कोरबा (नईदुनिया प्रतिनिधि)। जिले में 1145 शिक्षकों का प्रधानपाठक पद में पदोन्नति काउंसिलिंग में आरोप- प्रत्यारोप थमने का नाम नहीं ले रहा। दीपका प्राथमिक शाला में पदस्थ शिक्षिका सावित्री का कहना है व हार्ट की मरीज है और जिस स्कूल में पदस्थ है व प्रधान पाठक बनने के लिए पात्र है। इसके बावजूद भी उसके स्थान पर पाली विकासखंड के किसी दूसरे शिक्षक को पदस्थ कर दिया गया है। इस तरह की कई शिकायतों के साथ अब शिक्षक कलेक्टर कार्यालय की ओर रूख कर रहे हैंं।
प्रायमरी स्कूलों में पदस्थ सहायक शिक्षक से पदोन्नत होकर प्रधानपाठक बनने पर पदस्थापना के लिए जिला स्तरीय काउंसलिंग गुरूवार को भी जारी रही। अंतिम चरण की में बुलाए गए 300 प्रधानपाठकों की काउंसलिंग सुबह 11 बजे शुरू हुई। विद्युत गृह स्कूल क्रमांक एक में चल रही काउंसलिंग के तीसरे दिन भी वरीयता क्रम में पदांकन पाने स्कूल चुनने प्रधानपाठकों को बुलाया गया। काउंसलिंग टीम के समक्ष पहुंचने पर पसंद का स्कूल नहीं मिलने से अधिकांश नाराज प्रधानपाठक नाराज दिखे। वहीं जिनकी पदस्थापना हो गई, वे खुश नजर आए। काउंसलिंग में कुछ ऐसे प्रधानपाठक भी थे, जो जहां पदस्थ रहते हुए पदोन्नत हुए हैं और वहां प्रधानपाठक का पद खाली है। इसके बाद भी उन्हे दूसरी जगह पदस्थ कर दिया गया है। ऐसे लोग अपने पसंद के स्कूल में पदस्थापना की मांग करते रहे लेकिन उन्हे नहीं दी गई। प्रधान पाठक जेपी कोसले का कहना है कि पदस्थापना को लेकर नियम का पालन नहीं किया गया। इसकी शिकायत मैने कलेक्टर से की है। बताना होगा कि असंतुष्ट शिक्षकों ने अब कोर्ट जाने का मन बना लिया है। कोर्ट में फिर से अपील की गई तो प्रक्रिया फिर से निरस्त होने की आशंका बढ़ गई है। शिकक्षों की हडताल व धरना प्रदर्शन से पहले ही शिक्षा का स्तर दयनीय है। पदस्थापना को लेकर यही दशा रही तो आगामी शैक्षणिक सत्र में पढाई बाधित होगी।
सामान्य महिलाएं भी वरीयता क्रम में शामिल
पदोन्नत प्रधानपाठकों को काउंसिलिंग के माध्यम से जिले के सभी ब्लाकों के प्रायमरी स्कूलों में रिक्त पदों पर पदांकित करने का प्राविधान है। तीन दिवसीय काउंसिलिंग में पदोन्नत हुए दिव्यांग, गंभीर बीमारी से ग्रस्त महिला व पुरुषा के क्रम से पदांकन करना था। शिक्षकों का आरोप है कि नियम से हटकर समाान्य महिलाओं को भी पदोन्नति में वरीतयता दी गई है।
घर में माता-पिता बुजुर्ग हैं, काउंसिलिंग टीम समझे परेशानी
काउंसिलिंग स्थल में विगत तीन दिनों से शिक्षकों की शिकायत की भरमार रही। शिक्षक संस्कार चौरसिया ने कहा कि सर मैं घर का अकेला सदस्य हूं। माता- पिता बुजुर्ग हैं, घर का पूरा काम मुझे ही करना पड़ता है। मैं बहुत परेशान हूं। काउंसिंलग टीम मेरी परेशानी को समझे। इस पर काउंसिलिंग टीम ने दूसरे स्कूल के विकल्प की बात कही तो उसने कहा कि मुझे किसी और स्कूल में नहीं जाना है, जमनीपाली ही चाहिए। 18 साल तक घर से दूर रहकर काम कर रहा हूं, अब मुझे मनपसंद स्कूल चाहिए। इस तरह के विवाद से काउंसिलिंग घंटो प्रभावित रहा।
पति-पत्नी के आधार पर की जाए नियुक्ति
पोड़ी उपरोड़ा ब्लाक से अश्विनी कुमार नामक शिक्षक ने काउंसिलिंग टीम से कहा कि सर मुझे अब अपनी पत्नी के साथ रहना है। मुझे शहरी क्षेत्र का एक स्कूल दे दिया जाए। हालांकि काउंसिलिंग टीम उनके दस्तावेजों को देखने के बाद इन्हें भी दूसरा स्कूल विकल्प के रूप में चयन करने कहा। जिसके बाद शिक्षक ने आमाखोखरा प्रायमरी स्कूल का नाम लिया और काउंसिलिंग टीम ने इस स्कूल के नाम पर अपनी मुहर लगा दी।