देवेंद्र गुप्ता नईदुनिया, कोरबा : साउथ ईस्टर्न कोल फील्ड लिमिटेड (एसईसीएल) की कोयला खदान के लिए अधिगृहीत किए गए भूमि के मुआवजा वितरण में घोटाला किए जाने का मामला सामने आया है। दीपका खदान विस्तार के लिए अधिगृहीत की गई मलगांव की जमीन के मुआवजा वितरण में करीब 17 करोड़ रुपये की गड़बड़ी की गई है। इसमें राज्य शासन से राजस्व विभाग एवं एसईसीएल के अधिकारियों की भूमिका रही। इस मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) ने शुरू कर दी है।
कोयला, डीएमएफ व पीएससी घोटाला के बाद अब भूमि अधिग्रहण घोटाले की जांच में सीबीआइ को इंट्री हो गई है। करीब 20 वर्ष पहले वर्ष 2004 में दीपका विस्तार प्रोजेक्ट के लिए मलगांव की 400 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था। 235 वास्तविक प्रभावित हैं। इनमें 136 प्रभावित अब तक मुआवजा ले चुके हैं। जबकि कुल 110 करोड़ रुपये मुआवजा वितरण होना है। वर्ष 2022 में मुआवजा वितरण प्रशासन के माध्यम से किया गया। इस बीच मलगांव के ग्रामीणों ने एसईसीएल के विभागीय विजिलेंस को मुआवजा वितरण की शिकायत की। इसकी जांच के दौरान पता चला कि मुआवजा की सूची में शामिल 26 ऐसे लोगों का नाम है, जो न तो मलगांव में रहते हैं और नहीं उनके नाम से जमीन थी। मुआवजा प्रकरण बनाए जाने के दौरान राजस्व अमले ने मिलीभग कर फर्जी दस्तावेज तैयार कर लिए और मुआवजा भी प्राप्त कर लिया गया। इस पूरे गड़बड़ी में एक ही परिवार के दो हितग्राही श्याम जायसवाल व राजेश जायसवाल ने खुद भी अधिक मुआवजा राशि प्राप्त किया और फर्जीवाड़े में भी बिचौलिए की भूमिका निभाई। इसके साथ ही यह भी पर्दाफाश हुआ कि घोटाला 17 करोड़ से अधिक का है। 20 लाख से अधिक गड़बड़ी में जांच का अधिकार नहीं होने पर विजिलेंस ने इस मामले को सीबीआइ के सुपुर्द कर दिया है।
बिचौलिए के यहां पहली छापेमारी, दस्तावेज जब्त
पहली छापामार कार्रवाई सीबीआइ रायपुर की टीम ने हरदीबाजार स्थित श्यामू व उसका भतीजा राजेश के घर एक साथ छापामार कार्रवाई की गई। सर्चवारंट के आधार पर घर की तलाशी ली गई। इस दौरान कुछ दस्तावेज भी हाथ लगने की जानकारी सामने आई है। श्यामू वर्तमान में श्रमिक संगठन इंटक का जिलाध्यक्ष है। एसईसीएल प्रबंधन पर दबाव बनाने के लिए काफी दिनों तक श्यामू की अगुवाई में क्षेत्र में आंदोलन भी किया गया। इस पूरे घोटाले में एसडीएम, तहसीलदार, पटवारी, आरआइ की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है।