कोरबा। नईदुनिया प्रतिनिधि
भारतीय संगीत में साधना और दर्शन की झलक स्पष्ट मिलता है। हमारे संगीत पर पश्चिमी संगीत कभी हावी नहीं हो सकती। यह अनुभव का विषय है कि पाश्चात्य ट्यून से हमेशा पैर हिलता है, लेकिन शास्त्रीय संगीत से सिर। भारतीय संगीत आवाज है, जिसे रूह से अनुभव किया जाता है, पाश्चात्य संगीत की तरह शोर नहीं।
यह बात मोहम्मद हुसैन और अहमद हुसैन ने प्रेस से मिलिए कार्यक्रम के दौरान कही। उन्होंने बताया कि वे बाल्कों में आयोजित सांगीतिक कार्यक्रम में शामिल होने आए हैं। मो. हुसैन ने बताया कि वे पिछले 55 वर्षों गायन कर रहे हैं। उनकी संगीत यात्रा में छत्तीसगढ़ का विशेष महत्व रहा है। मै हवा हूं कहां वतन मेरा जैसे गजल की प्रस्तुति पहली बार छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में ही की गई। उन्होंने बताया कि बेहतर संगीत का दौर कभी खत्म नहीं होता। राग से रोगों का इलाज संभव है पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि रागों की रचना समय के अनुसार हुई है। राग जब आत्म को सुकून दे सकता है तो रोग दूर करने में कारगर क्यों नहीं होगा। पाकिस्तानी संगीत के जानकारों को भारत बुलाया जाना चाहिए या नहीं, इस सवाल के जवाब में अहमद हुसैन ने कहा कि हमारे देश की जब उन्हें कदर नहीं तो उनके कलाकारों को बुलाने से क्या पᆬायदा। वार्ता के दौरान हुसैन बंधुओ ने अपनी कुछ संगीत रचनाओं को गाकर सुनाया। पिᆬल्मों में गायन के बारे में उन्होंने बताया कि वर्तमान में जिस तरह की पिᆬल्में बन रही है, उसमें गजल की गुंजाइश कम ही होती है। पिᆬल्मों से हट गजल सुनने वाले बहुत है। हमारा सौभाग्य है कि लोगों ने हमारी आवाज को पसंद किया। उन्होंने कहा कि उनके उस्ताद कहा करते थे कि अपनी पहचान खुद बनाओ। संगीत क्षेत्र में रियाज करने वाले ही राज करते हैं। वार्ता के दौरान हुसैन बंधुओं के अलावा बाल्को के अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।