नईदुनिया प्रतिनिधि, कवर्धा। गौ माता को राष्ट्र माता घोषित करने की मांग जहां देशभर में तेजी पकड़ रही है, वहीं छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले में एक भावनात्मक और अनोखा दृश्य सामने आया जिसने लोगों के दिलों को छू लिया। यहां संभवतः राज्य में पहली बार बैंड-बाजे के साथ एक गौ माता की अंतिम यात्रा निकाली गई, जिसने समाज में गौ माता के प्रति एक नई सोच और श्रद्धा का संदेश दिया। यह यात्रा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि गौ माता के प्रति प्रेम और सम्मान की मिसाल बनी।
गौ मालिक राजू पांडे कवर्धा के निवासी हैं। उन्होंने बताया कि वे पिछले 20 वर्षों से अपनी गौ माता की सेवा कर रहे थे। उन्होंने उसे परिवार के सदस्य की तरह प्यार दिया और दूलौरिन नाम से बुलाते थे। जब दूलौरिन का निधन हुआ, तो राजू पांडे और उनके परिवार ने उसे उसी सम्मान के साथ विदा करने का निर्णय लिया, जैसे किसी अपने को विदा किया जाता है। राजू पांडे ने भावुक होकर कहा, दूलौरिन हमारे परिवार का हिस्सा थी। उसके जाने का दुख गहरा है, इसलिए हमने उसकी अंतिम यात्रा भी परिवार के सदस्य की तरह ही निकाली।
गौ माता की अंतिम यात्रा जब बैंड-बाजे के साथ निकाली गई, तो रास्ते भर लोगों ने फूल-मालाओं के साथ गौ माता को श्रद्धांजलि दी। यह एक अद्वितीय दृश्य था, जहां गौ माता को पूरे सम्मान और प्रेम के साथ अंतिम विदाई दी जा रही थी। कवर्धा के नागरिकों ने इस विदाई को दिल से महसूस किया, और बड़ी संख्या में लोग इस यात्रा में शामिल हुए। विजय वर्मा जो यात्रा में सम्मिलित थे ने कहा कि यह सिर्फ एक यात्रा नहीं थी, यह हमारी आस्था और भावनाओं का प्रतीक थी। गौ माता हमारे लिए पूजनीय हैं, और इस विदाई ने हमें भावनात्मक रूप से जोड़ दिया है।
गौ माता की अंतिम यात्रा के बाद, विधि-विधान के साथ उनकी अंतिम क्रिया भी पूरी की गई। स्थानीय धार्मिक संगठनों और श्रद्धालुओं ने पूरे आयोजन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। ऐसा पहली बार हुआ था जब कवर्धा में किसी गौ माता के लिए इस प्रकार का आयोजन हुआ, और इसमें पूरे शहर के लोग शामिल हुए। इस घटना ने एक नई परंपरा को जन्म दिया, जिसमें गौमाता के प्रति सम्मान और संवेदनशीलता को प्राथमिकता दी गई। रमेश कुमार जो इस आयोजन में शामिल थे ने कहा कि यह आयोजन सिर्फ एक गौ माता के लिए नहीं था, यह एक संदेश था कि हमें अपने पशुओं के प्रति जिम्मेदारी निभानी चाहिए।
कवर्धा में गौ माता की इस अनोखी अंतिम यात्रा ने पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बना दिया। जहां एक ओर सड़कों पर गौ माता की दुर्दशा और दुर्घटनाओं में उनकी मृत्यु की खबरें आम हैं, वहीं इस घटना ने समाज में एक नई उम्मीद जगाई है। राजू पांडे जैसे लोगों ने यह साबित किया है कि गौ माता सिर्फ पूजा की वस्तु नहीं, बल्कि उनकी देखभाल और सम्मान भी हमारी जिम्मेदारी है। सरला देवी जो यात्रा में भावुक थीं ने कहा कि यह पहली बार है जब मैंने किसी गौ माता की इतनी सम्मानपूर्वक विदाई देखी है। यह हमारे समाज के लिए एक उदाहरण है कि हमें न केवल उनकी पूजा करनी चाहिए, बल्कि उनकी सुरक्षा और देखभाल भी करनी चाहिए।
गौ माता की इस अनूठी विदाई ने कवर्धा के साथ-साथ पूरे प्रदेश में पशुओं के प्रति जागरूकता का संदेश दिया है। सड़कों पर आवारा गायों की बेबसी और दुर्घटनाओं के बावजूद राजू पांडे की तरह लोग अपनी गौ माता को परिवार का हिस्सा मानते हुए उनकी सेवा कर रहे हैं। यह घटना समाज को यह संदेश देती है कि गौ माता के प्रति हमारी जिम्मेदारी सिर्फ उनकी पूजा तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि उनकी देखभाल, सुरक्षा और सम्मान देना भी हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।