अनिमेष पाल, नईदुनिया, जगदलपुर। छत्तीसगढ़ में डबल इंजन की सरकार में नक्सल अभियान की गति तेज हुई है। नक्सलियों के विरुद्ध अभियान आक्रामक हुआ है। इससे पिछले 11 माह में हुए मुठभेड़ों में अब तक 207 नक्सली मारे जा चुके हैं, जो कि राज्य गठन के बाद से यह एक वर्ष में मारे गए नक्सलियों की सर्वाधिक संख्या है। एक ओर जहां नक्सलियों पर प्रहार किया गया, तो दूसरी ओर विकास योजनाओं को प्रभावी तरीके से लागू कर क्षेत्र के विकास में तेजी लाई गई।
रणनीतिक स्तर पर भी बड़े बदलाव हुए हैं। राज्य सरकार के बहु–आयामी प्रयास सफल होते दिख रहे हैं। बस्तर में नक्सलियों का जनाधार छिनता जा रहा है। ग्रामीणों का भरोसा भी नक्सलियों के सिद्धांत से उठ गया है। इससे नई भर्तियाें पर भी रोक लगई है। संगठन के साथ ही सिद्धांतिक स्तर पर भी नक्सलियों को मात खानी पड़ रही है।
सुकमा जिले के तुमालपाड़ में पिछले सप्ताह सुरक्षा बल का नया कैंप खोला गया है। यह क्षेत्र कुख्यात नक्सली हिड़मा समेत बड़े नक्सलियों का गढ़ रहा है। तुमालपाड़ के युवा कोवाची (परिवर्तित नाम) ने बताया कि उनके गांव में दिन-दहाड़े नक्सली आते थे। ग्रामीणों को डरा कर संगठन में सम्मिलित कर लेते थे। वह भी नक्सलियों के लिए काम करने विवश था।
अब गांव में कैंप खुलने के बाद गांव के लोग खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। अब गांव की युवा पीढ़ी नक्सलियों के साथ नहीं जाना चाहती, वे अपने गांव में विकास चाह रही है। नई सरकार में अच्छा काम हुआ है। ''नियद नेल्ला नार'' योजना से गांव तक सड़क, बिजली, पानी दे रहे हैं। जहां कैंप खुले हैं, वहां पक्के मकान बनाकर दिए जा रहे हैं। इस गांव के लोग भी अब पक्का मकान चाह रहे हैं।
बस्तर पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी. कहते हैं कि नक्सलियों के आधार क्षेत्रों में खोले गए कैंपों ने बड़ा फर्क डाला है। इस वर्ष 21 सहित विगत पांच वर्ष में 80 नये कैंप सीधे नक्सलियों के प्रभाव वाले क्षेत्र में खोले गए हैं। इन कैंपों से नक्सल विरोधी अभियान तेज हुआ है। यहां से गांव में सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा की सुविधा उपलब्ध कराकर गांव का विकास भी कर रहे हैं।
लंबे समय तक नक्सलियों के प्रभाव में रहे ग्रामीण अब स्वच्छंद जीवन जीने लगे हैं। इससे उनकी मानसिकता में बड़ा परिवर्तन आया है। नक्सलियों के खोखले सिद्धांत से मोह भंग हुआ और लोकतंत्र पर भरोसा बढ़ा है। इसका असर नक्सल संगठन में होने वाली भर्तीयों पर भी दिखा है। बस्तर के आदिवासियों की नई पीढ़ी ने नक्सलियों के लिए बंदूक उठाने से मना कर दिया है।
इस वर्ष बस्तर संभाग में सुरक्षा बल ने विभिन्न मुठभेड़ों में 200 से अधिक नक्सलियों को ढेर किया है। इनमें 207 नक्सलियों के शव पुलिस को मिले हैं। इनमें 56 बड़े नक्सली मार गिराए गए हैं। चार दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी सदस्य रणधीर, नीति, रुपेश, जोगन्ना, मड़कम मासा, लखमा माड़वी, विनोद, नागेश, सागर सहित 13 डिविजनल कमेटी सदस्य सहित 39 एरिया कमेटी सदस्य ढेर किए गए हैं।
-80 नए कैंप नक्सलियों के आधार क्षेत्र में खोले गए। इससे नक्सल अभियान काे गति मिली। ''नियद नेल्ला नार योजना'' से सड़क, बिजली, पानी की बुनियादी सुविधाएं गांव तक पहुंचा कर ग्रामीणों का भरोसा भी जीता।
-डबल इंजन की सरकार में केंद्र व राज्य के बीच समन्वय बढ़ा। इससे पड़ोसी राज्य आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा, महाराष्ट्र व मध्यप्रदेश से भी नक्सलियों के विरुद्ध समानांतर अभियान प्रारंभ हो सके।
-गुरिल्ला युद्ध में दक्ष नक्सली एंबुश और बारुदी विस्फोट से सुरक्षा बलों को नुकसान पहुंचाते थे। कड़े प्रशिक्षण के बाद सुरक्षा बल गुरिल्ला युद्ध में दक्ष हुए है। जवान अब पैदल या बाइक पर अभियान करने लगे। इससे नुकसान कम हुआ।
-सुरक्षा बलों के पास नाइट विज़न कैमरे के साथ ही सैटेलाइट से भी नक्सलियों पर निगरानी प्रारंभ हुई। नक्सलवाद से लड़ाई में आधुनिक हथियार व तकनीक का प्रयोग ने बड़ा बदलाव लाया है। इससे मानसून में भी सफल अभियान हो सके।
-नेटवर्क सुविधाओं के विस्तार के कारण अब अंदरुनी गांव के लोगों में भी मोबाइल का प्रयाेग बढ़ा है। इससे जागरुकता आई है। इससे पुलिस का सूचना तंत्र भी पहले से अधिक सशक्त हुआ है।
2019-09
2020-17
2021-16
2022-16
2023-17
2024-21
कुल-80