों का राष्ट्रीय कोयला वेतन समझौता डिपार्टमेंट आफ पब्लिक इंटरप्राइजेज (डीपीई) की अनुमति से ही पांच वर्षों के लिए औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 के सामूहिक सौदेबाजी के अधीन होता आया है और सुप्रीम कोर्ट आफ इंडिया ने राष्ट्रीय कोयला वेतन समझौता को औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 की धारा दो पी के तहत सेटलमेंट माना है। इसलिए अधिकारियों की यह याचिका स्वीकार नही की जानी चाहिए। इस पर विद्वान न्यायाधीश ने प्रस्तुत तर्कों को स्वीकार करते हुए अधिकारियों की याचिका में एचएमएस के हस्तक्षेप याचिका को स्वीकार करते हुए स्थगन देने से इंकार कर दिया। याचिका पर अगली सुनवाई चार सितंबर को है।
कोयला कर्मचारियों की जीत: पांडेय
एचएमएस के केंद्रीय महामंत्री नाथू लाल पांडेय ने बताया कि कोयला कर्मियों ने कभी भी अधिकारियो के वेतन समझौता व सुविधाओं पर आपत्ति नहीं की, पर अधिकारियों द्वारा 11 वां वेतनमान पर रोक लगाने की याचिका दायर करने गलत है। इससे पूरे कोल इंडिया के श्रमिक वर्ग में रोष व्याप्त है। उच्च न्यायालय ने अधिकारियों से कहा कि कर्मचारियों के वेतन समझौता क्या उन्होंने हस्ताक्षर किए हैं। उन्होंने कहा कि यह कोयला मजदूरों की जीत है। एचएमएस ने मजदूरों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है।
कर्मचारियों ने राहत की सांस
हाई कोर्ट में अधिकारियों द्वारा दायर की गई याचिका के बाद कोयला कर्मियों को बढ़े हुए दर से वेतन मिलने पर संशय की स्थिति निर्मित हो गई थी, पर अधिकारियोें की याचिका खारिज होने से कर्मचारियों ने राहत की सांस ली। वहीं कोयला कर्मियों को जून माह वेतन सोमवार को नए वेतनमान के तहत बढ़े हुए दर पर बैंक खाता में डाल दिया। कर्मियों ने बताया कि प्रबंधन की मंशा थी कि वेतन भुगतान बढ़े हुए दर पर न करना पड़े, इसलिए सुबह से रोक कर रखा गया। उच्च न्यायालय में हुई सुनवाई के बाद दोपहर तीन वेतन भुगतान किया गया। यहां बताना होगा कि 19 प्रतिशत मिनिमम गारंटी बेनीफिट का लाभ नए वेतनमान में कर्मियों को मिला है।