कवर्धा/कुई(ब्यूरो)। पंडरिया से लगभग 35 किमी दूर चारों और पहाड़ियों से घिरे भेलकी पंचायत के आश्रित गांव देवानपटपर में बैगा आदिवासी बीमार नहीं बल्कि अव्यवस्था के शिकार हैं। उन्हें न स्वच्छ पानी मिल पा रहा है और न ही बीमार होने पर चिकित्सकीय सुविधा मिल पा रही है। इस कमी के चलते संरक्षित बैगा जनजाति आज भी संकट में हैं।
ग्राम देवानपटपर में लगभग 400 की जनसंख्या में बैगा आदिवासी निवास करते हैं जो मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे हैं। भीषण गर्मी में उन्हें पानी के लिए जद्दोजहद करना पड़ रहा है। गांव में पानी की सुविधा उपलब्ध नहीं होने से दो किमी दूर भेलकी जाकर झिरिया का पानी लाना पड़ रहा है वह भी काफी गंदा होता है। इसी पानी को पीकर बैगा परिवार अपनी प्यास बुझा रहे हैं और बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। गांव में विगत दस दिनों से मरीज बढ़ गए हैं। कुछ दिन पूर्व रमोतीन बाई पति डब्लू की मौत मलेरिया से हुई थी। वहीं 12 वर्ष की बच्ची रईतो बाई पिता थन्नू की भी मौत हुई है। अब इसी गांव के करीब चार लोग मलेरिया से पीड़ित हैं और दो को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उल्लेखनीय है कि जिले के वनांचल गांव में समुचित स्वास्थ्य सुविधा का अभाव है जिसके कारण ग्रामवासी को काफी परेशानी होती है।
भेलकी अस्पताल में स्टाफ का अभाव वनांचल ग्राम देवानपटपर के समीपस्थ ग्राम पंचायत भेलकी में उपस्वास्थ्य केन्द्र विगत एक सप्ताह से बंद है। यहां ताला लटका हुआ है। बताया जाता है कि यहां के आरएमपी को लापरवाही के आरोप में निलंबित कर दिया गया था और उसकी पोस्टिंग बोड़ला अस्पताल में कर दी गई थी। वहीं नर्स मेडिकल अवकाश पर हैं। ऐसे में यह उपस्वास्थ्य केन्द्र बंद पड़ा है। इसके चलते आसपास के दर्जनों गांव के लोगों को स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पा रही है।
पांच महीने से नहीं लगा शिविर
ग्राम देवानपटपर के फुलबति, माला बाई, बेली बाई, मनीराम धु्रर्वे, सुंदर मरावी ने बताया कि गांव में विगत पांच माह से एक बार भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा शिविर नहीं लगाया गया है, जिसके चलते स्वास्थ्य परीक्षण नहीं हो पाया है। भेलकी के उपस्वास्थ्य केन्द्र में स्वास्थ्य महकमा नहीं है।
'देवानपटपर में मलेरिया के लक्षण समाने आ रहे हैं। दो मरीजों को पंडरिया अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जहां उनकी देखभाल की जा रही है। गांव में स्वास्थ्य अमला पहुंचकर जांच करेंगे।'
-डॉ. पीएल कुर्रे, बीएमओ पंडरिया
--