शिवरीनारायण । राम वन गमन परिपथ की पदयात्रा पर निकलेमनेन्द्रगढ़ खोंगापानी निवासी मनोज चतुर्वेदी का नगर आगमन हुआ। उन्होंने यात्रा की शुरुआत पांच सितंबर को सीतामढ़ी हरचौका से की है। सीतामढ़ी हरचौका से कोटा डोर, रामगढ़, बैकुंठपुर, सूरजपुर, उदयपुर, मतरिंगा, धरमजयगढ़, छाल, सक्ती , बाराद्वार होते हुए मनोज चतुर्वेदी शिवरीनारायण पहुंचे। लोगों ने उनका फूल मालाओं से स्वागत किया। राम नाम कीर्तन करते हुए लोगों के साथ वे भगवान शिवरीनारायण मठ मंदिर पहुंचे। इसके बाद पदयात्रा करते हुए वे खरौद के लक्ष्मणेश्वर मंदिर पहुंचे। उनके साथ प्रतीक शुक्ला और अरविंद द्विवेदी भी खरौद तक गए ।
खरौद में उन्होंने भगवान लक्ष्मणेश्वर महादेव की पूजा अर्चना की। जिसके बाद वे वापस शिवरीनारायण पहुंचकर मठ मंदिर में रात्रि विश्राम किया। सुबह भगवान शिवरीनारायण की पूजा अर्चना की। जिसके बाद पदयात्रा करते कसडोल के लिए निकले। प्रतीक शुक्ला और कोरकोटी के टीकाराम ने भी उनके साथ राम नाम संकीर्तन करते हुए कसडोल तक पदयात्रा की। इस अवसर पर मनोज चतुर्वेदी ने कहा शिवरीनारायण छत्तीसगढ़ की आध्यात्मिक राजधानी है। भगवान विष्णु के नाखून से निकली गंगा मैया पूरे देश को पावन को कर रही है तो सोचिए जहां साक्षात भगवान श्रीरामचन्द्र के चरण कमल पड़े हो वो जगह कितनी पतित पावन होगी। शिवरीनारायण की मिट्टी चंदन के सामान है जिसे लोगों को रोज अपने माथे पर लगाना चाहिए। उन्होंने कहा भगवान कण कण और रोम रोम में बसे हैं। भगवान का हमारे हृदय में वास है।
उन्होंने कहा भगवान राम का नाम लेकर मुश्किल से मुश्किल काम कोआसानी से किया जा सकता है। भगवान भाव के भूखे हैं। भगवान को निश्छल भाव से याद करने की जरूरत है, भगवान आपके पास होंगे। उन्होंने कहा वे आत्मशान्ति के लिए पदयात्रा कर रहे हैं। उन्हें शून्य से निर्वाण की ओर जाना है। चतुर्वेदी सत्य सनातन धर्म की प्रचार करते हुए उक्त मार्ग को पुण्य तीर्थ घोषित कराना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि गुड्डू मिश्रा, नवीन पाण्डेय, गुलाब कमरो, राजन पाण्डेय, आशीष डबरे, नरेश ओझा, जितेन्द्र त्रिपाठी, मनोज पटेल, देव बहादुर, राकेश श्रीवास्तव, योगेन्द्र मिश्रा पदयात्रा को सफल बनाने मेंसहयोग दे रहे हैं।
जप, तप और व्रत एक साथ करते हैंचतुर्वेदी
उन्होंने बताया कि जप, तप और व्रत तीनों एक साथ करते हैं। वे पदयात्रा के दौरान दिन भर भोजन नहीं करते। साथ ही पदयात्रा में हर कदम पर भगवत नाम का जप करते चलते हैं। दिन भर में सिर्फ रात में एक बार भोजन ग्रहण करते हैं। चिलचिलाती धूम हो या झमाझम वर्षा रोजाना वे 35 से 40 किलोमीटर की पदयात्रा करते हैं। रात को वे मंदिर, मठ ऐसी स्थानों पर ही रुकते हैं।
राम वन गमन परिपथ तीर्थ योजना शुरू करे सरकार
मनोज चतुर्वेदी सीतामढ़ी हरचौका से सुकमा कोंटा के रामाराम तक राम वन गमन परिपथ की पदयात्रा पर निकले हैं। वे चाहते हैं सरकार को राम वन गमन परिपथ तीर्थ यात्रा योजना शुरू करनी चाहिए और प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में लोगों को राम वन गमन परिपथ की तीर्थ यात्रा करानी चाहिए। अपनी पदयात्रा के माध्यम से वे राम वन गमन परिपथ को जीवंत करना चाहते हैं। उनका कहना है ये सत्य का मार्ग है। राम वन गमन परिपथ के प्रति लोगों में जागरूकता आनी चाहिए।
13 सौ किलोमीटर की है राम वन पथ गमन की पदयात्रा
सीतामढ़ी हरचौका से 550 किलोमिटर की पदयात्रा कर मनोज चतुर्वेदी शिवरीनारायण पहुँचे। वे शिवरीनारायण से कसडोल, तुरतुरिया, सिरपुर, रानीसागर, चंदखुरी, चंपारण, राजिम, सिहावा, जगदलपुर होते हुए सुकमा कोंटा के रामाराम तक जाएंगे। सुकमा कोंटा के रामाराम में उनकी राम वन गमन परिपथ की पदयात्रा का समाप्त होगी। सीतामढ़ी हरचौका से सुकमा कोंटा के रामाराम तक राम वन गमन परिपथ की उनकी कुल पदयात्रा लगभग 13 सौ किलोमीटर की है।