पांचवीं सदी में किया था पाई का आविष्कार गणितज्ञ आर्यभट्ट ने
इसका मान वृत्त की परिधि और उसके व्यास के अनुपात के बराबर होता है। गणित
By Devendra Gupta
Edited By: Manoj Kumar Tiwari
Publish Date: Sat, 16 Mar 2024 02:32:39 PM (IST)
Updated Date: Sat, 16 Mar 2024 02:32:39 PM (IST)
बच्चों ने मानव श्रृंखला से बनाया पाई का प्रतीक चिन्ह नईदुनिया न्यूज, कोरबा। संपूर्ण विश्व में पाई दिवस मनाया जाता है। गणितीय स्थिरांक पाई की खोज महान गणितज्ञ एवं खगोल शास्त्री आर्यभट्ट ने की थी । शासकीय हाई स्कूल स्याहीमुड़ी में विश्व पाई दिवस मनाया गया। सभी बच्चों ने इस गणितीय नियतांक का पाई श्रृंखला प्रतीक चिन्ह बनाकर पाई दिवस मनाया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही प्राचार्य डा फरहाना अली ने बताया कि अपरिमेय संख्या पाई एक गणितीय स्थिरांक है। पाई का आविष्कार भारत के महान गणितज्ञ आर्यभट्ट ने 4700 साल पहले पांचवीं सदी में की थी ।इन्होने ही बताया कि पाई का मान लगभग 3.1415926535 के बराबर होता है।
अर्थात दशमलव के बाद इसका अंत नहीं है । इसका मान वृत्त की परिधि और उसके व्यास के अनुपात के बराबर होता है। गणित की व्याख्याता प्रभा साव ने बताया कि पाई एक गणितीय प्रतीक है ,जिसे प्राचीन यूनानी में पी आइ,अपरेक्स , लोअरकेस, कर्सिव में अलग-अलग प्रकार से सांकेतिक किया गया है। पाई का उपयोग वृत्त के विभिन्न अवयवों का मान ज्ञात करने के लिए किया जाता है। यह वृत्त की परिधि एवं व्यास के अनुपात के बराबर होता है। पाई का दूसरा मान 22/7 है। जिसका उपयोग गणनाओं के लिए किया जाता है। इस प्रकार बच्चों को सभी व्याख्याओं द्वारा पाई एवं पाई दिवस की महत्ता को समझाया गया । पाई दिवस पर संस्था की वरिष्ठ व्याख्याता प्रभा गुप्ता ,सरोजिनी उईके, पुष्पा बघेल एवं संगीता मानिकपुरी उपस्थित रहे।