जगदलपुर। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के मैना मित्र व वन विभाग के कर्मचारियों-अधिकारियों के निरंतर प्रयास से अब बस्तर पहाड़ी मैना की संख्या में वृद्धि होने से आस पास के ग्रामों में भी इसके दर्शन होने लगे हैं। छत्तीसगढ़ के राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना का प्राकृतिक रहवास कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान ही है। यह उद्यान जिला मुख्यालय जगदलपुर से 27 किलोमीटर दूर सुकमा मार्ग पर दरभा और जगदलपुर विकासखंड में लगभग दो सौ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विस्तारित है। पिछले एक साल से आदिवासी आबादी बहुल इस क्षेत्र के स्थानीय समुदाय के युवाओं को प्रशिक्षण देकर मैना मित्र बनाया गया है। मैना मित्र पहाड़ी मैना के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए लगातार प्रयासरत हैं और अब उनकी मेहनत रंग ला रही है।
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक धम्मशील गणवीर ने बताया कि कैम्पा योजना अंतर्गत संचालित मैना सरंक्षण एवं संवर्धन प्रोजेक्ट बस्तर पहाड़ी मैना के सरंक्षण के लिए कारगर साबित हुआ है। प्रोजेक्ट अंतर्गत मैना मित्रों द्वारा कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान से लगे 30 स्कूलों में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। हर सप्ताह शनिवार और रविवार को स्कूली बच्चों को पक्षी दर्शन के लिए ले जाया जा रहा है जिससे उनके व्यवहार में बदलाव भी देखा जा रहा है। एक समय में जिन बच्चों के हाथ में गुलेल थे अब उनके हाथ में दूरबीन देखी जा रही है।
सूखे पेड़ों में रहवास
मैना का रहवास साल के सूखे पेड़ो में होता जहां कटफोड़वे घोंसले बनाते है। उल्लेखनीय है कि बस्तर वनमंडल द्वारा साल के सूखे पेड़ों को काटने पर प्रतिबंध लगाया गया है ताकि मैना का रहवास कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के बाहर भी सुरक्षित हो सके। साथ ही कांगेर घाटी से लगे ग्राम मांझीपाल, धूडमारास के होमस्टे पर्यटन में पहाड़ी मैना को जोड़ा गया है। जहां पर्यटक पक्षी दर्शन गतिविधि में राजकीय पक्षी को भी देख सकते है। धूडमारास के मानसिंह बघेल जो धुरवा डेरा के संचालक है कहते है की मुझे बहुत अच्छा लग रहा है कि पहाड़ी मैना हमारे घर के पास देखने को मिल रही है और उन्हें हम होम स्टे पर्यटन के साथ जोड़कर उसका संरक्षण भी कर रहे है।
निगरानी बढ़ाई गई
इन दिनों पहाड़ी मैना घोसले बनाती है, और कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में पहाड़ी मैना के कई नए घोंसले देखने को मिल रहे हैं। जिसमें पहाड़ी मैना अपने चूजों को फल और कीड़े खिलाते हुए देखी जा रही है। इनकी निगरानी मैना मित्रों और वन विभाग के जमीनी कर्मचारियों द्वारा की जा रही है। उद्यान क्षेत्र में पहाड़ी मैना की संख्या कम थी, अब इसके कई झुंड नजर आने लगे हैं।